जनता दल (यू) और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर लगभग सहमति बन गई है.दोनों दल 100-100 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे. बाकी 43 सीटें कांग्रेस, एनसीपी और समझौता होने पर वामदलों के बीच बांटी जाएंगी.जदयू सूत्रों के अनुसार, मोटे तौर पर सीटों के बंटवारे को लेकर सहमति बन गई है. जदयू के अभी 115 विधायक हैं जबकि राजद के केवल 22 एमएलए हैं. साल 2010 का विधानसभा चुनाव भाजपा और जदयू साथ मिलकर लड़े थे. उस समय जदयू को 22.6 प्रतिशत और दूसरे नंबर पर रही पार्टी भाजपा को 91 सीटें मिली थीं और उसका वोट प्रतिशत 16.5 पर्सेट रहा था. उस चुनाव में राजद को 18.6 प्रतिशत वोट मिले थे, लेकिन वह केवल 22 सीटें ही जीत पाई थी.
लालू प्रसाद यादव का यही तर्क था कि भले ही उसे कम सीटें मिली थीं, लेकिन उसका वोट प्रतिशत कम नहीं हुआ था. इसलिए वह बराबर संख्या में सीट मांग रहे थे. नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री के तौर पर पेश करने के बाद जदयू के तेवर कुछ ढीले पड़े और पार्टी बराबर सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए तैयार हो गई.
गठबंधन में शामिल कांग्रेस को करीब 25 से 30 सीटें और एनसीपी को 10 से 15 सीटें दिए जाने की संभावना है. वामदल इस बार अलग चुनाव लड़ रहे हैं. यदि वे गठबंधन में शामिल होते हैं तो उन्हें भी कुछ सीटें दी जाएंगी.आरजेडी को एक आपत्ति यह भी थी कि बिहार में नीतीश कुमार का चुनाव प्रचार शुरू हो गया है. पोस्टरों में नीतीश कुमार का अकेले का फोटो है. इस पर जदयू ने कहा कि यह एक विशेष अभियान है, जिसमें नीतीश कुमार को एक बार फिर मुख्यमंत्री बनाने की अपील की गई है.