भारतीय जनता पार्टी अपने कई सहयोगी दलों की नाराजगी का सामना कर रही है। वहीं कई साथी दल एक के बाद एक पार्टी का साथ भी छोड़ रहे हैं। हाल ही में बीजेपी को बिहार में झटका लगा था, जहां राष्ट्रीय लोक समता पार्टी ने NDA से अलग होने का निर्णय लिया था।
अब इस क्रम में बीजेपी को नॉर्थ ईस्ट में बड़ा धक्का लगा है। यहां असम गण परिषद (AGP) ने बीजेपी नेतृत्व वाले गठबंधन (NDA) से अलग होने का फैसला किया है। AGP अध्यक्ष अतुल बोरा ने सोमवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इसका ऐलान किया।
AGP ने यह फैसला नागरिकता संशोधन बिल, 2016 पर लिया है, जो कल मोदी सरकार द्वारा लोकसभा में पेश किया जाना है। यह बिल नागरिकता बिल, 1955 की जगह लेगा। संशोधित बिल के बाद भारत सरकार, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्म के लोगों को छह साल भारत में गुजारने पर भारतीय नागरिकता प्रदान कर सकेगी।
पहले यह जरूरी अवधि 12 साल थी।AGP, नागरिकता बिल में इस संशोधन के खिलाफ है और पिछले कुछ समय से लगातार इसका विरोध कर रही है। AGP का कहना है कि बिल में संशोधन से असम तबाह हो जाएगा। पार्टी का कहना है कि बांग्लादेश से हो रही अवैध घुसपैठ असम को बर्बाद कर रही है, ऐसे में इस संशोधित बिल से अवैध घुसपैठ को और बढ़ावा मिलेगा।
AGP के साथ-साथ पूर्वोत्तर राज्यों के कई अन्य दल भी इस संशोधन का विरोध कर रहे हैं।AGP अध्यक्ष अतुल बोरा ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा, ‘हमने आज संशोधित बिल को रोकने के लिए आखिरी बार केन्द्र सरकार को मनाने की कोशिश की, लेकिन यह नहीं हो सका।
गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने हमें स्पष्ट कहा कि यह बिल सोमवार को हर हालत में पास किया जाएगा। इसके बाद बीजेपी नेतृत्व वाले गठबंधन में रहने का कोई सवाल ही नहीं उठता।बता दें कि असम में बीजेपी सरकार को AGP का समर्थन हासिल है। 126 सदस्यीय असम विधानसभा में बीजेपी के पास अभी 61 विधायक है, वहीं AGP के पास 12 सीट है।
असम की गठबंधन सरकार में बोडो पीपल्स फ्रंट भी शामिल है, जिसके पास 14 सीटें हैं। AGP के गठबंधन सरकार से हटने के बाद बीजेपी को राज्य में एक बड़ा झटका जरूर लगा है लेकिन बीजेपी के पास यहां बहुमत के लिए पर्याप्त सीटें हैं, ऐसे में सर्वानंद सोनवाल सरकार को इस पर ज्यादा मुश्किलें नहीं है।