रक्षा मंत्रालय ने अपनी सेना की वायु रक्षा बंदूकों के आधुनिकीकरण से संबंधित प्रस्तावों को मंजूरी दे दी।रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) ने शुक्रवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई एक बैठक में सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण तथा संचालन संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए लगभग 6,000 करोड़ रुपये की राशि के विभिन्न उपकरणों के पूंजी अधिग्रहण से संबंधित प्रस्तावों को मंजूरी दी है।
यह देखते हुए कि अपनी वायु रक्षा बंदूकों (एयर डिफेंस गन) के आधुनिकीकरण के लिए भारतीय सेना की लंबे समय से लंबित आवश्यकता थी, रक्षा मंत्रालय ने कहा, ये हथियार पहले केवल विदेशी स्रोतों से ही खरीदे गए थे। रक्षा मंत्रालय के द्वारा आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया को लगातार बढ़ावा देने के आह्वान के बाद, लगभग एक दर्जन भारतीय कंपनियों से उत्साहजनक प्रतिक्रिया प्राप्त हुई है।
बयान में कहा गया है कि इन कंपनियों ने भारत में प्रौद्योगिकी समावेशन सुनिश्चित करके इस जटिल गन सिस्टम तथा संबंधित उपकरणों के निर्माण के लिए अपनी इच्छा एवं प्रतिबद्धता व्यक्त की है।इसके अतिरिक्त, परिषद ने बाय एंड मेक (इंडियन) श्रेणी के तहत लगभग 6,000 करोड़ रुपये की लागत से एयर डिफेंस गन और गोला-बारूद की खरीद को मंजूरी दी है।
इसके अलावा, सशस्त्र बलों को परिचालन चुनौतियों का सामना करने में बेहतर ढंग से लैस करने तथा आवश्यक हथियारों एवं गोला-बारूद को तेजी से शामिल करने की सुविधा के लिए, डीएसी ने सशस्त्र बलों को प्रदत्त शक्तियों के तहत तत्काल पूंजी अधिग्रहण की प्रगति के वास्ते समय सीमा 31 अगस्त, 2021 तक बढ़ा दी है। यह सशस्त्र बलों को अपने आकस्मिक और महत्वपूर्ण अधिग्रहणों को पूरा करने में सक्षम बनाएगा।
रक्षा मंत्रालय ने 2021-22 के पूंजी अधिग्रहण बजट के तहत अपने आधुनिकीकरण कोष का लगभग 64 प्रतिशत – घरेलू क्षेत्र से खरीद के लिए 70,000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि निर्धारित की थी। इसमें 2020-21 से वृद्धि दर्ज की गई है, जब पहली बार घरेलू विक्रेताओं के लिए पूंजीगत बजट आवंटन किया गया था और तब यह 58 प्रतिशत के साथ 52,000 करोड़ रुपये की राशि थी।