राजस्थान की जोधपुर की फलौदी जेल से फ़िल्मी अंदाज में भागे 16 कैदी

राजस्थान की जोधपुर जिले की फलौदी जेल में 16 कैदी जेल के कर्मचारियों की आंखों में मिर्च का पाउडर डालकर भाग गए। जेल से निकलने के बाद फरार कैदियों ने जेल परिसर के बाहर पहले से पार्क की गई स्कॉर्पियो का इस्तेमाल किया।

फलौदी जेल पहुंचे डीजी जेल राजीव दासोत ने आईएएनएस को बताया कि स्टॉफ के 4 लोगों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है और डिप्टी आईजी सुरेंद्र सिंह शेखावत को जांच करने की जिम्मेदारी दी गई है।

इस बीच पुलिस अधिकारियों ने आईएएनएस को बताया कि इस घटना के बाद बाड़मेर, बीकानेर, जैसलमेर और नागौर समेत आसपास के जिलों की ओर जाने वाली सड़कों पर बैरिकेड्स लगा दिए गए हैं। हालांकि यह खबर लिखे जाने तक कैदियों का कोई सुराग नहीं लग पाया था।

पुलिस सूत्रों ने बताया कि भागने वाले कैदी तस्कर थे और ग्रामीण इलाके से अच्छी तरह से परिचित थे। ऐसी आशंका है कि वे शायद ग्रामीण इलाकों में चले गए हों।बता दें कि यह राज्य में जेल से भागने का दूसरा बड़ा मामला है। इससे पहले फरवरी 2010 में 23 कैदी चित्तौड़गढ़ की जिला जेल से भाग गए थे।

वहीं फलौदी जेल में लगे सीसीटीवी फुटेज की जांच कर रहे अधिकारियों ने कहा कि ऐसा लगता है कि जेल से भागने की योजना बहुत ही सावधानी से बनाई गई थी। पुलिस जेल में तैनात गार्ड से भी पूछताछ कर रही है। साथ ही जेल की ओर जाने वाली सड़क के सीसीटीवी फुटेज की भी जांच की जा रही है।

फुटेज से पता चला है कि ये अक्सर दिन में बैरक के बगल की खुली जगह पर घूमते रहते थे।वहीं जेल से भागते समय कैदियों ने पहले गेट खोलने वाले कांस्टेबल को धक्का दिया। फिर वे केयर टेकर और उसके पास खड़े गार्ड के पास गए, उनकी आंखों में मिर्च और सब्जियों को धोने वाले सॉल्यूशन फेंक दिया।

इसके बाद वे महिला गार्ड को एक तरफ धकेलकर भाग निकले।जोधपुर के सांसद और केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कैदियों के भागने पर राज्य सरकार की आलोचना करते हुए कहा राज्य में जिस तरह कानून और व्यवस्था बिगड़ रही है, वैसे ही जेलों में भी सुरक्षा कमजोर होते दिख रही है। शुक्र है कि सरकार के पास हमारे पड़ोसी देशों से जुड़ी सीमाओं को नियंत्रित करने की जिम्मेदारी नहीं है।

वरना राजस्थान सरकार उसमें नाकामयाब होने में भी दुनिया में शीर्ष पर होती।बता दें कि राजस्थान पुलिस ने हाल ही में ऑपरेशन फ्लश आउट शुरू किया था जिसमें कैदियों से फोन और सिम कार्ड जब्त किए गए थे। साथ ही 100 से अधिक पुलिस अधिकारियों को कैदियों के साथ उनकी कथित करीबी के चलते निलंबित कर दिया गया था।

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