रॉबर्ट वाड्रा पर जमीनों के लेन-देन के कई आरोप लगे हैं। राजस्थान और हरियाणा सरकारें उनके खिलाफ जांच करा रही हैं। इन आरोपों पर वॉड्रा ने लंबे समय बाद अपनी चुप्पी तोड़ी है। न्यूज एजेंसी पीटीआई को दिए इंटरव्यू में वाड्रा ने कहा कि चूंकि मेरा रिश्ता एक राजनीतिक पार्टी से है, इसलिए सियासी हथियार के रूप में मेरा इस्तेमाल हो रहा है।आप के खिलाफ कई आरोप हैं, आलोचनाओं पर कैसे रिएक्ट करेंगे?
आलोचना शायद काफी नरम शब्द होगा। मैं तो कई वर्षों से सियासी हमलों का शिकार हो रहा हूं। जिस तरह से मेरा चरित्र-चित्रण किया जाता रहा है, उससे जूझना तो कई बार मेरे लिए भी मुश्किल हो जाता है। मेरे बारे में इतनी मजबूती से गलत धारणाएं बना दी गई हैं कि कई बार तो ऐसा लगने लगता है जैसे कोई भी सच जानना ही नहीं चाहता।
मेरा सियासी हथियार के रूप में इस्तेमाल हो रहा है। जो ऐसा कर रहे हैं, उनका मकसद सिर्फ जनता का ध्यान बंटाना है। मैंने जो कुछ भी किया, या नहीं किया, वो सब कुछ जनता के सामने है। मीडिया भी जिन जानकारियों के बूते अभियान चलाती हैं, वो सारी जानकारियां मैंने ही रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज व अन्य एजेंसियों को दी हैं। अक्सर कहा जाता है कि मैंने जमीन का कोई हिस्सा प्रॉफिट में कैसे बेच दिया? जबकि देखा जाए तो उसी एरिया में ठीक उसी दौरान दूसरे लोगों ने भी उतने ही लाभ पर जमीनें बेची हैं। लेकिन कभी भी उन सौदों की चर्चा नहीं होती। मैं बिजनेस हमेशा कानून के अनुसार और पारदर्शी तरीके से ही करता हूं। पता नहीं, मुझे ही क्यों निशाने पर लिया जाता है?
अगर मैं पाखंडी होता और जैसा कि वो लोग सोच रहे थे, कि मैं भी कुर्ता पायजामा, चप्पल पहनूं, तो शायद हालात अलग होते। लेकिन मैं वैसा ही बना रहा, जैसा मैं हूं। मैंने शुरुआती दिनों में महंगी कारें चलाईं। अच्छे कपड़े पहने, क्योंकि मैं एक्सट्रोवर्ट था। 80 के दशक में हमारे इलाके में एकमात्र हमारा परिवार था जिसने टोयोटा खरीदी थी, हमें इस पर गर्व था। इसलिए हमने इसे गैरेज में छिपाकर नहीं रखा। मैं खुद को केवल इसलिए क्यों बदलूं कि दूसरे मुझे वैसा देखना चाहते हैं। मैं आज भी वैसा ही हूं। लोग मुझे अतिरंजित, दंभी और बिगड़ैल आदि बोल सकते हैं क्योंकि मैं पाखंडी नहीं हूं।
जब कभी भी काम के सिलसिले में पुरानी दिल्ली इलाके में जाना होता है तो चुपचाप रिक्शे में चला जाता हूं या गरीबों के किसी संस्थान की मदद करनी होती है तो कर देता हूं। मैं उन लोगों में से नहीं हूं जो अपनी विशेष छवि बनाने के लिए सेल्फी लेकर पोस्ट करते रहते हैं। मैं अपनी सामान्य जिंदगी जीता हूं और इसका दिखावा नहीं करता हूं। पिछले कुछ वर्षों में मेरी सोच और धारणा काफी मजबूत हो गई है। मैंने कभी भी अपनी पत्नी के परिवार के नाम का दुरुपयोग नहीं किया है और न कभी करुंगा।
मेरे बच्चे इतने बड़े हैं कि वे सब पढ़ते और समझते हैं। निगेटिव पब्लिसिटी का उन पर काफी असर भी पड़ता है। हम उन्हें हर चीज से तो बचा नहीं सकते पर उन्हें हम इतना तो सिखा सकते हैं कि इन हालात से किस तरह मुकाबला किया जाए। मेरे बच्चों का बचपन उतना उन्मुक्त और खुशी वाला नहीं है, जितना मेरा था। एक दिन मेरे बेटे ने मुझसे पूछा कि आपके बारे में इतना कुछ कहा जाता है आप कभी जवाब नहीं देते? तब मैंने सोचा जब हर तरफ मेरे खिलाफ इतना झूठ फैलाया जा रहा तो चुप रहना भूल ही है। एक दिन मैंने अपनी बातों को फेसबुक पर लिखने का मन बनाया। हर उठने वाले सवालों के जवाब लिखे।
