विरोधी दलों के बेस वोट बैंक में सेंध लगाने की तैयारी में बीजेपी

2014 में केंद्र की सत्ता में आने के बाद से ही नरेंद्र मोदी सरकार लगातार सबका साथ-सबका विश्वास के नारे को लेकर बिना किसी भेदभाव के सरकार चलाने का दावा करती रही है।भाजपा के तमाम आला नेता सार्वजनिक मंचों से लगातार यह दावा भी करते रहते हैं कि उनकी सरकारों का मूल मंत्र विकास सबका लेकिन तुष्टिकरण किसी का नहीं है।

यही वजह है कि भाजपा लगातार अपनी पार्टी को सभी समुदायों और वर्गों की पार्टी साबित करने का प्रयास कर रही है। इसी लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए भाजपा ने अल्पसंख्यक समुदाय खासकर मुस्लिम समुदाय के साथ जुड़ने के लिए खास प्लान तैयार किया है।

भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पार्टी के अल्पसंख्यक मोर्चा को देशभर में 6 से 8 जून के बीच तीन दिवसीय विशेष अभियान चलाने और इसके तहत अल्पसंख्यक समुदाय से जुड़ने का निर्देश दिया है।

नड्डा ने मोर्चा के नेताओं और कार्यकतार्ओं को अल्पसंख्यकों के साथ बातचीत की मुहिम के तहत इन तीनों दिनों में अल्पसंख्यक समाजों के बीच जाने, उनके साथ संवाद करने और भाजपा सरकार द्वारा अल्पसंख्यकों के हितों में उठाए गए कदमों के बारे में जानकारी देने का निर्देश दिया है।

आगामी विधानसभा चुनावों और 2024 के लोक सभा चुनाव के मद्देनजर भाजपा यह प्रयास कर रही है कि अल्पसंख्यक समुदाय खासकर मुस्लिमों को भाजपा के साथ किसी तरह से जोड़ा जाए। भाजपा की कोशिश ज्यादा से ज्यादा मुस्लिम महिलाओं को भी पार्टी के साथ जोड़ने की है।

इसलिए 6 से 8 जून के बीच चलाए जाने वाले इस विशेष अभियान के तहत भाजपा का राष्ट्रीय अल्पसंख्यक मोर्चा राज्यों के अल्पसंख्यक मोर्चे के साथ मिलकर देश भर में मुस्लिम समुदाय के लोगों के साथ संवाद स्थापित करेगा।

सम्मेलनों के जरिए मुस्लिम समुदाय के बुद्धिजीवी वर्ग तक मोदी सरकार और राज्यों की भाजपा सरकार की उपलब्धियों की जानकारी पहुंचा कर उन्हें भाजपा के साथ जोड़ने की कोशिश करेगा।

तीन तलाक को खत्म करने के लिए मोदी सरकार द्वारा उठाए गए ऐतिहासिक कदम और अन्य कल्याणकारी योजनाओं का जिक्र करते हुए मुस्लिम महिलाओं तक भी सरकार की उपलब्धियों को पहुंचाने का प्रयास किया जाएगा।

जिन राज्यों में भाजपा की सरकार नहीं है,वहां भी पार्टी के नेता मोदी सरकार की उपलब्धियों और राज्य की गैर भाजपा सरकार की नाकामियों के बारे में लोगों को बताने का प्रयास करेंगे।

दरअसल इस अभियान के जरिए जहां एक तरफ भाजपा अपने समर्थक वोट बैंक में इजाफा करना चाहती है तो वहीं इसके साथ ही कांग्रेस समेत अन्य विरोधी दलों की राजनीतिक जमीन को भी और ज्यादा कमजोर करना चाहती है ताकि आगामी विधानसभा चुनावों और 2024 के लोक सभा चुनाव में भाजपा की जीत की राह आसान हो सके।

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