आरुषि और हेमराज मर्डर केस में सीबीआई अदालत के फैसले के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट राजेश तलवार और नुपुर तलवार की पिटीशन पर फैसला सुना सकता है। साल 2013 में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने तलवार दंपती को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इस फैसले के खिलाफ दंपती ने हाईकोर्ट में अपील की थी।
16 मई 2008 को दिल्ली से सटे नोएडा के जलवायु विहार स्थित घर में 14 साल की आरुषि का मर्डर कर दिया गया था। आरुषि की हत्या गला रेत कर की गई थी। करीब साढ़े पांच साल चली जांच और सुनवाई के बाद सीबीआई स्पेशल कोर्ट ने उसके माता-पिता नूपुर और राजेश तलवार को दोषी करार दिया।
यह मामला लंबे वक्त तक सुर्खियों में छाया रहा था। लोग आरुषि के कातिलों को सजा दिलाने के लिए सड़कों पर उतर आए थे। उस वक्त उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती ने मामले की जांच सीबीआई को सौंपी थी।दो लोगों का मर्डर हुआ था। आरुषि और हेमराज का। हेमराज (45) की बॉडी आरुषि के मर्डर के एक दिन बाद तलवार दंपती की छत पर एक कूलर में मिली थी।
बता दें कि हेमराज तलवार दंपती के घर पर काम करता था।तलवार दंपती ने सीबीआई स्पेशल कोर्ट के फैसले को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। जस्टिस बीके नारायण और जस्टिस एके मिश्रा ने इस साल 7 सितंबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।तलवार दंपती दिल्ली-एनसीआर के जाने माने डेंटिस्ट रहे हैं।
डॉ. राजेश पंजाबी और नूपुर महाराष्ट्रियन परिवार से हैं। नुपुर एयरफोर्स के अफसर की बेटी हैं और डॉ. राजेश के पिता हार्ट स्पेशलिस्ट रहे हैं। आरुषि का जन्म 1994 में हुआ था।इस मामले की जांच सबसे पहले यूपी पुलिस ने शुरू की थी। शुरुआती जांच में पुलिस ने तलवार दंपती को शक के घेरे में लिया था। बाद में यह जांच सीबीआई को सौंपी गई।
31 मई 2008 को इस केस की जांच उस वक्त के सीबीआई ज्वाइंट डायरेक्टर अरुण कुमार के हाथ में आई। उन्होंने तलवार दंपती को क्लीन चिट दी और तीन नौकरों को सस्पेक्ट माना।इसके बाद, सितंबर 2009 में फिर से सीबीआई की दूसरी टीम ने जांच शुरू की। इस बार सीबीआई के अफसर एजीएल कौर ने जांच शुरू की। उन्होंने तलवार दंपती को प्राइम सस्पेक्ट माना।