इनकम टैक्स रिटर्न के लिए आधार कार्ड और पैन कार्ड का सुप्रीम कोर्ट ने किया समर्थन

इनकम टैक्स रिटर्न के लिए आधार कार्ड और पैन कार्ड का सुप्रीम कोर्ट ने समर्थन किया है । SC ने कहा कि जिनके पास आधार है, वो इसे पैन और ITR में इसे जरूर लगाएं। SC ने उन लोगों को इससे छूट दी है, जिनके पास आधार नहीं है। हालांकि, SC ने पैन और ITR के लिए आधार को जरूरी करने पर तब तक आंशिक रोक लगा दी, जब तक इसकी प्राइवेसी से जुड़े मुद्दे पर कोर्ट की संवैधानिक बेंच फैसला नहीं सुना देती।

बता दें कि 4 मई को इस मामले की सुनवाई के दौरान बेंच ने फैसला सुरक्षित रखा था।जस्टिस एके सीकरी और जस्टिस अशोक भूषण की बेंच ने कहा जब तक कॉन्स्टिट्यूशन बेंच राइट ऑफ प्राइवेसी जैसे बड़े मुद्दे पर कोई फैसला नहीं सुना देती है, तब तक बिना आधार के PAN को इनवैलिड (अमान्य) नहीं किया जाएगा। पुरने ट्रांजैक्शंस पर भी कोई असर नहीं पड़ेगा और न ही उन्हें रद्द किया जाएगा।

जब तक आर्टिकल 21 (राइट टू प्राइेवीस) पर कॉन्स्टिट्यूशनल बेंच फैसला नहीं सुना देती है, तब तक आईटी एक्ट के सेक्शन 139 पर आशिंक रोक लगाना जरूरी है।बता दें कि आईटी एक्ट के सेक्शन 139 AA में कहा गया है कि आधार कार्ड या आधार इनरोलमेंट की एप्लीकेशन आईडी इनकम टैक्स रिटर्न और PAN कार्ड के लिए एक जुलाई से जरूरी होगा।

आधार कार्ड को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कई पिटीशन्स सुनवाई के लिए दायर की गई थीं। इनमें I-T एक्ट के सेक्शन 139AA को चुनौती दी गई थी। यह एक्ट 2017 के बजट में लाया गया था।पिटीशंस में कहा गया गया था कि क्या आधार स्कीम राइट टू प्राइवेसी का वॉयलेशन है और क्या इससे डाटा लीक होने का खतरा है?

जस्टिस एके सीकरी और जस्टिस अशोक भूषण की बेंच ने कहा कि आधार को राइट टू प्राइवेसी के खिलाफ इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। आधार स्कीम और भी किसी तरीके से मानवीय गरिमा पर असर डालती है तो इसका फैसला कॉन्स्टिट्यूशनल बेंच करेगी।बेंच ने ये भी कहा कि सरकार को ये भी तय करना चाहिए कि आधार स्कीम से डाटा लीक न हो। बेंच ने साफ किया कि इनकम टैक्स एक्ट और आधार एक्ट के बीच कोई विवाद नहीं है।

सीपीआई लीडर बिनॉय विस्वाम समेत कई लोगों ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया। पिटीशन के मुताबिक, 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा था कि यूनीक आइडेंटिटी नंबर स्वैच्छिक है। लिहाजा, सरकार आईटीआर और पैन के लिए आधार को मैंडेटरी घोषित नहीं कर सकती।पिटीशनर्स के वकील श्याम दीवान ने आरोप लगाया था कि केंद्र सरकार इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के उन ऑर्डर्स के हिसाब से नहीं चल रही है जो आधार को वॉलन्टियरी और मैंडेटरी नहीं करने को लेकर जारी किए गए थे।

21 अप्रैल को जस्टिस एके सीकरी की अगुआई वाली बेंच के सामने केंद्र सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी पेश हुए थे। कोर्ट के आधार को मैंडेटरी किए जाने वाले सवाल पर रोहतगी ने कहा था कि कई लोग ऐसे पैन कार्ड की जानकारी दे रहे थे, जो फर्जी दस्तावेजों से बनवाए गए। कई ऐसे मामले भी सामने आए जिनमें एक शख्स के पास कई पैन कार्ड थे। इन फर्जी कार्डों का इस्तेमाल फर्जी कंपनियों को पैसा ट्रांसफर करने में हो रहा था।

इस पर सुप्रीम कोर्ट ने रोहतगी से सवाल किया था तो क्या पैन कार्ड बनवाने के लिए अाधार होना जरूरी है? इसे मैंडेटरी क्यों किया गया?
इसके जवाब में रोहतगी ने कहा कि पहले भी पाया गया था कि लोग फर्जी आइडेंटिटी कार्डों के जरिए मोबाइल फोन के लिए सिम कार्ड खरीद रहे थे। तब सुप्रीम कोर्ट ने ही इस पर लगाम लगाने को कहा था।

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