भारत के राज्य मिजोरम में अफ्रीकन स्वाइन फीवर का प्रकोप हुआ शुरू

मिजोरम में पिछले साल तबाही मचाने वाला अत्यधिक संक्रामक अफ्रीकन स्वाइन फीवर (ASF) ने सीमावर्ती राज्य के कुछ जिलों में फिर से दस्‍तक दे दी है. पशुपालन और पशु चिकित्सा (Animal Husbandry and Veterinary Medicine) विभाग के अधिकारियों ने कहा कि हाल में चम्फाई और अन्य जिलों के कुछ गांवों में एएसएफ के कारण सुअर की मौत (Pig’s Death) की सूचना मिली थी.

एएच एंड वेटी विभाग के एक अधिकारी ने कहा, ‘हमने विभाग के अधिकारियों से एएसएफ के ताजा प्रकोप की दैनिक रिपोर्ट (Daily Report) आइजोल निदेशालय को भेजने के लिए कहा है. सभी प्रभावित जिलों का विवरण (Description) प्राप्त करने के बाद सुअरों की मौत की सही संख्या का पता चल सकेगा.’

मुख्य सचिव रेणु शर्मा (Chief Secretary Renu Sharma) ने स्थिति की समीक्षा करने और संक्रामक रोग (Infectious Disease) को और फैलने से रोकने के लिए रणनीति को अंतिम रूप देने के लिए बुधवार को एक जरूरी बैठक बुलाई है. अत्यंत संक्रामक एएसएफ का पहली बार लुंगलेई जिले के लुंगसेन गांव में पिछले साल मार्च में पता चला था और बाद में यह सभी 11 जिलों में फैल गया और 10,000 से अधिक परिवारों को प्रभावित करने वाले 33,417 सुअरों की मौत से 61 करोड़ रुपये का वित्तीय नुकसान (Financial Loss) हुआ.

पिछले साल लगभग 11,000 सुअरों (Pigs) को मार दिया गया था और मारे गए सुअरों के लिए केंद्र सरकार (Central Government) से लगभग 12 करोड़ रुपये का मुआवजा (Compensation) मांगा गया था. अधिकारियों ने कहा कि हालांकि पिछले साल दिसंबर से एएसएफ से संबंधित सुअर की मौत की सूचना नहीं मिली थी, लेकिन देर से ताजा मामले सामने आए.

विशेषज्ञों के अनुसार, एएसएफ का प्रकोप पड़ोसी म्यांमार (Myanmar), बांग्लादेश (Bangladesh) और आसपास के पूर्वोत्तर राज्यों से इंपोर्टेड सुअर या सुअर के मांस के कारण हो सकता है. पूर्वोत्तर क्षेत्र का वार्षिक पोर्क कारोबार (Pork Business) लगभग 8,000-10,000 करोड़ रुपये का है, जिसमें असम (Assam) सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है. सुअर का मांस इस क्षेत्र के आदिवासियों और गैर-आदिवासियों द्वारा खाए जाने वाले सबसे लोकप्रिय मांस में से एक है.

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