अटल जी का अंतिम संस्कार आज, अंतिम दर्शन के लिए उमड़ी भीड़

तीन बार प्रधानमंत्री रहे अटल बिहारी वाजपेयी(93) का पार्थिव शरीर कृष्ण मेनन मार्ग स्थित उनके आवास पर रखा गया है। उनके अंतिम दर्शन के लिए देर रात से उनके निवास के बाहर लोगों की लंबी कतार है। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत भी सुबह श्रद्धांजलि देने पहुंचे।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह समेत कई नेता श्रद्धांजलि देने पहुंचे। अटलजी की पार्थिव देह को सुबह 9 बजे भाजपा मुख्यालय ले जाया जाएगा। दोपहर 1 बजे अंतिम यात्रा शुरू होगी, जो राजघाट तक जाएगी।

वाजपेयी की अंतिम यात्रा भाजपा मुख्यालय से दीनदयाल उपाध्याय मार्ग (डीडीयू) से होते हुए आईटीओ ट्रैफिक सिग्नल और वहां से राजघाट के पीछे विजय घाट पहुंचेगी। भाजपा मुख्यालय से यहां तक की दूरी लगभग पांच किलोमीटर है। वहां, महात्मा गांधी के स्मृति स्थल के नजदीक 4 बजे अटलजी का अंतिम संस्कार किया जाएगा।

उनके निधन पर 7 दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की गई।अटलजी के निधन पर देश के 12 से ज्यादा राज्यों ने राजकीय शोक और अवकाश की घोषणा की। इनमें दिल्ली, उत्तरप्रदेश, गुजरात, मध्यप्रदेश, ओडिशा, पंजाब, बिहार, झारखंड, हरियाणा, तेलंगाना, तमिलनाडु और कर्नाटक राज्य शामिल हैं।

इन राज्यों में सरकारी कार्यालय, स्कूलों और कॉलेजों में आज अवकाश रहेगा। दिल्ली में व्यापारियों ने भी सभी बाजार बंद रखने का फैसला किया है। अटलजी ने गुरुवार शाम 5.05 बजे एम्स में अंतिम सांस ली थी।विजय घाट स्थित स्मृति स्थल पर गुरुवार शाम से ही भारी पुलिस फोर्स तैनात कर दी गई है।

दिल्ली पुलिस की सुरक्षा यूनिट स्मृति स्थल के अंदर और बाहर तैनात है। बीएसएफ पहले से स्मृति स्थल की निगरानी करती रही है। यमुना के किनारे ही करीब डेढ़ एकड़ जमीन पर अटल बिहारी वाजपेयी का समाधि स्थल बनाया जाएगा।

यूपीए सरकार ने नदी के किनारे समाधि स्थल बनाने पर रोक लगा दी थी, लेकिन मोदी सरकार इस फैसले को पलटते हुए यमुना नदी के किनारे समाधि स्थल बनाने का फैसला लिया है। इस संबंध में मोदी सरकार जल्द अध्यादेश ला सकती है।

पाकिस्तान तहरीक-इंसाफ के नेता इमरान खान ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी राजनीति के एक बड़े व्यक्तिव थे। भारत-पाक संबंधों के सुधार के लिए उनके प्रयासों को हमेशा याद किया जाएगा। चीन के राजदूत लुयो झाओहुई ने ट्वीट किया- अटल बिहारी वाजपेयी के निधन से गहरा दुख पहुंचा है।

भारत स्थित अमेरिकी दूतावास ने कहा पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने शासनकाल में अमेरिका के साथ मजबूत रिश्तों पर जोर दिया। ब्रिटेन और जापान के राजदूत ने कहा कि वे वैश्विक नेताओं में से एक थे। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने कहा कि बांग्लादेश के लोगों में भी अटल बिहारी वाजपेयी काफी लोकप्रिय थे। उनके निधन से दुख हुआ।

नरेंद्र मोदी ने अटलजी को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि उनका जाना सिर से पिता का साया उठने जैसा है। इससे पहले उन्होंने ट्वीट में कहा- मैं नि:शब्द हूं, शून्य में हूं, लेकिन भावनाओं का ज्वार उमड़ रहा है। हम सभी के श्रद्धेय अटलजी हमारे बीच नहीं रहे। यह मेरे लिए निजी क्षति है।

अपने जीवन का प्रत्येक पल उन्होंने राष्ट्र को समर्पित कर दिया था। उनका जाना, एक युग का अंत है।वाजपेयी मध्य प्रदेश के ग्वालियर में 25 दिसंबर 1924 को जन्मे। वे मूलत: कवि थे और शिक्षक भी रह चुके थे। 1951 में जनसंघ की स्थापना हुई और अटलजी ने चुनावी राजनीति में प्रवेश किया।

1957 में वाजपेयी मथुरा से लोकसभा चुनाव लड़े, लेकिन हार गए। हालांकि, बलरामपुर सीट से वह जीत गए। 1975-77 के आपातकाल के दौरान वह गिरफ्तार किए गए। 1977 के बाद जनता पार्टी की मोरारजी देसाई की सरकार में वह विदेश मंत्री भी रहे। 1980 में उन्होंने लालकृष्ण आडवाणी के साथ मिलकर भारतीय जनता पार्टी की नींव रखी। वह 10 बार लोकसभा सदस्य रहे।

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