भारत सरकार अब खरीदेगी आर्मी के लिए एंटी मटेरियल राइफल्स। अार्मी ने 1500 एंटी मटेरियल लाइटवेट राइफल्स खरीदने की प्रॉसेस शुरू कर दी है। ये डील लंबे समय से रुकी हुई थी। ये राइफल्स टैंक्स, लो-फ्लाइंग हेलिकॉप्टर और बंकर्स को तबाह कर सकती हैं। राइफल खरीद के लिए रिक्वेस्ट फॉर इन्फॉर्मेशन (RFI) भेजी गई। 15 मई तक इस डील के लिए इंट्रेस्टेड मैन्युफैक्चरर्स को RFI का जवाब देना होगा।
RFI के मुताबिक इन राइफल्स की रेंज 1.8 किलोमीटर होगी और इनका वजन 15 किलोग्राम से ज्यादा नहीं होगा।12.7mm/0.50 कैलिबर वाली इन राइफल्स में अार्मर पियर्सिंग एक्सप्लोसिव इन्सेंडेअरी, हाई आर्मर पियर्सिंग इन्सेंडेअरी, ट्रेसर, लाइट आर्मर पेनेट्रेटर जैसे एम्युनिशन रहेंगे।
इन राइफल्स के जरिए सेना की मजबूती बढ़ाई जाएगी। साथ ही इनसे खासतौर पर जम्मू-कश्मीर में ऑपरेशंस के दौरान काफी मदद मिलेगी।मौजूदा वक्त में आर्मी में ऐसे साउथ अफ्रीकन हथियार यूज किए जा रहे हैं, लेकिन ये हल्के नहीं हैं। इसलिए लाइटवेट राइफल्स की खरीद की जाएगी।
एंटी मटेरियल लाइटवेट राइफल्स की खरीद लंबे समय से अटकी हुई है। इससे पहले 2005 में यूपीए गवर्नमेंट ने खरीद की डील कैंसल कर दी थी।तब साउथ अफ्रीकन फर्म डेनेल को यूपीए सरकार ने बैन किया था। फर्म पर डील हासिल करने के लिए घूस देने के आरोप थे।2002 में इंडियन आर्मी को 1000 NTW-20 एंटी मटेरियल राइफल्स देने की डील हुई थी।
इसके साथ 3.98 लाख राउंड्स एम्युनिशन भी दिया जाना था।2002 की डील के तहत 700 राइफल्स की सीधे खरीद की जानी थी। इसके अलावा 300 राइफल्स का प्रोडक्शन ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड में किया जाना था।इसके बाद केवल 400 राइफल्स आर्मी को सौंपी गईं। 2005 में कंपनी ब्लैक लिस्ट होने के बाद इस पर रोक लगई।
RFI के मुताबिक, अगर फॉरेन वेंडर्स से डील होती है, तो उनसे ये भी पूछा जाएगा कि क्या वो इसकी टेक्नोलॉजी साझा करने को तैयार होंगे। इस स्थिति में इंडियन इंडस्ट्री में इनका प्रोडक्शन हो सकेगा।मैन्युफैक्चरर्स से एनुअल मेंटेनेंस, प्रोडक्शन सपोर्ट पैकेज और क्रू ट्रेनिंग की एनुअल कॉस्ट की डिटेल भी मांगी है।
देश की डिफेंस रिसर्च एंड डेवलेपमेंट ऑर्गनाइजेशन (DRDO) ने 2007 में विध्वंसक राइफल्स बनाई थीं।मल्टी कैलिबर वाली इंडियन एंटी मटेरियल राइफल्स बंकर्स, लाइट आर्मर्ड व्हीकल, राडार सिस्टम, पार्क्ड एअरक्राफ्ट, फ्यूल स्टोरेज फैसेलिटीज आदि को तबाह करने के मकसद से बनाया गया था।इंडियन आर्मी को ये राइफल्स दी गई थीं, लेकिन वजन की समस्या को लेकर इनका इस्तेमाल नहीं किया गया।