जस्टिस बीएच लोया की मौत के मामले में सुप्रीम कोर्ट एसआईटी जांच की मांग संबंधी पिटीशंस पर सुनवाई कर सकता है। जस्टिस लोया गुजरात के सोहराबुद्दीन एनकाउंटर केस की सुनवाई कर रहे थे। 2014 में उनकी मौत हो गई थी। पिछले साल उनकी बहन ने अपने भाई की मौत पर शक जाहिर किया था।
बीआर लोन, जर्नलिस्ट का कहना है कि लोया की रहस्यमयी मौत की जांच कराने की जरूरत है, ताकि सच दुनिया के सामने आ सके।तहसीन पूनावाला, कांग्रेस लीडर का कहना है कि जज की मौत सवालों के घेरे में, संदेहास्पद और विरोधाभासी है। इसकी जांच कराई जानी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने 12 जनवरी को इस मामले में सुनवाई की थी। कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को जस्टिस लोया की पोस्टमार्टम रिपोर्ट 15 जनवरी तक सौंपने का ऑर्डर दिया था। जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस एमएम शांतानागौदर ने कहा कि यह मैटर बेहद सीरियस है।
लोया 1 दिसंबर 2014 को नागपुर में अपने कलीग की बेटी की शादी में जा रहे थे, तभी हार्ट अटैक से उनकी मौत हो गई थी।पिछले साल नवंबर में लोया की मौत के हालात पर उनकी बहन ने शक जाहिर किया। इसके तार सोहराबुद्दीन एनकाउंटर से जोड़े गए। इसके बाद यह केस मीडिया की सुर्खियां बना।
सीबीआई के मुताबिक गुजरात के आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) ने सोहराबुद्दीन शेख और उसकी पत्नी कौसर बी को उस वक्त अगवा कर लिया था जब वे हैदराबाद से महाराष्ट्र के सांगली जा रहे थे।नवंबर 2005 में गांधीनगर के करीब उसकी कथित फर्जी एनकाउंटर में हत्या कर दी गई। यह दावा किया गया कि शेख के पाकिस्तान के आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के साथ संबंध थे।
पुलिस ने दिसंबर 2006 में मुठभेड़ के चश्मदीद गवाह और शेख के साथी तुलसीराम प्रजापति की भी कथित तौर पर गुजरात के बनासकांठा जिले के चपरी गांव में हत्या कर दी। अमित शाह तब गुजरात के गृह राज्यमंत्री थे। उन पर दोनों घटनाओं में शामिल होने का आरोप था।सोहराबुद्दीन एनकाउंटर केस को 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र की ट्रायल कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया था।
2013 में सुप्रीम कोर्ट ने प्रजापति और सोहराबुद्दीन शेख के केस को एक साथ जोड़ दिया।पहले इस केस की सुनवाई जज जेटी उत्पत कर रहे थे, लेकिन 2014 में अचानक उनका तबादला कर दिया गया था और फिर केस की सुनवाई जज बीएच लोया ने की।
सोहराबुद्दीन एनकाउंटर केस में बीजेपी के प्रेसिडेंट अमित शाह, राजस्थान के गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया, राजस्थान के बिजनेसमैन विमल पाटनी, गुजरात पुलिस के पूर्व चीफ पीसी पांडे, एडीजीपी गीता जौहरी, गुजरात पुलिस के ऑफिसर अभय चूडासम्मा और एनके अमीन को बरी किया जा चुका है। पुलिस अफसरों समेत कुल 23 आरोपी के खिलाफ अभी भी जांच चल रही है।