सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या विवाद का मामला मध्यस्थों को सौंप दिया। मध्यस्थता की बातचीत फैजाबाद में होगी। जस्टिस फकीर मुहम्मद खलीफुल्ला मध्यस्थता पैनल की अध्यक्षता करेंगे। इस पैनल में श्री श्री रविशंकर और वकील श्रीराम पंचू भी होंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पैनल 4 हफ्ते में मध्यस्थता के जरिए विवाद निपटाने की प्रक्रिया शुरू करे। 8 हफ्ते में यह प्रक्रिया खत्म हो जानी चाहिए। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि मध्यस्थता प्रक्रिया कोर्ट की निगरानी में होगी और इसे गोपनीय रखा जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जरूरत पड़े तो मध्यस्थ और लोगों को पैनल में शामिल कर सकते हैं। वे कानूनी सहायता भी ले सकते हैं।मध्यस्थों को उत्तरप्रदेश सरकार फैजाबाद में सारी सुविधाएं मुहैया कराएगी।
जस्टिस खलीफुल्ला : मूल रूप से तमिलनाडु के शिवगंगा जिले में कराईकुडी के रहने वाले हैं। उनका जन्म 23 जुलाई 1951 को हुआ था। 1975 में उन्होंने वकालत शुरू की थी। वे मद्रास हाईकोर्ट में न्यायाधीश और इसके बाद जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट में मुख्य न्यायाधीश रहे। उन्हें 2000 में सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश के तौर नियुक्त किया गया। 2011 में उन्हें कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश बनाया गया।
श्रीराम पंचू : वरिष्ठ वकील श्रीराम पंचू मध्यस्थता से केस सुलझाने में माहिर माने जाते हैं। कोर्ट से बाहर केस सुलझाने के लिए उन्होंने ‘द मीडिएशन चैंबर’ नाम की संस्था भी बनाई है। वे एसोसिएशन ऑफ इंडियन मीडिएटर्स के अध्यक्ष हैं। वे बोर्ड ऑफ इंटरनेशनल मीडिएशन इंस्टीट्यूट के बोर्ड में भी शामिल रहे हैं। असम और नागालैंड के बीच 500 किलोमीटर भूभाग का मामला सुलझाने के लिए उन्हें मध्यस्थ नियुक्त किया गया था।
श्रीश्री रविशंकर : आध्यात्मिक गुरु हैं। वे अयोध्या मामले में मध्यस्थता की निजी तौर पर कोशिश करते रहे हैं। इस संबंध में उन्होंने पक्षकारों से मुलाकात की थी। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलकर इस मसले को सुलझाने का एक फॉर्मूला भी पेश किया था।
श्रीश्री रविशंकर ने ट्वीट किया सबका सम्मान करना, सपनों को साकार करना, सदियों के संघर्ष का सुखांत करना और समाज में समरसता बनाए रखना – इस लक्ष्य की ओर सबको चलना है।
अयोध्या मामले को मध्यस्थ को सौंपे जाने को लेकर असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि अगर मुस्लिमों में अयोध्या पर अपना दावा नहीं छोड़ा तो भारत सीरिया बन जाएगा। श्रीश्री को मध्यस्थ पैनल में शामिल करने पर ओवैसी ने कहा कि यह बेहतर होता कि सुप्रीम कोर्ट किसी तटस्थ व्यक्ति को नियुक्त करता।
सुप्रीम कोर्ट में इलाहाबाद हाईकोर्ट के सितंबर 2010 के फैसले के खिलाफ दायर 14 अपीलों पर हो रही है। अदालत ने सुनवाई में केंद्र की उस याचिका को भी शामिल किया है, जिसमें सरकार ने गैर विवादित जमीन को उनके मालिकों को लौटाने की मांग की है।