मणिपुर के मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता एन बीरेन सिंह ने इस बार राज्य की 60 में से 40 सीटें जीतने का भरोसा जताते हुए कहा है कि उनकी सरकार राज्य में बेहतर माहौल होने पर केन्द्र सरकार से विवादास्पद सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून 1958 (अफ्स्पा)को हटाने का प्रस्ताव भेजेगी।
राज्य में वर्ष 2017 से भाजपा नीत गठबंधन का नेतृत्व करने वाले फुटबाल के शानदार खिलाड़ी रह चुके और एक स्थानीय समाचार पत्र के संपादक श्री सिंह ने आईएएनएस से बातचीत करते हुए कहा कि पड़ोसी देश म्यांमार में तख्तापलट हो गया है और उस कानून को हटाने से पहले राष्ट्रीय सुरक्षा तथा अन्य स्थितियों पर ध्यान दिया जाएगा।
पड़ोसी राज्य नागालैंड में सेना की गलती से हुई गोलीबारी में 14 लोगों की मौैत के बाद इस कानून को लेकर काफी विरोध हुआ था।पहले कांग्रेस में रह चुके और अब भाजपा नेता श्री सिंह पिछले दो दशकों से राजनीति में सक्रिय हैं और वह पहली बार 2002 में राज्य विधानसभा के लिए चुने गए थे ।
वह इस बार भी अपनी पारंपरिक हीनगांग सीट से ही चुनाव लडेंगे। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति सुधारने के लिए बेहतर काम किया है और इसी वजह से उसे दो तिहाई बहुमत हासिल होगा।। उनके साक्षात्कार के मुख्य अंश इस प्रकार हैं।
सत्ता बरकरार रखने को लेकर जब उनसे पूछा गया तो उन्होंने कहा कि हम अपने किए गए कार्यों के लिए इस बार दो-तिहाई बहुमत की उम्मीद कर रहे हैं।उन्होंने इस आत्मविश्वास का कारण बताते हुए कहा मैं जमीनी स्तर का राजनेता हूं। मैं लोगों की नब्ज जानता हूं।
इसे ध्यान में रखते हुए पिछले पांच वर्षों में मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह के साथ-साथ पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा और अन्य केंद्रीय नेताओं के मार्गदर्शन में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर रहा हूं।उन्होंने कहा कि हम गो टू हिल्स और गो टू विलेज मिशन योजनाओं के साथ घर-घर जाकर केंद्र सरकार और राज्य सरकार के विभिन्न लाभ लोगों को घर-घर पहुंचा रहे हैं।
हमने कई योजनाएं शुरू की हैं। मुख्यमंत्री जी हक्सेलगी तेंगबांग के तहत जरूरतमंद लोगों को चिकित्सा उपचार के लिए 2 लाख रुपये प्रदान किए जा रहे हैं, और अब तक 4.5 लाख लोगों को योजना का लाभ मिला है।उन्होंने कहा कि जब उनकी सरकार सत्ता में आई थी तो मात्र 5.7 आवासों तक पीने का पानी महुैया था जो अब बढ़कर 62 प्रतिशत आवासों तक पहुंच गया है।
राज्य में कानून व्यवस्था का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि 15 से 20वर्ष पहले मणिपुर को एक समस्याग्रस्त राज्य के तौर पर जाना जाता था लेकिन पिछले पांच वर्षों में यहां न तो कोई हड़ताल और ना ही किसी तरह का कोई बंद आयोजित किया गया है। यहां मैदानी तथा घाटी के लोगों के बीच काफी मैत्रीपूर्ण संबंध पाए गए हैें।
श्री सिंह ने विवादित कानून अ़फ्स्पा के बारे में कहा कि इसे लेकर लोगों में कोई परेशानी नहीं है क्योंकि यह कानून यहां 1950 से है और लोग भी इसके बारे में जानते हैं। सेना और सुरक्षा बल देश की सुरक्षा के लिए यहां तैनात हैं। म्यांमार के जो हालात हैं उसे देखते हुए इस कानून को एक दम से नहीं हटाया जा सकता है। हम इसके लिए केन्द्र सरकार से बातचीत कर रहे हैं तथा राज्य में बेहतर माहौल बना रहे हैं ताकि केन्द्र इसकी मियाद आगे नहीं बढ़ाए।
राज्य की चुनावी प्रक्रिया में उग्रवादियों की भूमिका के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि घाटी क्षेत्र में 40 सीटें हैें और वहां उग्रवादियों की कोई भूमिका नहीं होगी लेकिन पर्वतीय क्षेत्रों में जहां कुकी और नागा उग्रवादी हैं वहां केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने उग्रवादी समर्थकों को साफ हिदायत दे दी गई है कि वे अपने शिविरों में ही रहे तथा किसी भी तरह की राजनीतिक गतिविधियों में हिस्सा नहीे लें।