सुषमा स्वराज ने संसद में बताया कि इराक के मोसुल से अगवा हुए 39 भारतीय नागरिकों को आईएसआईएस ने मार दिया। मृतकों का शव भारत लाने के लिए प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और जल्द ही वापस लाया जाएगा। 2014 में भारत से मोसुल में काम करने गए मजदूरों को आतंकियों ने किडनैप कर लिया था।
मोसुल की आजादी के बाद मजदूरों के बारे में जानकारी जुटाने के लिए जनरल वीके सिंह इराक गए थे। किडनैप किए गए 40 भारतीयों में से एक हरजीत मसीह आतंकियों के चंगुल से बच निकला था। मसीह ने कहा था कि उसने बाकी भारतीयों को अपनी आंखों के सामने मरते देखा था।सुषमा ने कहा एक बहुत महत्वपूर्ण सूचना सदन को बताना चाहती हूं।
जून 2015 में इराक में हमारे 39 भारतीयों को आईएसआईएस ने बंधक बना लिया गया था। पिछली बार सदन में 27 जुलाई 2017 में चर्चा हुई थी। बाजवा जी ने शून्यकाल में ये विषय उठाया था। अगले दिन सदन में जवाब देने आई थी।तब मैंने कहा था कि जब तक मेरे पास कोई सबूत नहीं होगा, तब तक उन्हें मृत घोषित नहीं करूंगी।
बिना सबूत को किसी को मर गया कह देना पाप है और सरकार के लिए गैर-जिम्मेदाराना है। इसलिए न तो मैं गैर-जिम्मेदाराना काम करूंगी और न ही पाप करूंगी। लेकिन जिस भी दिन एक भी सबूत मिल गया, पक्का सबूत मिल गया और संसद का सत्र चल रहा होगा तो चेयर से अनुमति मांगकर कार्यवाही रुकवाकर सदन में जानकारी दूंगी।
और अगर सत्र नहीं चल रहा होगा तो 10 मिनट के अंदर ट्विटर पर देश को जानकारी दूंगी।आज मेरे पास दोनों बातों के पक्के सबूत है। पहला- हरजीत मसीह की कहानी सच्ची नहीं थी। दूसरा- भारी मन से कह रही हूं कि वो लोग मार दिए गए हैं।हरजीत सच नहीं बोल रहा था, इसका सबूत ये है कि पिछली बार वीके सिंह इराक में खोजने के लिए गए तो मैंने कहा था कि सबसे पहले मोसुल जाकर कंपनी के मालिक से मिलना।
आपको वहां कुछ महत्वपूर्ण सुराग मिलेंगे। उन्होंने अपनी यात्रा मोसुल से ही शुरू की।कंपनी के मालिक ने बताया कि उनके यहां 40 हिंदुस्तानी और कुछ बांग्लादेशी काम करते थे। जब आईएसआईएस ने मोसुल पर कब्जा करना शुरू किया तो सभी को वहां से निकल जाने को कहा।
सबसे पहले इराकी नागरिक निकले, उसके बाद बाकी नेशनलिटीज के लोग निकल गए। लेकिन हिंदुस्तानी और बांग्लादेशी नहीं निकले।इसके बाद कंपनी मालिक ने केटरर को बुलाया जो उनको खाना खिलाता था। केटरर ने बताया कि एक दिन जब हिंदुस्तानी और बांग्लादेशी खाना खाने आ रहे थे तो उन्हें आईएसआईएस ने देख लिया।
उन्होंने पूछा कि कौन हो। आतंकियों को हिंदुस्तानी और बांग्लादेशियों के बारे में बताया गया।सुषमा के मुताबिक आतंकियों ने कहा कि ये लोग यहां नहीं रहेंगे। इनको टेक्सटाइल फैक्ट्री ले जाओ। फैक्ट्री ले जाकर कहा कि हिंदुस्तानियों को अलग रख दो और बांग्लादेशियों को अलग। एक दिन उन्होंने कहा कि बांग्लादेशियों को इरबिल छोड़ आओ।
