सरकार ने पांच साधारण बीमा कंपनियों के शेयरों की सार्वजनिक बिक्री कर उन्हें शेयर बाजार में सूचीबद्ध कराने के प्रस्ताव को मंजूरी दी.इससे इन कंपनियों को पूंजी बाजार से धन जुटाने को प्रोत्साहित किया जा सकेगा, साथ ही उनके कामकाज के संचालन में भी सुधार होगा. सरकार ने 2016-17 के बजट में इस योजना की घोषणा की थी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए) की बैठक में इस प्रस्ताव को सैद्धान्तिक मंजूरी दी गयी. बैठक के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बताया यह नए शेयर जारी कर या बिक्री पेशकश के जरिये होगा. दोनों विकल्प उपलब्ध होंगे. हम शेयरधारिता का विस्तार करेंगे जिससे सरकार की हिस्सेदारी घटकर 75 प्रतिशत पर आ जाए.
मंत्रिमंडल ने नए शेयर जारी कर या बिक्री पेशकश (ओएफएस) के जरिये सार्वजनिक क्षेत्र की साधारण बीमा कंपनियों की सूचीबद्धता के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. जेटली ने कहा कि इन कंपनियों में सरकार की हिस्सेदारी धीरे-धीरे घटकर 100 से 75 प्रतिशत पर आ जाएगी. जिन पांच साधारण बीमा कंपनियों को सूचीबद्ध किया जाएगा.
उनमें न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी लि., नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लि., ओरियंटल इंश्योरेंस कंपनी लि, यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लि. तथा पुनर्बीमा कंपनी जनरल इंश्योरेंस कारपोरेशन आफ इंडिया (जीआईसी) शामिल हैं.वित्त मंत्री ने कहा सभी प्रक्रियागत औपचारिकताएं पूरी हो गई हैं. अब कंपनियों को शेयर बाजारों तथा सेबी के साथ सूचीबद्धता अनिवार्यताओं को पूरा करना होगा. उनसे पूछा गया था कि क्या इन कंपनियों को चालू वित्त वर्ष में 31 मार्च से पहले सूचीबद्ध किया जाएगा.
उन्होंने कहा कि विनिवेश की प्रक्रिया के दौरान भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) तथा बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (इरडा) के मौजूदा नियम और नियमनों का अनुपालन करना होगा.इस सवाल कि क्या ये कंपनियां नियामकीय जरूरत के अनुसार शुरआत में 10 प्रतिशत हिस्सेदारी का विनिवेश करेंगी, वित्त मंत्री ने कहा कि जो भी नियमन हैं उनका अनुपालन करना होगा.
वित्त मंत्री ने 2016-17 के बजट में साधारण बीमा कंपनियों को सूचीबद्ध करने की घोषणा की थी.उन्होंने कहा था कि सरकार के स्वामित्व वाली कंपनियों में सार्वजनिक हिस्सेदारी से उच्च स्तर की पारदर्शिता तथा जवाबदेही सुनिश्चित हो सकेगी. सरकार ने विदेशी बीमा कंपनियों को संयुक्त उद्यमों में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाकर 49 प्रतिशत करने की अनुमति दी है. इससे पहले सिर्फ 26 प्रतिशत के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति थी.