विधानसभा चुनाव से पहले पूर्व केन्द्रीय मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा ने कांग्रेस का हाथ छोडकर शुक्रवार को घर वापसी कर ली.उत्तर प्रदेश राज्य विधानसभा के आसन्न चुनाव से पहले सत्तारुढ समाजवादी पार्टी (सपा) की हौसला अफजाई करने वाले एक घटनाक्रम में पूर्व केन्द्रीय मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा ने कांग्रेस का हाथ छोडकर शुक्रवार को घर वापसी कर ली.
लम्बे अर्से तक सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव के नजदीकी रहे अखिल भारतीय कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य श्री वर्मा की करीब एक दशक बाद घर वापसी के आयोजन को खास बनाने के लिए पार्टी ने पलक पावंडे विछाने में कोई कोर कसर नहीं छोडी.इस मौके पर यहां पार्टी मुख्यालय पर मौजूद श्री यादव के अलावा सूबे के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, लोकनिर्माण मंत्री शिवपाल सिंह यादव और नगर विकास मंत्री मो आजम खां ने वर्मा का पुरजोर स्वागत किया.
सूबे के करीब साढे चार फीसदी मतदाता वाली संपन्न कुर्मी विरादरी से ताल्लुक रखने वाले श्री वर्मा 1996, 1998 ,1999 और 2004 में चार बार सपा के टिकट पर कैसरगंज लोकसभा सीट से तथा 2009 में कांग्रेस के टिकट पर गोण्डा सीट से लोकसभा के निर्वाचित हुए थे. लखनऊ विश्वविद्यालय से विधि स्नातक श्री वर्मा 1994 में भारतीय क्रांति दल के टिकट पर पहली बार उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए थे.
11 फरवरी 1941 को बाराबंकी के सिरौली कस्बे में जन्मे वर्मा 1996 में एच डी देवगौडा मांिमंडल में संचार मंत्री तथा जुलाई 2011 में मनमोहन सिंह सरकार में इस्पात मंत्री रहे.सपा छोडकर 2007 में समाजवादी क्रांति दल का गठन करने वाले वर्मा के अचानक सपा मे शामिल हो जाने के इस घटनाक्रम को राजनीतिक विश्लेषक चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर के सहारे राज्य विधानसभा चुनाव मे अपने प्रदर्शन को बेहतर बनाने की कोशिश मे जुटी कांग्रेस के लिये एक करारे झटके की तरह देख रहे है.
अपने दोस्तों के बीच बेनी बाबू के नाम से मशहूर श्री वर्मा की घर वापसी को लेकर विश्लेषकों का कहना है कि कांग्रेस को सूबे मे जमीन और आम आदमी से जुडी राजनीति के पक्षधर इस नेता के पार्टी से विछोह की भरपाई मे वक्त लगेगा.कहा जाता है कि वर्मा 2014 मे गोंडा सीट से लोकसभा चुनाव मे शिकस्त के बाद से ही कांग्रेस नेतृत्व से क्षुब्ध थे. उनकी नाराजगी बाराबंकी की राजनीति मे पूर्व नौकरशाह एवं राज्यसभा सदस्य पी एल पुनिया की बढती दखलंदाजी को लेकर थी.