बिहार में जीतन राम मांझी के बयान पर भड़की भाजपा

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के प्रमुख जीतन राम मांझी द्वारा भगवान राम के खिलाफ दिए गए विवादित बयान के बाद गर्म सियासी पारा ठंडा नहीं पड़ रहा है। इस बयान के बाद सत्ताधारी गठबंधन के नेता भी इशारों ही इशारों में एक-दूसरे पर निशाना साध रहे हैं।

गुरुवार को मांझी ने भाजपा पर अप्रत्यक्ष रूप से निशाना साधा था तो शुक्रवार को भाजपा ने बिना किसी के नाम लिए पलटवार कर दिया।भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष राजीव रंजन ने शुक्रवार को कहा कि, कहा जाता है कि अगर अपनी डूबती राजनीति चमकानी हो तो किसी बड़े नाम वाले पर कोई आरोप लगा दीजिए।

फिर भगवान राम तो मर्यादा पुरुषोत्तम हैं। सबका बेड़ा पार करते हैं। अपने नाम में राम का नाम रखने वाले नेताजी को राम नाम से एकाएक वितृष्णा होने लगी है तो समझिए कि उनका ध्यान किन वोटों पर है।उन्होंने एक बयान जारी कर कहा कि यह जरुर है कि उनकी राजनीतिक जमीन और सिकुड़ जाएगी।

यकीन न हो तो कांग्रेस और सपा को देख लीजिए।उन्होंने राम को काल्पनिक बताने वाले नेता से सवाल करते हुए कहा, इस्लाम, सिख, बौद्ध व इसाई आदि धर्मों में वर्णित महापुरुषों को वह सत्य मानते हैं या काल्पनिक? चिंता न करें जवाब नहीं आएगा।

इनके निगाह में हिन्दुओं का सहिष्णु होना ही उनकी कमजोरी है।उन्होंने आगे कहा कि कुछ नेताओं का सेक्युलरिज्म बहुत ही विशेष होता है। उन्हें सिर्फ सनातन से दिक्कत होती है।भाजपा नेता ने इस बयान को अपने ट्विटर हैंडल पर भी लिखा है।

इससे पहले मांझी ने गुरुवार को कहा कि उन्हें भी मंदिरों में दलितों के प्रवेश के बारे में बोलना चाहिए। मांझी कर्नाटक की उस घटना का जिक्र कर रहे थे जहां मंदिर प्रशासन ने एक दलित पिता पर 23,000 रुपये का जुर्माना लगाया, जो मंदिर के द्वार के बाहर पूजा कर रहा था, लेकिन उसका दो साल का बेटा 4 सितंबर को इसमें प्रवेश कर गया।

मांझी ने कहा, धार्मिक माफिया ऐसी घटना के बारे में कुछ नहीं कहेंगे। वे ऐसे मौकों पर चुप हो जाते हैं। कोई भी दलित समुदाय के मंदिरों में प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने पर नहीं बोलेगा। वे दलित लोगों को मंदिरों में प्रवेश करना या धार्मिक किताबें पढ़ना पसंद नहीं करते हैं।

मांझी ने ट्वीट में आगे कहा मैं जो कुछ भी कह रहा हूं. सदियों के दर्द का नतीजा है, हमने अब तक अपना गुस्सा जाहिर नहीं किया है।मांझी ने कहा कि उन्हें बिहार के स्कूली पाठ्यक्रम में रामायण को शामिल करने से कोई आपत्ति नहीं है। लेकिन उन्होंने यह कहकर विवाद खड़ा कर दिया कि रामायण की कहानी सच्चाई पर आधारित नहीं है।

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