मध्यप्रदेश में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह तेंदूपत्ता संग्राहक हो लाभांश वितरित करने के साथ विधानसभा चुनाव का बिगुल फूंक दिया है। उन्होंने इस दौरान आदिवासियों के लिए केंद्र और राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का सिलसिलेवार ब्यौरा भी दिया और भाजपा को इस वर्ग की हितैषी सरकार बताया।
भाजपा राज्य में आदिवासी वोट बैंक को लुभाने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती, क्योंकि वर्ष 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में पार्टी को इस वर्ग का भरपूर साथ नहीं मिला था। आदिवासी वर्ग के लिए कुल 47 सीटें आरक्षित हैं जिनमें से भाजपा सिर्फ 16 स्थानों पर ही जीत हासिल कर पाई थीं।
राज्य में अनुसूचित जनजाति वर्ग की लगभग 20 फीसदी आबादी है और लगभग 80 विधानसभा सीटें ऐसी हैं जहां इस वर्ग के मतदाता निर्णायक है। लिहाजा भाजपा इस वर्ग में अपनी पैठ बनाने की कोशिश में लगी है। यही कारण है कि बीते सात माह में अमित शाह के दो दौरे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एक दौरा हो चुका है।
यह तीनों दौरे इसी जनजाति वर्ग से जुड़े कार्यक्रमों केा लेकर थे।तेंदूपत्ता संग्राहकों को लाभांश का वितरण करने के लिए आयोजित समारोह में गृह मंत्री अमित शाह ने भाजपा की सरकारों को आदिवासी वर्ग की हितैषी सरकार बताया।
साथ ही राज्य सरकार के वन ग्रामों को राजस्व ग्राम में बदलने के फैसले को आदिवासियों को जंगल का मालिक बनाने वाला फैसला बताया।एक तरफ जहां गृहमंत्री ने आदिवासियों के हित में राज्य और केंद्र सरकार की योजनाओं को गिनाया तो वही पार्टी कार्यालय में संगठन और सत्ता से जुड़े लोगों के साथ बैठक की।
अमित शाह ने इस बैठक के दौरान सत्ता और संगठन की नब्ज को टटोली और हिदायतें भी दी। कुल मिलाकर अमित शाह के इस दौरे को विधानसभा चुनाव का बिगुल फूंकने के तौर पर देखा जा रहा हैं।