बालिग लड़का या लड़की अपनी मर्जी से शादी कर सकते हैं : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने खाप पंचायत के खिलाफ अपना बयान दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि बालिग लड़का या लड़की अपनी मर्जी से शादी कर सकते हैं। कोई पंचायत, खाप पंचायत, पैरेंट्स, सोसायटी या कोई शख्स इस पर सवाल नहीं कर सकता। कोर्ट ने यह भी कहा कि सरकार खाप पंचायतों पर बैन नहीं लगाती तो कोर्ट एक्शन लेगा।

चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुआई वाली तीन जजों की बेंच ने यह निर्देश खाप पंचायतों के खिलाफ दायर की गई एक पिटीशन पर सुनवाई के दौरान दिया। बेंच में जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ भी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि खाप पंचायत की ओर से किया गया कोई हमला या सामाजिक बहिष्कार गैरकानूनी है।

चीफ जस्टिस ने एडीशनल सॉलिसिटर जनरल पिंकी आनंद से पूछा कि आपकी ओर से इस मामले में अभी तक कोई सलाह पेश क्यों नहीं की गई।कोर्ट ने कहा कि किसी भी खाप पंचायतों को किसी बालिग लड़के या लड़की को उनकी मर्जी से शादी करने पर समन जारी करने और सजा देने का हक नहीं है।

इस मामले में एमिकस क्यूरी (न्याय मित्र) रामचंद्रन ने कहा कि लॉ कमीशन ने इंटर कास्ट मैरिज करने जा रहे जोड़े की हिफाजत के लिए कानून बनाने की सिफारिश की थी। इस पर राज्य सरकारों से सलाह ली जा चुकी है। इसके बावजूद सरकार का रवैया ढुलमुल रहा है। 

इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि सरकार अगर ऐसे जोड़ों की हिफाजत के लिए कानून नहीं बनाती है तो कोर्ट नियम बनाएगा और इसकी गाइडलाइन तय करेगा।खाप एक सोशल-एडमिनिस्ट्रेटिव सिस्टम है। एक गोत्र या जाति के लोग मिलकर एक खाप-पंचायत बनाते हैं, जो पांच या उससे ज्यादा गांवों की होती है।

इन्हें कानूनी मान्यता नहीं है। इसके बावजूद गांव में किसी तरह की घटना के बाद खाप कानून से ऊपर उठ कर फैसला करती हैं। 
खाप पंचायतें देश के कुछ राज्यों के गांवों में काफी लंबे वक्त से काम करती रही हैं। हालांकि, इनमें हरियाणा की खाप पंचायतें कुछ अलग पहचान रखती हैं। कहा जाता है कि खाप की शुरुआत की हरियाणा से ही हुई थी।

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