जिन्दगी में जो हम देते है हमे वही वापिस मिलता है
ये एक सत्य है कि जितना हम दूसरो के लिए बेहतर बन पाते है उतना ही हम अपने लिए भी बेहतर होते है क्योकि जिन्दगी में हम उतना ही पाते है जितना किसी दूसरे को देने में हम समर्थ होते है। एक कहानी के जरिये आप इसे समझ सकते है।
” एक दिन एक बच्चा अपनी माँ से नाराज हो जाता है तो जब उसे डांट दिया जाता है तो गुस्सा होकर वो घर से बाहर चला जाता है और घर से थोड़ी दूर एक पहाड़ी पर जाकर जोर से चिल्ला कर बार बार कहता है कि ” मैं तुमसे नफरत करता हूँ ” तो थोड़ी ही देर बाद उसे अपनी ही प्रतिध्वनी सुनाई देती है तो वो बच्चा जिसे नहीं पता कि ये आवाज क्यों आती है उसे लगता है कि उस तरफ भी कोई है जो उस से यही कह रहा है तो वो डर जाता है वापिस अपनी माँ के पास आकर पूरी बात बताता है तो उसकी माँ समझ जाती है और बच्चे को वापिस उसी पहाड़ी पर ले जाकर कहती है अब तुम ये कहो कि ” मैं तुमसे प्यार करता हूँ ” तो वो फिर वही आवाज गूंजी तो उसकी माँ ने कहा कि देखो तुमने जब ये कहा कि ” मैं तुमसे नफरत करता हूँ” तो सामने से भी तुम्हे यही सुनने को मिला लेकिन जहां तुमने अपनी नफरत को प्यार में बदल दिया वहीं सामने वाले का नजरिया भी तुम्हारे लिए बदल गया। तो बच्चे को एक बड़ी सीख इस घटना से मिली।