वित्तमंत्री अरूण जेटली ने कहा कि हमें कालाधन को उचित ठहराने के बहाने तलाशना और किसानों का सहारा लेना बंद करना चाहिए और डिजिटल एवं लैसकैश व्यवस्था को बढ़ावा देने में सहयोग करना चाहिए.विधेयक में 31 दिसंबर 2016 के बाद पुराने 1000 और 500 रुपये के नोटों को रखने वालों पर 10,000 रुपये का जुर्माना या उल्लंघन करते हुए रखे गये विनिर्दिष्ट बैंक नोटों के अंकित मूल्य की रकम के पांच गुना, जो भी ज्यादा हो, अदा करने का दंडनीय प्रावधान है.
विमुद्रीकरण के फैसले को उचित ठहराते हुए जेटली ने कहा यह सैद्धांतिक और नैतिक रूप से भी सही है क्योंकि जो पैसा बैंकिग व्यवस्था से बाहर था, वह व्यवस्था में आ गया और उसके मालिक का पता चल गया तथा अब उसे कर देना पड़ेगा.इस बारे में कांग्रेस सहित कुछ विपक्षी सदस्यों के आरोपों को निराधार बताते हुए वित्तमंत्री ने कहा कि कालाधन को उचित ठहराने के बहाने तलाशना छोड़ दें.
किसानों का नाम लेना छोड़ दें क्योंकि किसानों का पैसा सफेद होता है. उन्होंने आरोप लगाया कि इस फैसले से किसी को परेशानी हो रही है तो विपक्ष को हो रही और वे विरोध भी संसद में दिखा रहे हैं.विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए जेटली ने कहा कि विमुद्रीकरण का निर्णय पारदर्शिता लाने वाला, सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने वाला कदम है जो डिजिटल व्यवस्था को आगे बढ़ाने और कैश लैस व्यवस्था को प्रोत्साहित करेगा.
बैंकों में धीरे धीरे पर्याप्त मात्रा में धन डाला गया है.कांग्रेस पर निशाना साधते हुए जेटली ने कहा कि लोकसभा में पार्टी के नेता मल्लिकाजरुन खड़गे बताएं कि उनकी सरकार (पूर्ववर्ती संप्रग) ने कालाधन के बारे में क्या एक भी कदम उठाया ? आपने कुछ भी नहीं किया.उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने कालाधन पर एसआईटी गठित करने के साथ सख्त कानून बनाये और विभिन्न देशों के साथ दोहरा कराधान समझौता किया.
मंत्री के जवाब के बाद लोकसभा ने नोटबंदी से संबंधित विनिर्दिष्ट बैंक नोट (दायित्वों की समाप्ति) अध्यादेश 2016 की जगह लेने वाले विनिर्दिष्ट बैंक नोट (दायित्वों की समाप्ति) विधेयक 2017 को ध्वनिमत से पारित कर दिया. वित्तमंत्री अरूण जेटली ने कहा कि सौगत राय, एन के प्रेमचंद्रन जैसे कुछ सदस्यों ने विमुद्रीकरण के निर्णय को लेकर कानूनी सवाल उठाये हैं.
मैं विनम्रतापूर्वक कहना चाहता हूं कि आपने आरबीआई की धारा 26 के दो उपबंधों को ठीक से नहीं पढ़ा. उन्होंने कहा कि आरबीआई की धारा 26 (1) में कहा गया है कि यह धारा 26 (2) के प्रावधानों से संबंधित है.
उन्होंने कहा कि धारा 26 (2) कहती है कि अधिसूचना जारी करके किसी श्रृंखला के बैंक नोट को प्रचलन से बाहर किया जा सकता है. आठ नवंबर को आरबीआई के सेंट्रल बोर्ड ने सिफारिश की और केंद्र सरकार ने उच्च श्रेणी के नोटों के विमुद्रीकरण का निर्णय किया.
जेटली ने कहा कि नोटबंदी के कारण खेती और किसानी पर कोई फर्क नहीं पड़ा है क्योंकि अगर उस पर कोई असर पड़ता तो खेती के बुवाई क्षेत्र में वृद्धि नहीं होती. इसलिए विपक्ष किसानों की चिंता न करे, वह स्वयं कर लेगा. किसानों पर कोई कर नहीं लगने वाला. उन्होंने कहा कि नोटबंदी का प्रभाव कर नहीं देने वालों पर पड़ेगा.
