2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में सीबीआई के स्पेशल कोर्ट ने पूर्व मंत्री ए. राजा और डीएमके नेता कनिमोझी समेत 44 आरोपियों और कई कंपनियों को बरी कर दिया। दो मामले सीबीआई के थे तो एक मामला एन्फोर्समेंट डायरेक्टोरेट (ईडी) ने दायर किया था। जज ने फैसले में कहा प्रॉसिक्यूशन कोई भी आरोप साबित करने में नाकाम रहा। लिहाजा सभी को बरी किया जाता है।
आरोपों से बरी होने के बाद ए. राजा ने कहा- मैं कोर्ट के फैसले से खुश हूं। उधर, सीबीआई ने कहा कि वो स्पेशल कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील दायर करेगी।2010 में आई कैग की रिपोर्ट में 2008 में बांटे गए स्पेक्ट्रम पर सवाल उठाए गए थे। स्पेक्ट्रम की नीलामी के बजाए ‘पहले आओ, पहले पाओ’ के आधार पर इसका अलॉटमेंट किया गया।
बताया गया कि इससे सरकार को एक लाख 76 हजार करोड़ रुपए का घाटा हुआ।ये भी बताया गया था कि नीलामी के आधार पर लाइसेंस बांटे जाते तो यह रकम सरकार के खजाने में जाती। सीबीआई ने 21 अक्टूबर, 2009 को शुरुआती एफआईआर डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकॉम के अज्ञात अफसरों के खिलाफ दायर की थी।
दिसंबर 2010 में सुप्रीम कोर्ट ने 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में स्पेशल कोर्ट बनाने पर विचार करने को कहा था।अप्रैल, 2011 ने सीबीआई ने चार्जशीट दायर कर कहा कि राजा और अन्य ने देश को 30 हजार 984 करोड़ का नुकसान कराया। 12 दिसंबर, 2011 को दायर चार्जशीट में कहा कि अफसरों ने 2008 में 2जी लाइसेंस देने के लिए डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकॉम के साथ धोखाधड़ी की।
2 जी मामले में ट्रायल 6 साल पहले 2011 में शुरू हुआ था। कोर्ट ने 17 लोगों पर आरोप तय किए थे। इस बीच, सुप्रीम कोर्ट ने 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन में पद के दुरुपयोग की बात कही। फरवरी, 2012 में 122 लाइसेंस रद्द कर दिए।44 आरोपियों समेत कई कंपनियां। 2जी केस के लिए सीबीआई का स्पेशल कोर्ट 14 मार्च 2011 को बना था।
2G स्पेक्ट्रम केस में सीबीआई स्पेशल कोर्ट के जज ओपी सैनी ने अपनी 1552 पन्नों की रिपोर्ट में कहा पूरा केस सिर्फ अटकलों और अफवाहों पर आधारित है। पिछले 7 साल से मैं सबूतों का इंतजार कर रहा था, लेकिन सारी उम्मीदें बेकार साबित हुईं। इतने सालों में कानूनी रूप से मान्य एक भी सबूत सामने नहीं आया।
फैसले फेवर में आने के बाद ए. राजा ने कहा- मैं इस फैसले से खुश हूं। वहीं, कनिमोझी ने कहा- मुझे इस दिन का छह साल से इंतजार था। आज सच सामने आ गया।सीबीआई स्पोक्सपर्सन अभिषेक दयाल ने कहा हमने कोर्ट के फैसले को शुरुआती तौर पर एग्जामिन किया है। ऐसा लगता है कि आरोपों को साबित करने के लिए हमने कोर्ट में जो सबूत पेश किए, उन्हें सही नजरिए से नहीं देखा गया।
सीबीआई इस मामले में जरूरी कानूनी कदम उठाएगी।दयाल से जब पूछा गया कि क्या अपील दिल्ली हाईकोर्ट में दायर की जाएगी? उन्होंने हां में जवाब दिया।CBI सोर्सेस के मुताबिक फैसले के शुरुआती एनालिसिस ने एजेंसी को वो मटेरियल दिया है, जिसके आधार पर अपील दायर की जा सकती है। 60 दिन की डेडलाइन से पहले अपील दायर करनी होगी।
