अमेरिका भारत को 145 अल्ट्रा लाइट हॉवित्जर तोपें बेचने के लिए तैयार हो गया है। पेंटागन के सूत्रों के मुताबिक, यह डील 700 मिलियन डॉलर से ज्यादा की होगी। दोनों देशों की सरकारों के बीच यह करार होगा। फाइनल कॉन्ट्रैक्ट 180 दिन के अंदर तैयार कर लिया जाएगा।करीब 30 साल पहले भारत ने स्वीडन से बोफोर्स तोपें खरीदी थीं। इस डील में कमीशन को लेकर काफी विवाद हुआ था।इसके बाद से भारत और अमेरिका के बीच तोप डील पर बातचीत होती रही, लेकिन किसी नतीजे पर नहीं पहुंचा जा सका।
पेंटागन ने हॉवित्जर तोपों से जुड़ी डील का लेटर इंडियन डिफेंस मिनिस्ट्री को भेज दिया है।इन तोपों की पहली खेप भारत को सीधे तौर पर भेजी जाएगी। इसके बाद की तोपें तीन साल के अंदर भारत में ही तैयार की जाएंगी।अमेरिका ने हाल ही में पाकिस्तान को आठ एफ-16 फाइटर जेट बेचने का फैसला किया है। हालांकि, अभी कांग्रेस ने इसे मंजूरी नहीं दी है। भारत इससे नाराज है।
इसके बाद, अमेरिका ने भारत को हॉवित्जर तोपें देने का फैसला किया है। डील के 30 पर्सेंट हिस्से को भारत में इन्वेस्ट किया जाएगा।इस डील के साथ ही अमेरिका रूस, इजरायल और फ्रांस को पीछे छोड़कर भारत को आर्म्स सप्लाई करने वाला सबसे बड़ा देश बन गया है।2007 से अब तक भारत और अमेरिका के बीच 13 बिलियन डॉलर की आर्म्स डील हो चुकी है।
हॉवित्जर तोपें दूसरी तोपों के मुकाबले काफी हलकी हैं। इनको बनाने में काफी हद तक टाइटेनियम का इस्तेमाल किया गया है। यह 25 किलोमीटर दूर तक बिल्कुट सटीक तरीके से टारगेट हिट कर सकती हैं।चीन से निपटने में तो ये तोपें काफी कारगर साबित हो सकती हैं। भारत ये तोपें अपनी 17 माउंटेन कॉर्प्स में तैनात कर सकता है।
1980 के बाद से इंडियन आर्मी की आर्टिलरी में कोई नई तोप शामिल नहीं की गई। बोफोर्स डील में हुए विवाद के बाद ये हालात बने।भारत बोफोर्स का अपग्रेडेड वर्जन धनुष नाम से भारत में तैयार कर रहा है। इसकी फाइनल ट्रायल चल रही है। 1260 करोड़ रुपए के इस प्रोजेक्ट में 114 तोपों का ट्रायल चल रहा है। जरूरत 414 तोपों की है।500 करोड़ रुपए के सेल्फ प्रोपेल्ड गन का कॉन्ट्रैक्ट तैयार है। इसे एलएंडटी और सैमसंग टैकविन बनाएगी।
जून 2006 में हॉवित्जर का लाइट वर्जन खरीदने के लिए भारत-अमेरिका की बातचीत शुरू हुई थी। भारत इन्हें चीन बॉर्डर पर तैनात करना चाहता है।अगस्त 2013 में अमेरिका ने हॉवित्जर का नया वर्जन देने की पेशकश की। कीमत थी 885 मिलियन डॉलर।दो साल तक बात आगे नहीं बढ़ी। मई 2015 में भारत ने अमेरिका से इन तोपों को देने की गुजारिश की। लेटर ऑफ रिक्वेस्ट भेजा गया।भारत सरकार अपनी आर्मी के लिए 2027 तक मॉडर्नाइजेशन प्रोग्राम चला रहा है। इस पर एक लाख करोड़ रुपए खर्च होंगे।