वित्त मंत्री ने कहा कि मेरे पास नवंबर और दिसंबर के आंकड़े आए, उस समय नोटबंदी का असर था. कुछ क्षेत्रों पर प्रभाव पड़ा. लेकिन कृषि की बुवाई क्षेत्र बढ़ गयी. उन्होंने कहा कि क्यों दिसंबर के महीने में केंद्र का सीमा शुल्क जमा बढ़ गया और राज्यों का वैट जमा बढ़ गया जबकि दिसंबर में नोटबंदी का सबसे अधिक प्रभाव था.
जेटली ने कहा कि कोई भी अर्थव्यवस्था अमान्य की गई मुद्रा को प्रचलन में बनाये रखते हुए आगे नहीं बढ़ सकती. इससे अराजकता फैल जायेगी. उन्होंने कहा कि कोई भी अर्थव्यवस्था समानांतर अर्थव्यवस्था और समानांतर मुद्रा के साथ नहीं चल सकती है. और इसी को रोकने के लिए यह विधेयक लाया गया है.
वित्त मंत्री ने कहा कि भारत में 86 प्रतिशत मुद्रा उच्च श्रेणी के नोटों के रही है और इसलिए हम किसी दूसरे देश से इसकी तुलना नहीं कर सकते. नकदी व्यवस्था के कारण यह पता नहीं चलेगा कि किसके धन का लेनदेन हो रहा है.
विधेयक के उद्देश्यों और कारणों में कहा गया है कि संसद सत्र में नहीं होने के कारण यह विधान लाना आवश्यक हो गया था. इसलिए राष्ट्रपति द्वारा बैंक नोटों में दायित्वों को समाप्त करने के लिए तारीख 31 दिसंबर 2016 को विनिर्दिष्ट बैंक नोट (दायित्वों की समाप्ति) अध्यादेश 2016 को मंजूरी दी गई थी.
विधेयक में प्रावधान है कि कोई व्यक्ति 31 दिसंबर 2016 के नियत दिन के बाद से विनिर्दिष्ट बैंक नोट यानी 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों को नहीं रखेगा, अंतरित या प्राप्त नहीं करेगा. विधेयक में इस धारा का उल्लंघन करने वालों पर 10,000 रुपये का जुर्माना या उल्लंघन करते हुए रखे गये विनिर्दिष्ट बैंक नोटों के अंकित मूल्य की रकम के पांच गुना, जो भी ज्यादा हो, अदा करने का दंडनीय प्रावधान है.विधेयक के अनुसार, अंकित मूल्य का विचार किये बिना कुल दस नोटों से अधिक नहीं रखने वालों और अध्ययन, अनुसंधान या मुद्राशास्त्र के लिए प्रयोजनों के लिए 25 नोटों से अधिक नहीं रखने वालों पर.
यह दंडनीय प्रावधान लागू नहीं होगा.विधेयक में यह उपबंध है कि भारत का कोई नागरिक अगर घोषणा करता है कि वह नौ नवंबर से 30 दिसंबर 2016 के बीच भारत से बाहर था और जो आठ नवंबर 2016 को या उससे पहले 500 और 1000 रुपये के अमान्य किये गये नोट रखे हुए था उसे अनुग्रह अवधि ग्रेस पीरियड के भीतर ऐसी घोषणाओं या कथनों के साथ रिजर्व बैंक के कार्यालयों में या उसके द्वारा निर्धारित तरीके से जमा करने का अधिकार होगा.
विधेयक में अनुग्रह अवधि से आशय केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचना के माध्यम से निर्दिष्ट उस अवधि से है जिसमें कानून के मुताबिक पुराने नोट जमा किये जा सकते हैं. इसमें कहा गया है कि कोई घोषणा जानबूझकर की जाती है और असत्य है तो उस पर 50,000 रुपये तक का जुर्माना या दिये गये बैंक नोटों के अंकित मूल्य की रकम का पांच गुना, जो भी अधिक है, दंड के तौर पर देना होगा.