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जानवरों को बेचने पर लगाए गए बैन के खिलाफ आवाज उठाएंगी ममता बनर्जी

बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने भी केंद्र द्वारा वध के लिए (cattle for slaughter) जानवरों को बेचने पर लगाए गए बैन के खिलाफ आवाज उठाई है। ममता ने केंद्र सरकार के इस कदम को राज्यों के काम में जानबूझकर की जा रही दखलंदाजी और डेमोक्रेसी के खिलाफ बताया। ममता ने कहा कि ये गैरकानूनी कदम है और हम इसे कानूनी तौर पर चुनौती देंगे।

बता दें कि ममता के पहले केरल सरकार भी केंद्र के फैसले के खिलाफ विरोध दर्ज करा चुकी है। इस बीच केंद्र ने कहा कि वो बैन लिस्ट पर दोबारा विचार करेगा।एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में ममता ने कहा कि कत्ल के लिए जानवरों को बेचने पर नोटिफिकेशन के जरिए जो बैन लगाया गया है वो, राज्यों के काम में जानबूझकर की जा रही दखलंदाजी है। ये संविधान के भी खिलाफ है।

 

वेस्ट बंगाल की सीएम ने कहा हमारी सरकार इस नोटिफिकेशन को नहीं मानती। हम इस बारे में अपने एडवोकेट जनरल से सलाह लेंगे। जानवरों के बाजार राज्य सरकार के अंडर में होते हैं। इसलिए बैन गैरकानूनी है।मैं केंद्र सरकार से गुजारिश करती हूं कि वो राज्य के मामलों में दखल देना बंद करे।

ममता ने कहा- किसी को ये नहीं कहा जा सकता कि वो क्या खाए, और क्या नहीं। उन्होंने नोटिफिकेशन की टाइमिंग पर सवाल खड़ा किया। सरकार से पूछा- ये नोटिफिकेशन रमजान के दौरान ही क्यों जारी किया गया।केंद्र सरकार ने बूचड़खानों के लिए जिन मवेशियों को खरीदने और बेचने पर रोक लगाई है, उनमें से भैंसों को हटाया जा सकता है। 

इन्वायरमेंट मिनिस्ट्री के सेक्रेटरी एएन झा ने कहा कि हमें बैन लिस्ट को लेकर कुछ सुझाव मिले हैं। इन पर विचार किया जा रहा है।बैन लिस्ट में गाय, बैल, भैंस, बछड़े और ऊंट को शामिल किया गया है।सरकार ने बूचड़खानों के लिए मवेशियों को खरीदने और बेचने पर नोटिफिकेशन जारी कर रोक लगा दी। 

26 मई को केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन ने मोदी सरकार के फैसले के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि खरीदने और बेचने वालों को ये निश्चित करना होगा कि मवेशियों को मारा नहीं जाएगा। उन्होंने कहा कि नए नियम का मकसद एनिमल मार्केट और मवेशियों की बिक्री को कंट्रोल करना है।इसी मसले पर केरल के चीफ मिनिस्टर पिनाराई विजयन ने कहा था ये सही नहीं है कि सरकार लोगों के खाने की चीजें भी तय कर रही है।

इस फैसले के साथ सरकार उस सेक्टर को तबाह कर रही है, जो हजारों लोगों को रोजगार देता है। सरकार को नोटिफिकेशन जारी करने से पहले राज्यों के साथ बैठकर इस पर सलाह करनी चाहिए थी।केरल के अपोजिशन लीडर रमेश चेन्निथला ने कहा था मोदी सरकार शुरू से ही संवैधानिक अधिकारों को छीन रही है और ये बैन इस बात का ताजा उदाहरण है।

हैदराबाद में आल इंडिया जमीयत-उल-कुरेश के वाइस प्रेसिडेंट मो. सलीम ने कहा किसान अपने उन मवेशियों को बेचता है, जो उनके लिए काम के नहीं होते हैं। उस पैसे से वो दूसरे जानवर खरीदते हैं। गरीब आदमी मछली और मुर्गा नहीं खरीद सकता है। सरकार ये कानून लेकर आई तो हम इसको नहीं मानेंगे।

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