केटरर ने बताया कि छोड़ने की जिम्मेदारी उसे दी गई। केटरर अपनी वैन में उन्हें इरबिल छोड़ने पर तैयार हो गया।पता नहीं हरजीत ने कुछ जुगाड़ किया, केटरर ने कंपनी के मालिक को कहा कि हरजीत को मुस्लिम नाम देकर बांग्लादेशियों के साथ निकाल दो। कंपनी मालिक ने कहा कि मेरे पास एक आदमी का फोन आया। उसने खुद को अली बताया।
मालिक ने कहा कि मेरे यहां तो कोई अली नाम का लड़का काम ही नहीं करता। तो उसने कहा कि मैं वो हूं जिसको बांग्लादेशियों के साथ निकालना है।केटरर ने बताया कि वह अली बनाकर हरजीत को इरबिल छोड़कर आया।सुषमा ने बताया, “पहली बार हरजीत का इरबिल नाके से फोन आया। वो पंजाबी में बात कर रहा था। मैंने उससे पूछा- कहां पहुंचे थे।
उसने कहा- मुझे नहीं पता। बस ये कहा कि मुझे निकाल लो। मैंने कहा- बेटा, मैं तुम्हें जरूर निकाल लूंगी। लेकिन ये बताओ कि तुम यहां पहुंचे कैसे। तब भी उसने यही कहा कि मुझे नहीं पता।बाद में उसने ये कहानी गढ़ी कि सबको जंगल में ले जाया गया और एक कतार में खड़ा कर दिया गया और गोली मार दी।
39 के सिर में गोली लगी तो किसी को कहीं। हरजीत ने ये भी बताया कि उसे पैर में गोली लगी। उसकी कहानी सच नहीं थी।सुषमा ने कहा, “डीएनए टेस्ट में सबसे पहले संदीप नाम के लड़के का पता चला। 38 अन्य लोगों के डीएनए मैच होने के पता चला। एक लड़के के डीएनए इसलिए मैच नहीं हो पाया क्योंकि उसके माता-पिता नहीं थे।
जो कंपनी डीएनए टेस्ट कर रही है, उसने 70% मैच की बात कही है। लेकिन वे 98% मैच होने पर ही घोषणा करते हैं।वीके सिंह, इराक में हमारे राजदूत प्रदीप राजपुरोहित और एक इराकी अफसर की मदद से खोज का अभियान चलाया। मैं उनका शुक्रिया अदा चाहती हूं कि जिन्होंने काफी धैर्यपूर्वक इस अभियान को पूरा किया।
वे बदूश गए। मुश्किल हालात में रहे, जमीन पर सोए। फिर बॉडी को बगदाद लाए।जनरल साहब और उनकी टीम जब वहां घूम रहे थे, तो किसी ने उन्हें एक पहाड़ के बारे में बताया। उसने बताया कि पहाड़ में बहुत सारे लोगों को एकसाथ दफनाया गया है।पहाड़ के अंदर पता करने के लिए इराकी अफसर को बोलकर डीप पेनीट्रेशन रडार मंगवाया गया।
रडार से पहाड़ में बॉडीज दबे होने का पता चला।पूरा पहाड़ खुदवाया गया। बॉडीज में लंबे बाल और कड़ा मिला। कुछ आईडी कार्ड्स मिले। सारे शव बगदाद भेजे गए।आईएसआईएस के चंगुल में मरने वालों में 27 लोग पंजाब, 4 हिमाचल प्रदेश, 6 बिहार और पश्चिम बंगाल के 2 लोग थे। राजू यादव नाम के शख्स की पहचान नहीं हो सकी है। वो बिहार का रहने वाला था।
शशि थरूर ने कहा इराक में जिन परिवारों ने कोई अपना खोया, उनके साथ हमारी संवेदनाएं हैं। लेकिन सरकार का चार साल तक लोगों की मौत को छिपाना कहां तक सही है?अकाली दल ने इस मसले को लेकर कांग्रेस पर राजनीति करने का आरोप लगाया। केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर ने कहा, “क्या आप ये नहीं समझते कि विदेश मंत्रालय सबसे पहले सबूत देखता है। अगर एक भी शख्स जिंदा रहता है, तब तक हमारे दरवाजे बंद नहीं होते।