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बोतलबंद पानी पर लगा ब्रेक

waterbottles

बोतलबंद पानी रेल नीर की तर्ज पर यूपी राज्य सड़क परिवहन निगम में ‘परिवहन नीर’ लाने की कवायद पर ब्रेक लग गया है। रोडवेज यात्रियों को सस्ते में बोतलबंद पानी के लिए अब और इंतजार करना पड़ेगा। इस टेंडर में बरती गई अनियमितताओं को लेकर शासन ने परिवहन नीर के 21 करोड़ के ठेके पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। इसी के साथ अब वर्तमान ठेका निरस्त किए जाने के बाद नए सिरे से टेंडर करने का निर्देश दिया है। इतना ही नहीं शासन ने प्रबंध निदेशक को रोडवेज के दोषी अफसरों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने का निर्देश दिया है। शासन की इस कार्रवाई से इन दिनों परिवहन टेंडर से जुड़े अफसरों में हड़कंप मचा हुआ है। सभी अपनी गर्दन बचाने की जुगत में जुटे हुए हैं। परिवहन निगम के बस स्टेशनों के कैंटीनों, फूड प्लाजा, अधिकृत रोडवेज ढाबों में रेलनीर की तर्ज पर यात्रियों को शुद्ध बोतलबंद पानी मुहैया कराने के लिए बीते साल योजना बनाई गई थी।

कई महीनों तक इस महत्वपूर्ण परियोजना को अमलीजामा पहनाने के लिए कवायद की गई, परिवहन नीर की शुरुआत होने से पहले ही उस पर अनियमितताओं के बादल छा गए। सूत्रों के मुताबिक पूरे प्रदेश में परिवहन नीर का ठेका एक संस्था को दिया गया था। जिसमें संस्था द्वारा दिए गए दस्तावेजों में कई गड़बड़ियां मिली हैं। इसके बाद भी रोडवेज अफसरों ने संस्था को काली सूची में नहीं डाला। इतना ही नहीं संस्था ने कई महीनों बाद दस्तावेजों में फेरबदल कर परिवहन नीर के लिए फिर से टेंडर की प्रक्रिया में भाग लिया। मेहरबान अफसरों ने फिर से आंख बंद कर उसी संस्था को परिवहन नीर का ठेका दे दिया। रोडवेज प्रबंधतंत्र ने बस स्टेशनों के कैंटीन और अन्य स्थानों पर बिकने वाले परिवहन नीर की दरें भी तय कर दी।

एक लीटर परिवहन नीर 14 रुपए, पांच एमएल बोतल नौ रुपए और दो लीटर बोतलबंद पानी के लिए 22 रुपए निर्धारित किया गया था। सूत्रों की माने तो टेंडर में की गई अनियमितताओं की शिकायत किसी ने शासन स्तर पर की थी। इसके बाद जब मामले की जांच शासन ने कराई तो उसके होश उड़ गए। बताया जा रहा है कि जिस संस्था ने परिवहन नीर का ठेका लिया था, उसने बैंक प्रतिभूति जमा की थी।

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