अपनी अपील में सीबीआई कोर्ट के फैसले में एजेंसी की तरफ से पेश किए गए डॉक्युमेंटेड सबूतों के ऊपर केवल जुबानी बयानों को तरजीह दिए जाने को आधार बना सकती है।फैसला आने के बाद कांग्रेस बीजेपी पर हमलावर हो गई। कपिल सिब्बल ने कहा मेरी जीरो लॉस वाली बात सही साबित हुई। मैं कभी अपने बयान से नहीं पलटता। हम बेबुनियाद बातें नहीं करते।
ये सब बीजेपी करती है। तब विपक्ष ने देश को गलत जानकारी दी। काफी हंगामा किया। आरोप लगाने वालों (विनोद राय) को देश से माफी मांगनी चाहिए।चिदंबरम ने कहा कोर्ट के फैसले से साबित हो गया कि हमारी सरकार पर जो आरोप लगाए गए थे वो झूठे साबित हुए।पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा- फैसला ही सबकुछ कहता है।
कोर्ट के फैसले के बाद कांग्रेस की ओर से हो रही बयानबाजी पर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा इस फैसले पर कांग्रेस इस तरह बयानबाजी कर रही है जैसे उसे कोई सम्मान पत्र मिल गया है। पूरा वायया देखा जाए तो बिना नीलामी के स्पेक्ट्रम कुछ लोगों को दिया गया। पहले आओ पहले पाओ की पॉलिसी को भी बदलकर पहले पेमेंट करो, पहले पाओ कर दिया गया था। यह पूरी तरह भ्रष्ट पॉलिसी थी।
2012 में सुप्रीम कोर्ट ने भी यही कहा। बाद में हमने स्पेक्ट्रम को नीलाम किया। नतीजा यह हुआ कि जिस स्पेक्ट्रम पर पहले 1734 करोड़ मिल रहे थे 2015 में 1.10 लाख करोड़ रुपए मिले।पहला केस सीबीआई ने दायर किया। इसमें 19 को आरोपी बनाया गया.दूसरा केस ED ने दायर किया। इसमें 17 को आरोपी बनाया गया। ईडी ने 200 करोड़ की मनी लॉन्ड्रिंग की बात कही।
तीसरा केस सीबीआई ने दायर किया। इसमें एस्सार प्रमोटर्स समेत 8 लोगों को आरोपी बनाया गया।ए. राजा, कनिमोझी, पूर्व टेलीकॉम सेक्रेटरी सिद्धार्थ बेहुरा, राजा के प्राइवेट सेक्रेटरी आरके चंदोलिया, स्वान के टेलीकॉम प्रमोटर्स शाहिद उस्मान बलवा और विनोद गोयनका, यूनिटेक के एमडी संजय चंद्रा, रिलायंस अनिल धीरूभाई अंबानी के 3 टॉप एग्जीक्यूटिव- गौतम दोषी, सुरेंद्र पिपारा और हरि नायर।
कूसेगांव फ्रूट्स एंड वेजिटेबल प्रा. लि. के डायरेक्टर्स आसिफ बलवा-राजीव अग्रवाल, कलाइगनार टीवी के डायरेक्टर शरद कुमार और बॉलीवुड प्रोड्यूसर करीम मोरानी।एस्सार ग्रुप के प्रमोटर रवि-अंशुमान रुइया, लूप टेलीकॉम के प्रमोटर किरण खेतान, उनके पति आईपी खेतान और एस्सार ग्रुप के डायरेक्टर विकास श्रॉफ।
लूप टेलीकॉम लिमिटेड, लूप इंडिया मोबाइल लिमिटेड और एस्सार टेली होल्डिंग लिमिटेड कंपनियां भी आरोपी थीं।ईडी की चार्जशीट में करुणानिधि की पत्नी दयालु अम्मल को भी आरोपी बनाया गया था। आरोप था कि स्वान टेलीकॉम ने डीएमके के मालिकाना हक वाले कलाइगनार टीवी को 200 करोड़ दिए थे।
स्वान टेलीकॉम के वकील विजय अग्रवाल ने कहा कि प्रॉसिक्यूशन आरोप साबित करने में नाकाम रहा। सीबीआई ने तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश किया था। लॉस दिखाया गया था लेकिन असल में कोई नुकसान हुआ ही नहीं।राजा के वकील मनु शर्मा ने कहा किसी भी बड़े मुकदमे में वक्त लगता है लेकिन सच्चाई सामने आ गई। मुकदमा चला तो कोई एविडेंस नहीं दिया गया। क्रिमिनल कोर्ट की अप्रोच के हिसाब से ये मुकदमा नहीं बनता।