नीतीश कुमार की एनडीए में वापसी से बीजेपी 2019 के लिए हुई मजबूत

नीतीश कुमार की एनडीए में वापसी हो गई है। बीजेपी का सपोर्ट मिलने के बाद उन्होंने बिहार के सीएम पद की शपथ ली। बीजेपी लीडर्स का मानना है कि नीतीश के आने के बाद 2019 के लिए बीजेपी की राह और मजबूत हो गई है। उनके मुताबिक, अगर सभी विपक्षी दल मिलकर यूनाइटेड अपोजिशन बनाते हैं तो उसके लिए लोकप्रिय चेहरा ढूंढना मुश्किल हो जाएगा।

लालू यादव कई बार यूनाइटेड अपोजिशन की बात उठा चुके हैं। बता दें कि बीजेपी की देश के 13 राज्यों में सरकार है। 5 राज्यों में पार्टी सरकार की सहयोगी है। दो राज्य ऐसे हैं, जहां की रूलिंग पार्टी के साथ बीजेपी के रिश्ते दोस्ताना नजर आ रहे हैं। पार्टी ठीक उसी राह पर है, जिस पर कभी कांग्रेस अपनी लोकप्रियता के दिनों में हुआ करती थी।

बीजेपी को 2014 में लोकसभा चुनाव में 282 सीटें मिली थीं। सबसे ज्यादा 71 सीटें यूपी से मिली थीं, जहां इसी साल हुए विधानसभा चुनाव के बाद उसी की सरकार है।जेडीयू के साथ मिलकर बिहार में सरकार बनाने के बाद अब बीजेपी देश की 70% आबादी और 58% इकोनॉमी पर शासन कर रही है, ऐसा मुकाम पहली बार हासिल किया है।

बीजेपी देश के प्रमुख राज्यों में आगे बढ़ रही है। उसकी अलायंस पार्टियां 12 में से 7 राज्यों में सत्ता में हैं। और ये राज्य 20 से ज्यादा सांसद भेज सकते हैं।तमिलनाडु और ओडिशा जैसे स्टेट्स में बीजेपी की सरकार नहीं है। तमिलनाडु में AIADMK और ओडिशा में BJD की गवर्नमेंट है। लेकिन, इन दोनों पार्टियों का झुकाव भी बीजेपी की ओर ही दिख रहा है।

-राष्ट्रपति चुनाव में भी दोनों पार्टियों ने एनडीए के कैंडिडेट रामनाथ कोविंद के पक्ष में ही वोट डाले थे।130 साल पुरानी कांग्रेस के पास केवल एक बड़ा स्टेट कर्नाटक बचा हुआ है। लेकिन, यहां भी बीएस येदियुरप्पा की लीडरशिप में बीजेपी 2018 में मजबूत पोजिशन बनाने के लिए ओवरटाइम कर रही है। जिन राज्योें में नॉन-बीजेपी और कांग्रेस की सरकार है, उनमें केरल और प. बंगाल ही अहम हैं।

बीजेपी की पैठ साउथ के राज्यों में भी बढ़ी है। आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु की रूलिंग पार्टियों के साथ बीजेपी के दोस्ताना रिश्ते हैं।आंध्र प्रदेश में एनडीए की सहयोगी टीडीपी की सरकार है। वहीं तेलंगाना की टीआरएस और तमिलनाडु की AIADMK के साथ बीजेपी के रिश्ते दोस्ताना नजर आ रहे हैं।सीनियर बीजेपी लीडर्स के मुताबिक गुड गवर्नेंस और ईमानदारी के लिए नीतीश जाने जाते हैं।

ऐसे में एनडीए के खिलाफ एक यूनाइटेड अपोजिशन को तैयार करने में मुश्किल आएगी। सबसे बड़ा सवाल ये है कि अगर ऐसा कोई यूनाइटेड अपोजिशन बनता है तो 2019 में उसका चेहरा कौन होगा? अखिलेश, मायावती, ममता या लालू यादव? बीजेपी लीडर ने कहा कि इनमें से कोई भी करप्शन या गुड गवर्नेंस के मुद्दे पर हमसे नहीं टकरा सकता है। नीतीश का मामला अलग है।

Check Also

आरबीआई ने सभी क्रेडिट सूचना कंपनियों को दिया एक आंतरिक लोकपाल नियुक्त करने का निर्देश

आरबीआई ने सभी क्रेडिट सूचना कंपनियों को 1 अप्रैल, 2023 तक एक आंतरिक लोकपाल नियुक्त करने …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *