कॉलेज छात्र सौरभ चौधरी की हत्या मामले में जिला अदालत ने 12 आरोपियों में से आठ को फांसी की सजा सुनायी है.इस हत्याकांड में एक आरोपी को आजीवन कारावास व तीन आरोपियों को पांच-पांच वर्ष का सश्रम कारावास का दंड दिया. बारासात जिला अदालत के सप्तम अतिरिक्त जिला जज ने शुक्रवार को 12 आरोपियों को दोषी करार कर फैसला सुरक्षित रख लिया था. इनमें नौ लोगों के विरुद्ध हत्या, अपहरण और प्रमाण गायब करने का आरोप है, जबकि तीन आरोपियों के विरुद्ध हत्यारों को आश्रय देने का प्रमाण मिला है.
अपहरण, तथ्य छिपाने सहित हथियार रखने के मामले में श्यामल कर्मकार को मुख्य आरोपी करार दिया गया है. सोमवार को जिला जज में मामले के मुख्य आरोपी श्यामल कर्मकार सहित आठ लोगों को फांसी की सजा सुनायी. इनमें सुमन सरकार, सुमन घोष, तापस विश्वास, सुमन दास, सोमनाथ सरकार व शिशिर समाद्दार शामिल है. इनके साथ-साथ राकेश बर्मन को आजीवन कारावास की सजा सुनायी. हत्यारों को आश्रय देने के आरोप में तारक दास, रतन दास व शिशिर मुखर्जी को पांच-पांच वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनायी.
गौरतलब है कि पांच जुलाई 2014 को शराब तथा जुआ का ठेक बंद कराने के लिए सौरभ ने आवाज उठायी थी. इसके कारण घर से ले जाकर उसे बुरी तरह पीटा गया. हमलावर दत्तपुकुर और बामनगाछी रेलवे स्टेशन के बीच रेल लाइन पर उसके शरीर को रख कर वहां से फरार हो गये. इसके बाद ट्रेन से कट कर शव क्षत-विक्षत हो गया. पुलिस शव के मात्र टूकड़े ही जब्त कर पायी. दत्तपुकुर थाना की पुलिस ने 2014 के सितंबर में चार्जशीट दायर किया. 15 दिनों में न्याय प्रक्रिया आरंभ हो गयी.
घटना के बाद से फरार मुख्य आरोपी श्यामल कर्मकार वेश बदल कर तारापीठ में छिपा हुआ था. अदालत का फैसला सुनने के बाद सौरभ चौधरी के बड़े भाई संदीप चौधरी ने कहा कि आज न्याय की जीत हुई है. लेकिन उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अभी तक उनके परिवार के लोगों के जहन से डर दूर नहीं हुआ है.