प्रियंका गांधी वाद्रा ने दावा किया कि भाजपा नेता देश भर में घूम-घूम कर संशोधित नागरिकता कानून लागू करने की बातें कर रहे हैं, लेकिन असम में आते ही वे इस पर चुप्पी साध लेते हैं।सीएए के खिलाफ असम में 2019 में हिंसक प्रदर्शन हुए थे और उनमें पांच लोगों की जान चली गई थी।
प्रदर्शनकारियों ने इस कानून को अपनी सांस्कृतिक पहचान और आजीविका के लिए खतरा बताया था।प्रियंका ने कहा कि कांग्रेस और छह अन्य पार्टियों का महागठबंधन विधानसभा चुनाव के बाद असम में सरकार बनाएगा क्योंकि राज्य के लोग भाजपा के झूठे वादों से आजिज आ गये हैं।
वह हाथ से बुनी हुई पारंपरिक असमिया मेखला चादर ओढे हुए थीं।कांग्रेस नेता ने यहां पार्टी कार्यकताओं को संबोधित करने के बाद संवाददाताओं से कहा चुनाव से पहले भाजपा बड़े-बड़े वादे करती है, लेकिन अगले पांच वर्षों के दौरान वे लोग उन्हें पूरा करने के लिए कुछ नहीं करेंगे और लोगों को यह समझ आ गया है।
उन्होंने कहा भाजपा के नेता देश भर में घूम-घूम कर सीएए लागू करने की बातें कर रहे है।, लेकिन वे असम में आने पर इस बारे में चुप्पी साध लेते हैं।प्रियंका ने कहा राज्य में इसका जिक्र करने का उनमें साहस नहीं है और असम के लोगों को उन्हें इस बारे में कभी बोलने तक नहीं देना चाहिए।
गौरतलब है कि सीएए का उद्देश्य पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए ऐसे हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को भारतीय नागरिकता प्रदान करना है, जो उन देशों में धार्मिक प्रताड़ना के चलते 31 दिसंबर 2014 तक भारत आ गए थे।
प्रियंका ने असम में भाजपा नीत सरकार में सत्ता के एक से अधिक केंद्र होने का संकेत देते हुए कहा हम समझ नहीं पा रहे हैं कि राज्य में कितने मुख्यमंत्री हैं–एक, दो या कई हैं। या, यह बाहर से रिमोट कंट्रोल से चल रही है ?
कांग्रेस नेता ने अपने संबोधन की शुरूआत और समापन जय असम माता के साथ की। उन्होंने कहा आप पार्टी के लिए या अपनी सीट के लिए नहीं लड़ रहे हैं, बल्कि असम की पहचान और अपनी मातृभूमि के लिए लड़ रहे हैं।
उन्होंने दावा किया कि भाजपा-आरएसएस की विचारधारा ऐसी है जिसे इस राज्य की सांस्कृतिक पहचान और इससे जुड़े लोगों की फिक्र नहीं है।उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राज्य में आए और असम चाय पर हमला होने की बात कही, लेकिन राज्य की पहचान का क्या, जिस पर उनकी नीतियों के चलते हमले हो रहे हैं।
कांग्रेस नेता ने कहा यदि वह सचमुच में असम चाय को बचाना चाहते हैं, तो उन्होंने उनके लिए रोजगार के अवसर क्यों नहीं बढाए, या चुनाव से पहले किये गये वादे के अनुरूप उनकी न्यूनतम दिहाड़ी क्यों नहीं बढाई?
प्रियंका ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री ने वादा किया था कि मूल निवासियों की हिफाजत के लिए असम समझौते के उपबंध छह को लागू किया जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं किया गया।इस समझौते पर 1985 में हस्ताक्षर होने के बाद से विवाद का मुख्य विषय असमिया लोगों की परिभाषा है।
कांग्रेस नेता ने कहा जब असम समझौते पर हस्ताक्षर किया गया था, तब मैं सिर्फ 14 साल की थी और अपने पिता को फोन पर किसी से बात करते सुना था। बाद में, उन्होंने मुझसे कहा कि असम में चुनाव होंगे और कांग्रेस हार सकती है लेकिन वह राज्य के लोगों का सर्वश्रेष्ठ हित देखना चाहते हैं।
ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन ने 1979 में अवैध प्रवासियों की पहचान करने और उन्हें वापस भेजने की मांग करते हुए एक आंदोलन शुरू किया था, जो छह साल चला था।प्रियंका ने विश्वनाथ जिले के गोहपुर में पार्टी की एक और बैठक में दावा किया कि असम के लोगों को लॉकडाउन के दौरान अत्यधिक परेशानी हुई , लेकिन ये नेता उस वक्त आगे नहीं आए और जब चुनाव नजदीक है तो राज्य का बार-बार चक्कर लगा रहे हैं।
सोमवार से राज्य का दो दिवसीय दौरा कर रही प्रियंका ने कहा राज्य संसाधनों के मामले में समृद्ध है, लेकिन इसके बावजूद उसे मछली और गमोसा सहित अन्य चीजें बाहर से खरीदनी पड़ रही है।उन्होंने कहा कि पिछले पांच वर्षों में लोगों ने महंगाई, बेरोजगारी, पुलिस भर्ती में घोटाला देखा है, जिनमें भाजपा के सदस्य संलिप्त रहे हैं।
प्रियंका ने बेरोजगार युवाओं से अपने भविष्य को बचाने वाले सभी पहलुओं पर गौर करते हुए मतदान करने की अपील की।इससे पहले, प्रियंका ने गुवाहाटी के कामाख्या देवी मंदिर में पूजा-अर्चना के साथ ही आज से असम के दो दिवसीय दौरे की शुरुआत की। वह 15 वीं सदी के समाज सुधारक शंकरदेव के मुख्य अनुयायी रहे माधवदेव के जन्म स्थान भी गईं।
वह जहां-जहां गईं, वहां काफी संख्या में लोगों ने उनका अभिवादन किया। प्रियंका ने दो स्थानों पर स्थानीय नृत्यांगनाओं के साथ झूमर और बिहू नृत्य भी किया।लखीमपुर में लीलाबरी एयरपोर्ट से वह कांग्रेस के असम बचाओ चुनाव प्रचार के लिए विभिन्न स्थानों पर गई।राज्य में तीन चरणों में, 27 मार्च, एक अप्रैल और छह अप्रैल को विधानसभा चुनाव होने हैं।