ये तो सरकार का फैलाया प्रोपेगैंडा है कि मैं एयरपोर्ट पर वीवीआईपी दर्जे का मजा ले रहा हूं। मैंने फेसबुक पर इसका भी जवाब दिया था। मुझे लगता है कि कुछ लोगों, भले ही उनकी संख्या कम हो, को यह मालूम था कि मैंने कभी वीवीआईपी दर्जे का मजा नहीं लिया। बल्कि मैंने तो इसका फायदा भी नहीं उठाया। जब भी मैं एयरपोर्ट जाता था मुझे तो काफी झेंप महसूस होती थी। जब पहली बार मैंने यह सब देखा तो मैं डर ही गया था। सुरक्षा एजेंसियों ने अपनी सुविधा के लिए यह सब किया था। मैं न तो वीवीआईपी हूं न ही यह सुविधा चाहता हूं।
मैं अपने बच्चों की परवरिश को लेकर काफी संजीदा हूं। मेरा और मेरी पत्नी, दोनों का ही मानना है कि जहां तक संभव हो सके बच्चों को सामान्य बचपन का मौका मिलना चाहिए। बेटे को बोर्डिंग स्कूल भेजना कठोर फैसला था, पर हम चाहते थे कि वह सामान्य परिस्थितियों में बड़ा हो। रेहान 15 साल का है, फुटबॉल खेलता है और शूटर भी है। वाइल्डलाइफ और फोटोग्राफी में रुचि है। बेटी मिराया 13 साल की है, दिल्ली में ही पढ़ती है। स्टेट लेवल पर बास्केटबॉल खेलती है। मैं उनके स्कूल के हर फंक्शन और ज्यादातर पेरेंट-टीचर मीटिंग में जाता हूं। इससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण यह है कि हम अच्छे दोस्त हैं। उनसे मुझे बहुत बल मिलता है और उन्हीं के कारण मेरे चेहरे पर मुस्कुराहट रहती है।
दुर्भाग्यवश मेरे बारे में बनी धारणाएं सत्य से बहुत दूर हैं। ऐसा लगता है कि यह धारणाएं मेरे व्यक्तित्व की अपेक्षा राजनीतिक एजेंडे से ज्यादा प्रभावित हैं। मैं सामान्य पृष्ठभूमि से हूं। मेरे पिताजी ने अपने बल पर बिजनेस शुरू किया। मेरी मां टीचर रहीं। सामाजिक और आर्थिक तौर पर हम अच्छे थे। मेरे पिताजी को बिजनेस के क्षेत्र में राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिल चुका है। प्रियंका से शादी के बाद मेरा अनुभव नई परिस्थितियों में अलग तरह का रहा। पर मैंने कभी अपने मूल्यों को नहीं छोड़ा। सामान्य लोगों की तरह रहने के संस्कार बचपन में सीखे थे,आज भी कायम हैं। मैं अपने लोगों के साथ हमेशा सुविधाजनक महसूस करता हूं चाहे वे किसी भी पृष्ठभूमि से हो। जीवन में हास्य का बोध होना बहुत जरूरी है वरना जिन हालात में मैं रहता हूं जीना कठिन हो जाए।
जैसे मैं पहले ही कह चुका हूं, यह मामला साफ-साफ राजनीतिक बदले की भावना से है। हां, हरियाणा में एक जांच चल रही है। मुझे मीडिया से ही पता चला है, अभी तक कोई नोटिस नहीं मिला है। जब नोटिस मिलेगा, उसका जवाब दे दिया जाएगा। चूंकि ये कानूनी मामले हैं, इसलिए इन पर मैं अभी कोई टिप्पणी नहीं करना चाहूंगा।
यह सब कुछ अचानक हो गया था। मैं एक जिम के उद्घाटन में गया था। मेरा हमेशा प्रयास रहता है कि मेरे कारण मेरे मेजबान या आयोजक को किसी तरह तकलीफ न हो। टीवी वालों ने उन महाशय का वह हिस्सा नहीं दिखाया जिसमें वह आक्रामक तरीके से सवाल पूछ रहे थे। शायद उस वक्त मैं ज्यादा उत्तेजित हो गया था। उसके लिए मुझे खेद है, लेकिन मैं भी तो इंसान ही हूं।
आम तौर पर मैं राजनीति से दूर सामान्य नागरिक की तरह ही रहता हूं। मेरा मानना है कि देश में वर्तमान सामाजिक असहिष्णुता देखकर काफी दुख होता है। भारत हम सबका देश है चाहे किसी की कोई भी जाति, धर्म और संस्कृति हो। आज के युवा को अपनी पसंद और अभिव्यक्ति की आजादी होनी चाहिए। इसी से समाज का विकास होगा।