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आर्मी चीफ जनरल बिपिन रावत के बयान पर भड़का चीन

जनरल बिपिन रावत के डोकलाम को विवादित इलाका बताने पर चीन ने नाराजगी जताई। चीनी फॉरेन मिनिस्ट्री ने कहा कि आर्मी चीफ का यह बयान सीमा पर शांति बनाने के दिशा में मददगार साबित नहीं होगा। जबकि ब्रिक्स समिट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रेसिडेंट शी जिनपिंग के बीच इस मुद्दे पर सहमति बन चुकी है।

दूसरी ओर, पिछले दिनों अरुणाचल प्रदेश के तूतिंग में चीनी सैनिकों की घुसपैठ पर इंडियन आर्मी ने कहा कि हमारे सैनिक पूरी तरह से तैयार हैं। उम्मीद है कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के जवान आगे कहीं पर भी ऐसी गलती करने की कोशिश नहीं करेंगे। बता दें कि पिछले साल जुलाई से 28 अगस्त तक सिक्किम सेक्टर के डोकलाम में दोनों देशों की सेनाएं 74 दिन तक आमने-सामने रही थीं।

चीनी फॉरेन मिनिस्ट्री के स्पोक्सपर्सन लु कांग ने कहा पिछले साल भारत और चीन के रिश्तों में उतार चढ़ाव देखने को मिले, लेकिन मोदी और जिनपिंग के बीच मीटिंग से रिश्तों को मजबूती मिली। अब आर्मी चीफ का बयान मजबूत हो रहे डिप्लोमैटिक रिलेशंस के लिहाज से सही नहीं है। इसका असर सीमा पर शांति कायम करने पर हो सकता है।

डोकलाम हमेशा से चीन का हिस्सा है। इसे लेकर हमारा विवाद सिर्फ भूटान के साथ है। इसमें भारत के आर्मी चीफ को बयान देने का जरूरत नहीं है। चीन चाहता है कि भारत पहले हुई ट्रीटी के मुताबिक, इस इलाके में सीमा रेखा तय करे।जनरल रावत ने कहा था कि चीन भले ही ताकतवर देश है, लेकिन भारत भी कमजोर नहीं है। भारत अपनी सीमा में किसी भी देश को अतिक्रमण नहीं करने देगा।

हमारे पास सीमा पर सभी तरह के विवाद से निपटने के लिए मजबूत “मैकेनिज्म’ है। उत्तरी सीमा पर चीन से लगी एलएसी पर विवाद जारी है, जिसे हम रोकने की कोशिशों में लगे हैं।जनरल रावत ने कहा था कि अब हालात 1962 जैसे नहीं हैं और हर क्षेत्र में सेना की ताकत बढ़ी है। सीमा पर हर जगह भारतीय सैनिकों की तैनाती को भी बढ़ाया गया है।

डोकलाम के उत्तरी इलाके में चीन के सैनिकों की मौजूदगी है, लेकिन उनकी संख्या कम हुई है। यहां चीन 2000 से सड़क बना रहा है।सेना के स्तर पर हम मजबूत हैं, लेकिन अकेले सेना ही चीन से नहीं निपट सकती। इसके लिए भारत को पड़ोसी देशों के साथ भी सहयाेग बढ़ाना होगा। खास तौर पर श्रीलंका, भूटान, म्यांमार और अफगानिस्तान जैसे पड़ोसी देशों को साथ लेकर चलना होगा। ताकि चीन की ताकत को बैलेंस किया जा सके।

उधर , ईस्टर्न कमांड के ऑफिसर कमांडिंग ले. जनरल अभय कृष्णा ने आर्मी डे के मौके पर बताया कि चीनी आर्मी की एक टीम अरुणाचल के पास तूतिंग में रोड बनान रही थी। जानकारी मिलते ही हमारे सैनिक वहीं पहुंचे और चीनी सैनिकों से बात कर उन्हें वापस लौटा दिया।उन्होंने कहा हमारी सेना पूरी तरह से तैयार है। हमारे सैनिक तूतिंग में मौजूद थे। वे (चीनी सैनिक) उस इलाके से सामान छोड़कर भाग खड़े हुए। उम्मीद है कि चीन दोबारा ऐसी गलती नहीं करेगा।

ले. जनरल कृष्णा ने कहा भारत एक मैच्योर देश है। इसलिए हमने कुछ दिन बाद बातचीत कर रोड बनाने वाली उन्हें मशीनें लौटा दीं। इस दौरान चीनी सैनिकों को बताया कि ये नियंत्रण रेखा है और यहां से भारतीय सीमा शुरू हो जाती है, आप इसे क्रास नहीं कर सकते हैं। इसके बाद चीनी सैनिकों ने गलती के लिए माफी मांगी और कहा कि यह भूलवश हुआ है, हम आगे से ऐसा नहीं करेंगे।

कृष्णा ने कहा कि 28 अगस्त को डोकलाम विवाद खत्म होने के बाद हमारी रणनीति में कोई बदलाव नहीं आया है। इंडियन आर्मी चीन से अरुणाचल और असम आने वाली ब्रह्मपुत्र नदी के आसपास इन्फ्रास्ट्रक्टर और लॉजिस्टिक जुटा रही है। ताकि किसी भी कठिन हालात में हमारे जवान आसानी से मेक मोहन लाइन तक पहुंच सकें, क्योंकि पूरी आर्मी को एक साथ सीमा पर नहीं बैठा सकते हैं।

इसीलिए इन इलाकों में रिसोर्स जमा किए जा रहे हैं।दिसंबर, 2017 के आखिरी हफ्ते में चीनी आर्मी की एक टुकड़ी रोड बनाने वाली पार्टी के साथ अरुणाचल के सियांग जिले में 200 मीटर अंदर घुस आए थे। 28 दिसंबर तक उन्होंने तूतिंग इलाके में तिब्बत से बहने वाली नदी के किनारे करीब 1250 मीटर सड़क भी बना ली।

आईटीबीपी के एक पोर्टर (लोकल यूथ) ने इसकी जानकारी जवानों को दी। इसके बाद भारतीय जवानों की टुकड़ी पहुंची और चीनी सैनिकों से बात कर उन्हें वापस लौटा दिया।बता दें कि 22 दिसंबर को ही भारत और चीन के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों (अजीत डोभाल और जीईची) के बीच दिल्ली में मीटिंग हुई थी। इसके बाद चीन ने एक बार फिर भारतीय सीमा में घुसपैठ की।

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