2019 लोकसभा चुनाव का ऐलान होने में तीन महीने बचे हैं।गुजरात, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव हुए हैं। इनमें भाजपा को मिली सीटों के ट्रेंड से 2019 लोकसभा चुनाव में 16 राज्योंं में उसकी स्थिति का आकलन करें, तो पता चलता है कि भाजपा 422 सीटों में से 155 से 165 सीटें ही जीत सकती है।
यानी उसे 120 सीटों का नुकसान संभव है। वहीं, कांग्रेस इन राज्यों में गठबंधन कर यहां 145 से 150 सीटें जीत सकती है।खास बात है कि ये 5 राज्य भाजपा और कांग्रेस के हमेशा से गढ़ रहे हैं। यहां पिछले 30 साल से इन्हीं दो दलों के बीच सीधा मुकाबला होता रहा है। इन 5 राज्यों में 119 लोकसभा सीटें आती हैं।
2014 में भाजपा को यहां 105 सीटें मिली थीं, जबकि कांग्रेस को सिर्फ 11 सीटें मिली थीं।इन नतीजों से निकले ट्रेंड के मुताबिक अब यहां भाजपा को 2019 में 54 सीटें मिल सकती हैं। यानी उसे करीब 51 सीटों का नुकसान संभव है। कांग्रेस को मौजूदा ट्रेंड से इन राज्यों में 60 सीटें मिल सकती है। यानी उसे 50 सीटों का फायदा होगा।
इन 5 राज्यों के ट्रेंड के जरिए देश के उन 11 राज्यों का भी आकलन करें, जहां 2014 में भाजपा (बिहार, यूपी, महाराष्ट्र एनडीए के घटक भी थे) को 190 यानी 67% सीट मिली थीं। इस ट्रेंड से यहां 2019 में भाजपा को करीब 88 सीटों का नुकसान होता दिख रहा है।
यूपी, बिहार, महाराष्ट्र, झारखंड, दिल्ली, हरियाणा समेत जिन 16 राज्यों के आंकड़ों का आकलन किया है, वहां देश की 422 सीटें आती हैं। यानी 78% सांसद यहीं से आते हैं। इन राज्यों में 2014 में एनडीए को 295 सीटें मिली थीं। इनमें से 266 सांसद भाजपा के हैं, जबकि अन्य 29 सांसद उसके सहयोगी दलों के जीते थे।
मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में 65 लोकसभा सीटें हैं। 2014 में भाजपा ने यहां 62 सीटों पर और कांग्रेस ने सिर्फ 3 सीटों पर जीत दर्ज की थी। कांग्रेस का राजस्थान, गुजरात में खाता तक नहीं खुला था, जबकि भाजपा ने यहां क्लीनस्वीप किया था। अगर वोटरों का यही मूड रहा तो 2019 में भाजपा इन 62 सीटों में से महज 27 सीटें ही जीत पाएगी। वहीं, कांग्रेस की सीटें 3 से बढ़कर 37 हो जाएंगी।
लोकसभा चुनाव की लड़ाई राहुल बनाम मोदी बनाने का प्रयास करेगी।2014 में मोदी के पीएम बनने के बाद पहली बार कांग्रेस ने सीधी लड़ाई में भाजपा को हराया है। अब पूरी लड़ाई को राहुल बनाम मोदी दर्शाने में कांग्रेस को मजबूती मिलेगी।
इन राज्यों में 40 लोकसभा सीटों पर आगे हो चुकी है। इस आधार पर लोकसभा चुनाव में सहयोगियों को संगठित करने में अासानी होगी। राहुल की स्वीकार्यता बढ़ेगी।राहुल अब मोदी के खिलाफ बने गुस्से को देशभर में भुनाने की कोशिश करेंगे।