जीएसटी में बैंकों, एनबीएफसी और बीमा कंपनियों को हर राज्य में रजिस्ट्रेशन कराना पड़ेगा। सरकार ने उनके लिए सेंट्रलाइज्ड रजिस्ट्रेशन से इनकार कर दिया है। सरकारी बैंकों के प्रमुखों के साथ सोमवार को अरुण जेटली की मीटिंग के बाद रिवेन्यू सेक्रेटरी हसमुख अढिया ने कहा, बैंकों के सामने कोई ऑप्शन नहीं है। जीएसटी कानून में यही प्रावधान है।
बैंकों को इसके लिए तैयार हो जाना चाहिए।’ हालांकि बैंकों को कुछ राहत दी गई है। उन्हें राज्यों के लिए हर महीने सिर्फ एक इनवॉयस जेनरेट करना होगा। हर ट्रांजैक्शन के लिए अलग इनवॉयस जेनरेट करने की जरूरत नहीं होगी। दरअसल, बैंक, एनबीएफसी और बीमा कंपनियां देश भर में सेवाएं देती हैं। इसलिए ये अभी की तरह सिंगल रजिस्ट्रेशन चाहते हैं।
उनका कहना है कि हर राज्य में रजिस्ट्रेशन से प्रोसेसिंग और कंप्लायंस की दिक्कतें आएंगी। अभी बैंकों की कई सर्विसेज सेंट्रलाइज्ड होती हैं। मसलन, चेक बुक इश्यू करना।फाइनेंस मिनिस्टर के साथ मीटिंग में एक सेशन जीएसटी पर भी रखा गया था। अढिया ने कहा कि हमने बैंकों की कुछ परेशानियां दूर कर ली हैं। अब वो यह नहीं कह सकते कि अभी जीएसटी के लिए तैयार नहीं हैं।
मिनिस्ट्री के एक सीनियर अफसर ने बताया कि रविवार को जीएसटी काउंसिल की मीटिंग में केंद्र सरकार ने ई-वे बिल को कुछ महीने के लिए टालने का प्रपोजल रखा। हालांकि कई राज्य इसके लिए राजी नहीं थे। पश्चिम बंगाल और बिहार समेत कई राज्य इसे जीएसटी के साथ ही लागू करना चाहते हैं।
अब नेशनल इन्फॉर्मेटिक्स सेंटर (एनआईसी) देखेगा कि राष्ट्रीय ई-वे बिल सिस्टम जून अंत तक तैयार किया जा सकता है या नहीं। शुरू के तीन महीने जीएसटी नेटवर्क नए टैक्स नियमों को लागू करने में लगा रहेगा। इसलिए ई-वे बिल का प्लेटफॉर्म तैयार करने में छह महीने लग सकते हैं।
काउंसिल ने अप्रैल में इसका ड्राफ्ट जारी किया था। इसमें 50,000 रुपए से ज्यादा के सामान की ढुलाई के लिए जीएसटीएन पर रजिस्ट्रेशन करना और ई-वे बिल जेनरेट करना जरूरी है। हालांकि इसके रूल्स अभी फाइनल नहीं हुए हैं। रूल्स बनने के बाद ही सॉफ्टवेयर तैयार होगा।