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वाराणसी में निर्माणाधीन फ्लाईओवर गिरने से 18 लोगों की मौत

वाराणसी में निर्माणाधीन फ्लाईओवर के गिरने से 18 लोगों की मौत हो गयी है। हादसा सिगरा थाना क्षेत्र के शहर के सबसे व्यस्त इलाकाें में शुमार लहरतारा में दोपहर बाद हआ। जहां दो दिन पहले ही पुल पर रखे गए स्लैब को जोड़ने का काम चल रहा था। इसके बावजूद नीचे से ट्रैफिक गुजरता रहा। प्रशासन ने ट्रैफिक नहीं रोका। यह लापरवाही आम लोगों पर भारी पड़ी।

कुछ रिपोर्टों में हताहतों की संख्या 35 बताई गई है। हालांकि, इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है। घायलों को अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। तीन लोगों को मलबे से जिंदा निकाला गया है।एक चश्मदीद ने बताया, हादसे के करीब आधे घंटे बाद राहत-बचाव दल पहुंचा। हादसे के बाद मौके पर आला अफसर मौके पर पहुंचे।

पुलिस के साथ एनडीआरएफ की टीम ने राहत कार्य शुरू किया। गिरे हुए पिलर को क्रेन की मदद से हटाने का काम शुरू किया।वहीं, देर रात वाराणसी पहुंचे उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद ने फ्लाईओवर के चीफ प्रोजेक्ट मैनेजर एचसी तिवारी, मैनेजर केआर सूदन, असिस्टेंट इंजीनियर राजेश और अपर इंजीनियर लालचंद को निलंबित किए जाने की जानकारी दी।

राज्य सेतु निगम पर घटिया सामग्री लगाने का आरोप सामने आ रहा है।मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने घटना की जांच के लिए 3 सदस्यीय समिति का गठन किया और 48 घंटे में रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है। समिति के अध्यक्ष राज प्रताप सिंह (कृषि उत्पादन आयुक्त, यूपी) होंगे।। समिति के अन्य सदस्य भूपेंद्र शर्मा (प्रमुख अभियंता और विभागाध्यक्ष सिंचाई विभाग) और राजेश मित्तल (प्रबंधक निदेश जल निगम) हैं।

वाराणसी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र है और सिगरा थाना क्षेत्र के लहरतारा इलाके में इस फ्लाईओवर के निर्माण के लिए 2 मार्च, 2015 को 12973.80 लाख रुपये की राशि मंजूर की गई थी। अक्टूबर 2015 में पुल बनना शुरू हुआ।पुल का निर्माण पूरा करने की सीमा अक्टूबर 2018 तय थी, लेकिन अब तक 47 फीसदी काम ही पूरा हो पाया है।पुल को बनाने का काम उत्तर प्रदेश सेतु निर्माण निगम द्वारा किया जा रहा है।

पहले पुल का काम अक्टूबर 2018 में पूरा होना था, लेकिन देरी के कारण इसकी अवधि बढ़ाई गई थी। 2019 में होने वाले आम चुनाव से पहले एक किमी लंबे इस फ्लाईओवर का निर्माण पूरा करने का दबाव था।जब निर्माण कार्य चल रहा था तब उसे क्षेत्र में ट्रैफिक को क्यों नहीं रोका गया था? रात की बजाए दिन में काम क्यों हो रहा था? दिन में काम होने के कारण कोई भी सुरक्षा इंतजाम क्यों नहीं किए गए?

कैंट रेलवे स्टेशन से 100 मीटर की दूरी होने के कारण यह इलाका भीड़भाड़ वाला है। घटनास्थल से 600 मीटर की दूरी पर वाराणसी रोडवेज का बस स्टैंड है। इसके बावजूद दिन में हैवी व्हीकल (बड़ी गाड़ियां) की एंट्री बैन क्यों नहीं की गई?प्रधानमंत्री ने हादसे में मारे गए लोगों के प्रति अपनी संवेदनाएं प्रकट की हैं।

उन्होंने ट्वीट कर कहा, वाराणसी में निर्माणाधीन फ्लाईओवर गिरने से बेहद दुखी हूं। मैं घायलों के जल्द स्वस्थ होने की कामना करता हूं। मैंने अधिकारियों से बात कर पीड़ितों को पूरा सहयोग देने के लिए कहा है।अन्य ट्वीट में उन्होंने लिखा, मैंने यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी से घटना के संबंध में बात की है।

यूपी सरकार स्थिति पर पूरी तरह नजर बनाए हुए है और राहत एवं बचाव के लिए सभी जरूरी कदम उठाने में मदद कर रही है।राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने ट्वीट किया वाराणसी में निर्माणाधीन फ्लाईओवर हादसे की जानकारी मिलने से काफी दुख पहुंचा है। हादसे में मारे गए लोगों के परिजनों के प्रति मेरी हार्दिक संवदेनाएं हैं।

स्थानीय प्रशासन सभी प्रभावित लोगों की मदद और राहत कार्यों में जुट गया है।उत्तर प्रदेश सरकार के प्रवक्ता और कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हादसे में हुई मौतों पर दुख जताया है।सिद्धार्थनाथ के अनुसार, मुख्यमंत्री ने राहत और बचाव काम में किसी भी प्रकार की हीलाहवाली न होने देने का आदेश दिया है।

उधर, मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद वाराणसी पहुंचे केशव प्रसाद मौर्या ने हादसे को लेकर कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण। मुझे बहुत दुख है। मैं अस्पताल में घायलों से मिलने जा रहा हूं। घटना के दोषी बचेंगे नहीं। मुख्यमंत्री ने मंत्री नीलकंठ तिवारी को वाराणसी पहुंचने के निर्देश दिए हैं।

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