भोपाल में कोरोना से अब तक 1 शख्स की मौत हुई है, लेकिन अप्रैल के पहले 6 दिनों में यहां मुस्लिम समाज में मौत की दर अचानक बढ़ गई है। शहर के दो बड़े कब्रिस्तानों में मार्च के महीने में 213 शवों को दफनाया गया था।
यानी यहां हर दिन करीब 7 शव दफनाए गए लेकिन अप्रैल के शुरुआती 6 दिनों में ही यहां 93 शव पहुंच गए। यानी अब हर दिन 15 शव दफनाए जा रहे हैं। यह पिछले महीने की तुलना में दोगुना है।
उधर, काशी के मणिकर्णिका घाट पर लॉकडाउन से पहले हर दिन करीब 100 शव दाह के लिए आते थे लेकिन अब इनकी संख्या 15-20 रह गई है।कोरोनावायरस के चलते देशभर में अब तक 200 से ज्यादा मौतें हो गई हैं।
इन्हें इलेक्ट्रिक या गैस वाले शवदाह गृह में ही जलाया जा रहा है। इस दौरान स्वास्थ्य विभाग की टीमें मौजूद रहती है। इस महामारी के अलावा जो लोग मर रहे हैं, उनके लिए भी शमशान और कब्रिस्तान में सतर्कता बरती जा रही है।
कब्रिस्तानों में शव दफनाने के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग के लिए पर्चे लगाए गए हैं तो शमशान घाटों में दूर से ही शव के उपर लकड़ी सहित अन्य सामग्री रख दी जाती है।
भोपाल के जहांगीराबाद कब्रिस्तान में 1 से 31 मार्च तक 39 शवों को दफनाया गया यानी हर दिन औसतन 1 शव दफनाया गया, जबकि अप्रैल के शुरुआती 6 दिनों में ही यह 17 हो गए, यानी अब औसतन हर दिन 3 शव यहां पहुंच रहे हैं।
ठीक इसी तरह सैफिया कॉलेज के पास वाले कब्रिस्तान में 1 से 31 मार्च तक 174 शव आए, यानी हर दिन औसतन 5 से 6 के बीच में शव आए जबकि अप्रैल के 6 दिनों में ही यहां 76 शवों को दफनाया गया यानी अब हर दिन 12 से ज्यादा शव यहां पहुंच रहे।
वाराणसी में महा शमशान कहलाने वाले मणिकर्णिका घाट पर आम दिनों में पूर्वांचल, बिहार, झारखंड से रोज 80 से 100 शव दाह के लिए आते हैं। लॉकडाउन के बाद यह संख्या घटकर 15-20 रह गई है।
यहां हरिश्चंद्र श्मशान घाट पर इलेक्ट्रिक दाह संस्कार भी किया जाता है और एक कोरोना पॉजिटिव की मौत के बाद उसका अंतिम संस्कार यही किया गया था।
कोरोना संक्रमित की मौत से पहले घाट को पूरी तरह खाली करवाया गया था और वहां सिर्फ स्वास्थ्य विभाग की टीम मौजूद थी।राजधानी लखनऊ में छोटे बड़े मिलाकर 22 कर्बला हैं। यहां फरवरी में 190 और मार्च में 167 शवों को दफनाया गया।
इस महीने एक से आठ अप्रैल के बीच इन कब्रिस्तानों में 55 जनाजे पहुंचे हैं। सभी कर्बला के बाहर लोगों के जनाजे के साथ और कब्र पर नहीं आने की हिदायत देता पर्चा भी चिपकाया गया है।
लॉकडाउन के चलते पंजाब के ज्यादातर इलाकों में अस्थियों का प्रवाह रुका हुआ है। इस कारण शहरों में शमशान घाट के अंदर सभी लॉकर अस्थियों से फुल हो गए हैं। कई जगहों पर श्मशान घाट में संस्कार के लिए लकड़ियों की कमी भी होने लगी है।
श्मशान घाट कमेटी के सदस्य लोगों को ब्यास दरिया में अस्थियां प्रवाहित करने की सलाह दे रहे हैं, लेकिन ज्यादातर लोग अस्थियों को हरिद्वार ही ले जाना चाहते हैं।चंडीगढ़ और मोहाली में इस महीने तीन कोरोना पॉजिटिव का संस्कार किया गया।
शवदाह गृह के पंडित के मुताबिक, स्वास्थ्य विभाग की टीम ही एंबुलेंस में शव लाती है। वे सेफ्टी किट पहने होते हैं और वे ही लोग शव को बॉक्स में रखते हैं, हम तो सिर्फ स्विच ऑन करते हैं।
पंचकुला में एक लकड़ी वाला शमशान घाट है लेकिन कोरोना पॉजिटिव को इलेक्ट्रिक या गैस वाले गृह में ही जलाया जाता है। कर्फ्यू के कारण लोग अब मृत परिजनों की अस्थियां प्रवाहित करने नहीं जा पा रहे हैं।
सेक्टर-25 में सभी 125 लॉकर्स फुल हैं, 60 नए भी बना दिए गए हैं। वहीं, मोहाली में 40 के करीब लॉकर्स हैं जो फुल हैं। इनके अलावा बोरियों में भरकर भी अस्थियां रखीं हुईं हैं।