20 शहरों में भुवनेश्वर बनेगा पहला स्मार्ट सिटी शहर

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20 स्मार्ट सिटी प्रतिस्पर्धा में भुवनेश्वर को मेरिट में पहला स्थान मिला है, सरकार ने देश में सौ स्मार्ट सिटी विकसित करने की योजना के तहत 20 शहरों के नाम घोषित किए.देश में सौ स्मार्ट शहर बनाने की सरकार की महत्वाकांक्षी योजना के पहले चरण में 20 शहरों के नामों का एलान कर दिया गया जिनमें ओडिशा का भुवनेश्वर सबसे पहले, महाराष्ट्र का पुणे दूसरे तथा राजस्थान का जयपुर तीसरे नंबर पर है जबकि तीन बड़े राज्यों उत्तर प्रदेश , बिहार तथा पश्चिम बंगाल के किसी भी शहर को इनमें जगह नहीं मिली.

शीर्ष 20 शहरों में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के अलावा पांच राज्यों की राजधानियां भुवनेश्वर, जयपुर, गुवाहाटी, चेन्नई और भोपाल हैं. मध्य प्रदेश के सबसे अधिक तीन शहरों जबलपुर, इंदौर और भोपाल को इनमें जगह मिली हैं. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी 97 शहरों की रैंकिंग में 96 वें नंबर पर है.

शहरी विकास मंत्री एम वेंकैया नायडू ने संवाददाता सम्मेलन में स्मार्ट सिटी मिशन के पहले चरण के तहत चुने गये 20 शहरों के नामों की घोषणा की. उन्होंने कहा कि इन शहरों के नाम बेहद कडी प्रतिस्पर्धा के परिणामों के आधार पर चुने गये हैं जिसमें पूरी तरह पारदर्शिता बरती गयी है .श्री नायडू ने कहा कि  चुने गये शहर 12 राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेश के हैं जबकि 23 राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के एक भी शहर को नहीं चुना गया है.

उन्होंने कहा कि इन राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को फास्ट ट्रेक योजना के तहत एक और मौका देते हुए आगामी अप्रैल तक अपनी योजना दोबारा देने के लिए कहा गया है. ये शहर यदि सभी कसौटियों पर खरे उतरे तो उन्हें भी इन 20 शहरों के साथ पहले चरण में ही विकसित किया जायेगा.

स्मार्ट सिटी के लिए चुने गये 20 शहरों के नाम रैंकिंग के अनुसार भुवनेर, पुणे, जयपुर, सूरत, कोच्चि, अहमदाबाद, जबलपुर, विशाखापत्तनम, सोलापुर, दावणगेरे, इंदौर, नयी दिल्ली नगर पालिका, कोयंबटूर, काकीनाडा, बेलगाम, उदयपुर, गुवाहाटी, चेन्नई, लुधियाना और भोपाल हैं.

श्री नायडू ने बताया कि मध्य प्रदेश के तीन, महाराष्ट्र , राजस्थान, गुजरात, आन्ध्र प्रदेश , कर्नाटक और तमिलनाडु के दो -दो तथा ओडिशा, केरल, दिल्ली, असम और पंजाब के एक -एक राज्य ने पहले चरण में बाजी मारी है.पूर्वोत्तर में असम को छोडकर किसी भी शहर को नहीं चुना गया है. जिन 23 राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के एक भी शहर को पहले चरण में नहीं चुना गया उनमें  उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, हरियाणा, झारखंड, छत्तीसगढ, तेलंगाना , हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड प्रमुख हैं.

एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के रायबरेली और मेरठ में से एक शहर को चुना जाना है लेकिन अभी राज्य सरकार ने अपनी ओर से अंतिम निर्णय नहीं लिया है इसलिए ये शहर प्रतिस्पर्धा में शामिल नहीं हो सके.जम्मू कश्मीर को अभी एक शहर का नाम भेजना है. उन्होंने कहा कि चुने गये शहरों को स्मार्ट शहर के रूप में विकसित करने की कोई समय सीमा नहीं रखी गयी है. ये शहर जितनी तेजी से योजना पर काम करेंगे उतनी ही तेजी से केन्द्र की तरफ से इन्हें पैसा जारी किया जायेगा.

उन्होंने कहा कि चुने गये 20 शहरों को पहले वर्ष 200-200 करोड तथा बाद में तीन साल तक हर साल 100-100 करोड रुपये केन्द्र की ओर से दिये जायेंगे. इतनी ही राशि राज्य सरकारें भी देंगी. उन्होंने कहा कि 97 में से 43 राज्यों के बारे में आगामी अप्रैल तक निर्णय ले लिया जायेगा जबकि बाकी बचे 54 शहरों को चुनने की प्रक्रिया आगामी सितम्बर में शुरू की जायेगी.

श्री नायडू ने कहा कि इन शहरों को चुनने की प्रक्रिया में एक करोड 52 लाख लोगों ने हिस्सा लिया और अपनी राय दी. प्रतिस्पर्धा में इन शहरों को आदर्श शहर की 43 कसौटियों पर परखा गया . इन सब कसौटियों के लिए उन्हें अलग अलग अंक दिये गये .

उन्होंने हल्के अंदाज में कहा कि यह सिविल सेवा की परीक्षा की तरह कड़ी प्रतियोगिता थी. शीर्ष स्थान पर रहे भुवनेश्वर को 78 फीसदी तथा 20 वें नम्बर पर रहे भोपाल को 54 फीसदी अंक मिले. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के नगर पालिका परिषद क्षेा को 20 शहरों में 12 स्थान हासिल हुआ. पिछले दिनों बाढ का सामना करने वाले तमिलनाडु को अपनी योजना देने के लिए अलग से समय दिया गया.

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गत वर्ष इस योजना की घोषणा की थी और उसी समय से इसे लेकर सभी राज्यों ने जबरदस्त उत्साह दिखाया. उन्होंने कहा कि यदि यह योजना सफल रहती है और राज्यों की ओर से ऐसा ही उत्साह देखने को मिलता है तो इसे आगे भी बढाया जायेगा.

शहरी विकास के क्षेा में आज के दिन को एतिहासिक बताते हुए उन्होंने कहा कि इस योजना से देश में शहरी विकास की सोच में व्यापक बदलाव आयेगा और विकास की गति बढेगी.श्री नायडू ने कहा कि इन शहरों की योजना स्थानीय निकायों ने बनायी हैं और केन्द्र सरकार ने दिशा निर्देशों के अलावा इस पूरी प्रक्रिया में कोई भूमिका नहीं निभायी है. उन्होंने कहा कि इस परियोजना के लिए 50 हजार करोड रुपये से अधिक राशि का निवेश किया जायेगा .

उन्होंने कहा कि जिन 20 राज्यों को पहले चरण में चुना गया है उनमें से 9 ने भारतीय कंपनियों को सलाहकार नियुक्त किया है जबकि 6 ने विदेशी सहयोग वाली भारतीय कंपनियों तथा पांच ने विदेशी कंपनियों से सलाह लेने का निर्णय किया है.

परियोजना के तहत स्मार्ट बनाए जा रहे शहरों में बिजली-पानी की आपूर्ति, सफाई और ठोस कचरा प्रबंधन, समुचित शहरी आवागमन, सार्वजनिक परिवहन, सूचना-प्रौद्योगिकी की कनेक्टिविटी, ई-गवर्नेंस, बुनियादी सुविधाएं और नागरिक सहभागिता पर खास ध्यान दिया जाएगा.

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