मुंबई-अहमदाबाद हाईस्पीड रेलवे लाइन का निर्माण 2017 से शुरू हो जाएगा और इस पर 2023 के आरंभ में देश की पहली बुलेट ट्रेन के दौड़ने की संभावना है.रेलवे बोर्ड के सूत्रों ने बताया कि जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे की भारत यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच हुए करार के मुताबिक इस 508 किलोमीटर लंबी हाईस्पीड रेलवे लाइन, स्टेशनों एवं अन्य सुविधाओं का निर्माण कार्य पांच साल में पूरा होगा. इसके अतिरिक्त एक से डेढ़ साल तैयारी के लिए चाहिए.
समझौते के मुताबिक मुंबई के बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लैक्स में स्टेशन बनाया जाएगा. बुलेट ट्रेन वहां से सुरंग के रास्ते महानगर से बाहर निकलेगी और धरातल पर कुछ ऊंचाई पर निर्मित पुश्ते पर बनी लाइन पर दौड़ते हुए अहमदाबाद पहुंचेगी. वहां मुख्य स्टेशन अहमदाबाद रेलवे स्टेशन होगा जहां से यात्री आगे की गाड़ियां पकड़ सकेंगे.
साबरमती में गाड़ी का यार्ड बनाया जाएगा. रेललाइन शहरी इलाकों में पुल से होकर गुजरेगी. रेल लाइन का करीब 27 किलोमीटर हिस्सा सुरंग, लगभग 122 किलोमीटर पुलों पर और बाकी जमीन पर होगा. मुंबई से अहमदाबाद तक कुल 12 स्टेशन होंगे- मुंबई, ठाणे, विरार, भोईसर, वापी, बिलिमोरा, सूरत, भरूच, वड़ोदरा, आणंद, अहमदाबाद और साबरमती.इस स्टेंडर्ड गेज लाइन पर द्रुतगामी सेवा की कुल यात्रा अवधि दो घंटे सात मिनट होगी और हर स्टेशन पर रुकने वाली गाड़ी दो घंटा 58 मिनट में यात्रा पूरी करेगी. गाड़ी की अधिकतम रफ्तार 350 किलोमीटर प्रतिघंटा और वास्तविक गति 320 किलोमीटर प्रतिघंटा होगी.
सूत्रों ने बताया कि आरंभ में बुलेट ट्रेन के 10 से 12 रैक जापान से मंगाये जाएंगे. बाद में इन्हे मेक इन इंडिया कार्यक्रम के तहत बढ़ाया जाएगा. आरंभिक रैक 10 कोच वाले होगें जिनमें 750 लोग यात्रा कर सकेंगे. बाद में 16 कोच वाले रैक परिचालित किए जाएंगे. ये रैक मेट्रो की तर्ज पर इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट की तरह होंगे जो चंद सेकेंड में पूरी गति पकड़ सकेंगे.
सूत्रों के अनुसार वर्ष 2023 में दोनों ओर से रोजाना 35 ट्रेनें चलाई जाएंगी जिनमें करीब 36 हजार लोग यात्रा कर सकेंगे. अभी तय हुआ है कि बुलेट ट्रेन का किराया मुंबई -अहमदाबाद के बीच शताब्दी एक्सप्रेस ट्रेन के वातानुकूलित प्रथम श्रेणी के किराये के डेढ़ गुने के बराबर होगा.हालांकि अभी यह तय नहीं हुआ है कि बुलेट ट्रेन को इकोनॉमी श्रेणी में चलाया जाए या फिर इकोनॉमी एवं प्रीमियम की मिश्रित श्रेणी में. वैसा होने पर उस हिसाब से किराये में कुछ अंतर तय किया जा सकता है.
इस परियोजना की निर्माण लागत 70 हजार 915 करोड़ रुपए होगी जिसमें भूमि की कीमत शामिल है. परियोजना पूरी होने पर यह लागत 97 हजार 636 करोड़ रुपए होगी. परियोजना के लागत लाभ अनुपात चार फीसद और आर्थिक लाभ अनुपात 11.8 प्रतिशत होगा. जापान अंतर्राष्ट्रीय सहयोग एजेंसी (जाइका) से भारत को 50 साल की अवधि के लिये 79 हजार 165 करोड़ रुपए का ऋण 0.1 प्रतिशत की दर पर मिलेगा जिसे परियोजना पूरी होने के 15 साल बाद चुकाना शुरू किया जाएगा.