MOTIVATIONAL STORY ON DESIRE कामना सत्य को नहीं देखने देती

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MOTIVATIONAL STORY ON DESIRE: एक बार दो संत एक रास्ते से गुजर रहे थे। उस रास्ते पर बहुत भीड़ थी दुसरे संत ने कहा की यहां मुझे कुछ सुनाई नहीं पड रहा। यहा बहुत शोरगूल है। यहां ज्ञान की बात मत करो, एकांत मै चलकर तुम अपनी बात कह देना। वह संत वहीं खडा हो गया। उसने अपनी जेब से एक रुपये का सिक्का निकाला और धीरे से रास्ते पर गिरा दिया। उस रुपये के गिरने की अवाज सुनकर भीड़ लग गई।

दुसरे संत से कहा मैं कुछ समझा नहीं यह तुमने क्या किया। उसने रुपया उठाया, और जेब मैं रखकर चल पडा। फिर उसने कहा’ यह रास्ते पर भरी भीड है इतना शोरगुल है लेकिन रुपये की जरा सी खनन की आवाज और इतने लोग एकत्रित हो गये ये सब रुपये के प्रेमी हैं। चाहे फिर क्यु ना नरक में भी भयंकर उत्पात मचा हो और अगर रुपया गिर जाए तो ये सुन लेंगे।

अक्सर हम वही सुन लेते हें जो हम सुनना चाहते हैं उस संत ने कहा, अगर तुम ईश्वर के प्रेमि हो और अगर मैं इस भीड़ में तुमसे ईश्वर के सम्बंध मे कुछ कहूँ तो तुम सुन लोगे। इसमें कोई दूसरा बाधा नहीं बन सकता है। हम वही सुनते हैं जो हम सुनना चाहते है। हम वही देखते हें जो हम देखना चाहते हैं।

हमारा उसी से मिलन हो जाता है जिससे हम मिलना चाहते हैं। इस जीवन में व्यवस्था को ठीक से जो समझ लेता हें वह फिर दुसरे को दोष नहीं देता।

Moral of Story: 

आपकी कामना आपको सत्य नहीं देखने देगी। सत्य को देखना चाहते हो तो कामना के पार जाना होगा यानि कामना से मुक्त होना पडेगा तभी आप सत्य से परिचित हो पायेंगे

किसी सुंन्दर जंगल मे अगर कोई लकड़हारा जाये तो कुछ और देखेगा, कोई सोंदर्य प्रेमी जाये तो वो कुछ और देखेगा, कोई चित्रकार जाये तो कुछ और देखेगा और अगर कोई शिकारी जाये तो कुछ और देखेगा। चारों एक ही जगह पर हैं लेकीन चारो का नजरिया अलग अलग होगा।

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