दिल्ली के गाजीपुर लैंडफिल साइट में आग लगने से कोंडली और आसपास के इलाकों में धुआं फैल गया। इससे लोगों की सेहत पर बुरा असर पड़ रहा है। कई लोगों ने सांस लेने में दिक्कत की शिकायत की। एक्सपर्ट्स की मानें तो साइट पर डाले जाने वाले कचरे में आग लगने से जो धुआं उठ रहा है, वो जहरीला भी हो सकता है। बता दें कि पिछले महीने यहीं 60 मीटर ऊंचे कूड़े के पहाड़ का बड़ा हिस्सा ढह गया था।
मलबे की चपेट में आए दो लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद एलजी ने यहां कूड़ा डालने पर रोक लगाई थी।कोंडली के एक रेजिडेंट ने न्यूज एजेंसी से कहा धुएं की वजह से एयर पॉल्यूशन काफी ज्यादा है। लोगों को सांस लेने में परेशानी हो रही है। मुझे इस बात का दुख है कि कई बार शिकायतों के बावजूद हमारी कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
एक अन्य शख्स ने बताया यहां आए दिन कूड़े के पहाड़ में आग लगाई जाती है। चारों ओर धुंआ फैला रहता है। लोगों को काफी दिक्कत होती है। हालात ये हैं कि यहां के घरों में लोग अपनी बेटियों की शादी तक नहीं करना चाहते हैं।1 सितंबर को गाजीपुर लैंडफिल साइट हादसे से पहले राजधानी में दो-तीन दिन से लगातार बारिश हो रही थी। इस साल अगस्त में बारिश ने तीन साल का रिकॉर्ड तोड़ा।
बारिश के चलते कूड़े का पहाड़ ढह गया और इसका मलबा रोड पर आ गया। इसकी चपेट में आकर कुछ गाड़ियां नहर में जा गिरी। हादसे में कोंडली के रहने वाले अभिषेक (22 साल) और राजकुमारी (32 साल) की डूबने से मौत हो गई। वहीं, रेस्क्यू टीम ने 5 लोगों को बचा लिया।
बता दें कि दिल्ली के तीन बड़े लैंडफिल साइट में गाजीपुर सबसे पुराना है।
यहां ईस्ट दिल्ली और आसपास के इलाकों से निकलने वाला करीब 2500 मैट्रिक टन कूड़ा रोज डाला जाता है। इस लैंडफिल साइट के लिए 20 मीटर ऊंचाई की परमिशन थी, लेकिन अब ये 60 मीटर ऊंचा (15 मंजिला बिल्डिंग के बराबर) हो चुका है।दिल्ली के उपराज्यपाल (एलजी) अनिल बैजल ने हादसे के बाद ईडीएमसी और एनएचएआई के अफसरों के साथ मीटिंग की।
एलजी ने गाजीपुर में कूड़ा फेंकने पर फौरन रोक लगाने का ऑर्डर दिया था।उन्होंने कहा कि इसकी जगह भस्वला लैंडफिल साइट का इस्तेमाल किया जाए। तब अफसरों ने 2 साल के अंदर लैंडफिल साइट को पूरी तरह हटाने का भरोसा दिया था। ईडीएमसी ने डोर-टू-डोर कचरा इकट्ठा करने की बात कही थी।