दीपावली का त्योहार इस बार 30 अक्टूबर को मनाया जाएगा. लेकिन इसकी रौनक हिंदू समाज में एक सप्ताह से पहले यानि अहोई अष्टमी से ही छाने लगती है. इस बार 23 अक्टूबर को पड़ रही अहोई अष्टमी से ही त्योहारों का सिलसिला शुरू हो जाएगा जिसका समापन 1 नवंबर को पड़ रहे भैया दूज से होगा. इस बीच रम्भा एकादशी, गोवत्स द्वादशी, धनतेरस, नरक चतुर्दशी (छोटी दीपावली), दीपावली और गोवर्धन पूजा का पर्व भी धूमधाम से मनाया जायेगा.
मान्यता है कि यह सभी पर्व एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं और किसी न किसी कारणों से मनाये जाते हैं. इसीलिए दीपावली के इस पूरे सप्ताह को ज्योतिषाचार्यों की नजरों में पवित्र और पुण्यदायी सप्ताह माना गया है. ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक अहोई अष्टमी से शुरू होने वाले सभी त्योहार मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए मनाये जाते हैं. इसीलिए इन पर्वों का एक-दूसरे से जुड़ाव है. हिंदू संस्कृति में पर्वों और त्योहारों का पौराणिक महत्व होने के साथ ही ज्योतिष महत्व भी है.
अहोई अष्टमी को माता अहोई की पूजा के बाद रम्भा एकादशी, जिसमें मां लक्ष्मी के एक रूप की पूजा होती है. तो वहीं गोवत्स द्वादशी में गौमाता की पूजा करने का विधान सप्ताह को और भी पुण्यफलदायी बनाता है. क्योंकि गाय में 33 हजार करोड़ देवी-देवताओं का वास माना गया है. तत्पश्चात धनतेरस, नरक चतुर्दशी, दीपावली, गोवर्धन पूजा और भैया दूज का भी अपना-अपना महत्व है जो दीपावली पर्व की शोभा बढ़ाते हैं.
अहोई अष्टमी : अहोई अष्टमी का व्रत दीपावली से एक सप्ताह पहले आने वाली अष्टमी को किया जाता है. यह व्रत निर्जला रखा जाता है जिसे पुत्रवती स्त्रियां अपने बच्चों के कल्याण और दीर्घायु के लिए करती हैं. इस बार यह व्रत 23 अक्टूबर को पड़ रहा है.
रम्भा एकादशी : दीपावली के चार दिन पूर्व पड़ने वाली एकादशी को लक्ष्मी जी के नाम से रम्भा एकादशी कहा जाता है. इस दिन भगवान विष्णु के पूर्णावतार भगवान कृष्ण जी के केशव रूप की पूजा की जाती है. इस दिन का व्रत करने से जीवन में वैभव और मोक्ष की प्राप्ति होती है. इस बार रम्भा एकादशी 26 अक्टूबर को पड़ रही है.
गोवत्स द्वादशी : कार्तिक कृष्ण पक्ष की द्वादशी पूरे देश में गोवत्स द्वादशी के नाम से जानी जाती है. इस दिन गाय और बछड़े की पूजा की जाती है. इस बार यह द्वादशी 26 अक्टूबर को पड़ रही है. व्रत रखकर महिलाएं गाय और बछड़े की पूजा करती हैं. यह व्रत बच्चों के लिए किया जाता है. यह व्रत दीपावली के त्योहार में चार चांद लगाता है. जिस घर में गाय-बछड़े की पूजा की जाती है, वहां मां लक्ष्मी जी के आने का मार्ग बनता है.
धनतेरस : धनतेरस पर्व दीपावली आने की सूचना देता है. इस दिन ही लोग दीपावली के लिए लक्ष्मी, गणेश की मूर्तियों के साथ ही नये सामानों की खरीदारी करते हैं. ऐसी मान्यता है कि धनतेरस को की गयी खरीदारी से घर में सुख-समृद्धि बढ़ती है. इस बार धनतेरस पर्व 28 अक्टूबर को मनाया जायेगा. इसी दिन आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति के जन्मदाता भगवान धन्वन्तरि की जयंती भी मनायी जाती है.
नरक चतुर्दशी : धनतेरस के दूसरे दिन नरक चतुर्दशी (छोटी दीपावली) मनायी जाती है. इस दिन स्नान-ध्यान और सायं दीपदान किया जाता है. इसी दिन लोग घरों की साफ-सफाई कर मां लक्ष्मी के आगमन की तैयारी करते हैं. इस बार 29 अक्टूबर को नरक चतुर्दशी मनायी जायेगी.
दीपावली : लोगों के जीवन में उजाला फैलाओ का संदेश देने वाला पर्व दीपावली इस बार 30 अक्टूबर को पड़ रहा है. इस दिन घरों, दुकानों आदि में दीपक, मोमबत्ती इस कदर प्रज्वलित की जाती है कि कहीं भी अंधेरा न रह जाये. इसी दिन मां लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा-अर्चना की जाती है. ऐसी मान्यता है कि कार्तिक अमावस्या की अंधेरी रात्रि में मां लक्ष्मी पृथ्वी पर विचरण करती हैं और जो घर साफ-सुथरा होता है वहीं ठहर जाती हैं. इससे घर में धन-धान्य की बढ़ोतरी होती है.
गोवर्धन पूजा : दीपावली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा की जाती है. इस दिन गाय के गोबर से गोवर्धन बनाकर पूजा जाता है. यह ब्रजवासियों का महत्वपूर्ण त्योहार है. इस बार 31 अक्टूबर को गोवर्धन पूजा होगी. इसे अन्नकूट भी कहते हैं.
भैया दूज : भैया दूज को ‘यम द्वितीया’ भी कहते हैं. यह पर्व भाई- बहन के पवित्र स्नेह का प्रतीक है. गोवर्धन पूजा के दूसरे दिन मनाया जाने वाला यह पर्व हिंदू समाज के लिए एक महत्वपूर्ण पर्व है. इस बार यह 1 नवंबर को मनाया जायेगा.