अमित शाह ने आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर नोटबंदी को व्यापक तौर पर पेश करते हुए जोर देकर कहा कि पार्टी ने कांग्रेस और अन्य दलों का गरीब समर्थक मुद्दा छीन लिया है। शाह ने साथ ही यह दावा भी किया कि गरीब अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का समर्थन कर रहे हैं। शाह ने यह स्पष्ट किया कि नियंत्रण रेखा के पार लक्षित हमले के साथ ही नोटबंदी पार्टी के लिए दो प्रमुख प्रचार के मुद्दे होंगे।
उन्होंने दोनों को ऐतिहासिक बताते हुए दावा किया कि नोटबंदी के निर्णय के परिणामस्वरूप और अधिक राजस्व प्राप्त होगा जिसे गरीबों के लिए कल्याणकारी योजनाओं पर खर्च किया जाएगा।शाह ने पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में अपने स्वागत संबोधन में नोटबंदी की आलोचना करने वाले अपने प्रतिद्वंद्वियों पर निशाना साधा और कहा कि वे पहले सवाल करते थे कि सरकार ने कालेधन के खिलाफ क्या किया है और वे अब पूछ रहे हैं कि उसने ऐसा निर्णय क्यों किया।
उन्होंने कहा उनके क्या से क्यों की ओर मुड़ जाने से वे बेनकाब हो गए हैं।’ उन्होंने जोर देकर कहा कि भाजपा सभी पांच राज्यों उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में होने वाले विधानसभा चुनावों में जीत दर्ज करेगी। शाह ने गत वर्ष सितम्बर में कोझीकोड में आयोजित भाजपा की पिछली राष्ट्रीय कार्यकारिणी का उल्लेख करते हुए कहा कि उसके नेताओं ने तब उरी आतंकवादी हमले का दर्द महसूस किया था।
शाह ने उसके बाद किये गए सरकार के दो ‘ऐतिहासिक’ निर्णयों को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, ‘भारत ने पहली बार ऐसे लक्षित हमले को अंजाम दिया। पूरे विश्व ने भारत की ताकत की प्रशंसा की। वह महान बहादुरी का एक उदाहरण था। यह लक्षित हमला आतंकवाद को भारत का जवाब है। भाजपा ने हमेशा ही आतंकवाद के खिलाफ बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं करने की अपनी नीति की बात की है और अब तदनुरूप कार्य किया है।’
उन्होंने कहा, ‘नोटबंदी भी एक साहसिक और ऐतिहासिक निर्णय था। लोगों ने केवल देश चलाने के लिए नहीं बल्कि उसकी दिशा बदलने और गरीबों का भाग्य बदलने के लिए हमें वोट दिया था। वे चाहते थे कि हम गरीबों के लिए कल्याणकारी योजनाएं शुरू करें और उनके लिए और कदम उठायें। इसी कारण से लोगों ने इसकी प्रशंसा की है और गरीब इसका समर्थन कर रहे हैं।’
उन्होंने कहा कि विभिन्न्न सर्वेक्षणों में इस कदम को जनता का जबर्दस्त समर्थन दिखा है। उन्होंने कहा कि इसने विपक्ष को परेशान कर दिया है। शाह ने कहा, ‘विपक्ष बेनकाब हो गया है और उसे समझ में नहीं आ रहा कि क्या करे क्योंकि ऐतिहासिक कारणों से कुछ दलों को वरीयता देने वाले गरीब अब मोदी और भाजपा का समर्थन कर रहे हैं गरीब समर्थक मुद्दा इन दलों से छिन गया है।