विलय के विरोध में आज सरकारी बैंकों में हड़ताल

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यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन के आह्वान पर 29 जुलाई को राष्ट्रव्यापी हड़ताल का आह्वान किया गया है.देश भर के बैंकों की करीब 80,000 शाखाओं की सेवाएं प्रभावित हैं क्योंकि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के कर्मचारी शुक्रवार को एसबीआई के अनुषंगियों के मूल कंपनी में प्रस्तावित विलय और अन्य मामलों के विरोध में एक दिन की हड़ताल पर हैं.

सहायक बैंकों के भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) में विलय और सरकार द्वारा घोषित बैंकिंग सुधारों के विरोध में इस हड़ताल का आह्वान किया गया है.नौ बैंको की कर्मचारी और आफिसर्स यूनियनों के प्रमुख संगठन यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक्स यूनियंस (यूएफबीयू) ने हड़ताल पर जाने का फैसला किया है जिससे चेक समाशोधन, नकद जमा और निकासी तथा अन्य सेवाएं प्रभावित होने के आसार हैं. यूएफबीयू 8 लाख बैंककर्मियों का प्रतिनिधित्व करता है. 

 

यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन (यूएफबीयू) के आह्वान पर केंद्र सरकार द्वारा बैंकों के निजीकरण की नीतियों के खिलाफ बैंक कर्मचारियों के हड़ताल पर चले जाने के कारण कामकाज पूरी तरह से प्रभावित रहा जिसके कारण राज्य में लगभग दस हजार करोड़ रूपए का कारोबार प्रभावित हुआ.

यूएफबीयू के पंजाब संयोजक अमृतलाल ने बताया कि हड़ताल को लेकर अच्छी प्रतिक्रिया मिली है. उन्होंने बताया कि जिले की 700 बैंक शाखाओं के लगभग चार हजार बैंक कर्मचारी हड़ताल पर है जिससे लगभग आठ सौ करोड़ रूपए का कारोबार प्रभावित हुआ है.

केवल जालंधर शहर में ही लगभग 300 शाखाओं के तीन हजार से अधिक बैंककर्मी हड़ताल पर रहे जिसकी वजह से शहर में 200 करोड़ के चेक और 200 करोड़ रूपए का नकद लेनदेन प्रभावित हुआ.हड़ताल पर चल रहे कर्मचारियों ने शहर में एक रैली भी निकाली जिसमें लगभग दो हजार कर्मचारियों ने हिस्सा लिया.
      
गौरतलब है कि एसबीआई सहित ज्यादातर बैंकों ने ग्राहकों को सूचित कर दिया है कि 29 जुलाई को हड़ताल की वजह से सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं.एसबीआई ने बयान में कहा कि ऑल इंडिया स्टेट बैंक आफिसर्स फेडरेशन तथा ऑल इंडिया स्टेट बैंक ऑफ इंडिया स्टाफ फेडरेशन यूएफबीयू के सदस्य हैं. ऐसे में हड़ताल की वजह से बैंक का कामकाज भी प्रभावित होगा.     

ऑल इंडिया बैंक एम्पलाइज एसोसिएशन (एआईबीईए) के महासचिव सी एच वेंकटचलम ने कहा कि 26 जुलाई को मुख्य श्रम आयुक्त के साथ सुलह सफाई बैठक से कोई सकारात्मक नतीजा नहीं निकला.यदि उनकी मांगों पर विचार करती और उन्हें पूरा करती तो यूएफबीयू हड़ताल के आह्वान पर पुनर्विचार को तैयार था. हड़ताल की अपील में शामिल नेशनल आर्गनाइजेशन आफ बैंक वर्कर्स के उपध्यक्ष अनी राणा ने कहा कि ‘सरकार इन बैंकों की 100 प्रतिशत मालिक नहीं है. 

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