दिल्ली में आंदोलन से पहले सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने 20 सदस्यीय नई राष्ट्रीय कोर समिति का ऐलान किया है. हजारे ने एक बयान में कहा कि अलग-अलग राज्यों से आने वाले नए सदस्यों ने हलफनामा देकर वचन दिया है कि वे कभी भी राजनीति पार्टी में शामिल नहीं होंगे या चुनाव नहीं लड़ेंगे.
हजारे की योजना दिल्ली में प्रदर्शन कर सक्षम लोकपाल की नियुक्ति के लिए दवाब बनाना और किसानों के मुद्दों को रेखांकित करने की है. वरिष्ठ गांधीवादी ने हाल में कहा था कि उनका आंदोलन एक और केजरीवाल नहीं देगा और वह प्रतिभागियों से हलफनामा लेंगे कि वे राजनीति में नहीं जाएंगे.
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल लोकपाल विधेयक के लिए हजारे के आंदोलन से सुर्खियों में आए थे. बाद में चुनावी राजनीति में आने का निर्णय लेने के बाद केजरीवाल हजारे से अलग हो गए थे और आम आदमी पार्टी की स्थापना की थी.
अन्ना हजारे ने कहा 23 मार्च के आंदोलन से पहले, मैं लोगों को जगाने के लिए समूचे देश में जन-जागरण यात्रा निकाल रहा हूं. इस यात्रा के दौरान बहुत सारे लोगों ने आंदोलन को अपना समर्थन दिया है. उन्होंने कहा पहले चरण में, हमने राष्ट्रीय स्तर पर एक कोर समिति गठित की है, जिसमें 20 सदस्य हैं.
23 मार्च के आंदोलन से पहले, टीम को 40-50 सदस्यों का कर दिया जाएगा. हजारे ने कहा इन सभी कार्यकर्ताओं को एक साल के लिए कोर समिति में नियुक्त किया गया है और उन्हें नियुक्ति पत्र जारी कर दिए गए हैं.उल्लेखनीय है कि इससे पहले बीते 5 फरवरी को समाजसेवी अन्ना हजारे ने कहा कि वह अगले 23 मार्च से फिर से रामलीला मैदान में धरने पर बैठेंगे.
उनका आंदोलन किसानों के साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ होगा. हजारे ने कहा कि सरकार हमें जेल में डालना चाहे तो डाल दे हम जेल जाने से डरने वाले नहीं है. हम पहले दो बार जेल में गए तो महाराष्ट्र की सरकार गिर गई और एक बार मनमोहन सिंह की केंद्र में सरकार का पतन हो गया.
हजारे ने बजट में अरुण जेटली द्वारा किसानों को डेढ़ गुना समर्थन मूल्य देने की बात पर कटाक्ष करते हुए कहा उन्होंने कि उन्हें पहले नीति आयोग से बात करनी चाहिए थी, तभी इस बात को बजट में शामिल करना था. हजारे ने सरकार से मांग की है कि जो किसान 60 साल की उम्र पार कर चुका है और उसके घर में रोजगार के कोई साधन नहीं है तो उसे सरकार 5000 प्रतिमाह की पेंशन दे. 23 मार्च तक इस शर्त को सरकार इसे मान ले तो आंदोलन नहीं होगा.