Inspiring Stories of Forgiveness छोटी सी गलती, इतनी बड़ी सजा?

Power-of-Forgiveness

Inspiring Stories of Forgiveness छोटी सी गलती, इतनी बड़ी सजा? 

एक राजा था। स्वभाव से वह बहुत क्रूर इंसान था। जिससे नाराज हो जाता, उसके प्राण लेने में देर नहीं लगाता। राजा ने 10 खूंख्वार जंगली कुत्ते पाल रखे थे। उन कुत्तों का इस्तेमाल वह लोगों को उनके द्वारा की गयी गलतियों पर मौत की सजा देने के लिए करता था। 

एक बार की बात है। राजा के एक विश्वासपात्र अनुभवी मंत्री से एक छोटी सी गलती हो गयी। गलती तो जरा सी थी, पर राजा आख‍िर राजा ठहरा। यही कारण था कि वह मंत्री की उस छोटी सी भी गलती को भी बर्दाश्त न कर सका। उसने क्रोधित होकर मंत्री को शिकारी कुत्तों के आगे फिंकवाने का हुक्म दे दिया। 
राजमहल के नियम के अनुसार मंत्री को कुत्तों के आगे फेंकने से पहले उसकी अंति‍म इच्छा पूछी गयी। मंत्री हाथ जोड़कर बोला- “महाराज! मैंने आपका नमक खाया है।”
कहते हुए मंत्री ने एक लम्बी सी सांस ली और फिर अपनी बात आगे बढ़ाई, ”एक आज्ञाकारी सेवक के रूप में आपकी 10 सालों से सेवा करता आ रहा हूं।” 
”तुम सही कह रहे हो,” राजा ने कोबरा नाग की तरह फुंफकारते हुए जवाब दिया, ”लेकिन यह याद दिला कर तुम इस सजा से नहीं बच सकते।” 
”नहीं महाराज, मैं सजा से बचना नहीं चाहता,” मंत्री ने अपने हाथ पुन: जोड़ दिये, ”बस आपसे एक छोटा सा निवेदन है। अगर, मेरी स्वामीभक्ति को देखते हुए मुझे 10 दिनों की मोहलत जाती, तो आपका बड़ा एहसान होता। मैं अपने कुछ अधूरे कार्य…।” 
कहते हुए मंत्री ने अपनी बात अधूरी छोड़ दी और राजा की ओर देखा। राजा ने दयालुता दिखाते हुए मंत्री की सजा दस दिनों के लिए मुल्तवी कर दी और दस दिनों के लिए दरबार भंग कर दिया।
दस दिनों के बाद राजा का दरबार पुन: लगा। सैनिकों ने मंत्री को राजा के सामने प्रस्तुत किया। राजा ने एक बार मंत्री की ओर देखा और फिर मंत्री को दरबार हाल के बगल में मौजूद खूंख्वार कुत्तों के बाड़े में फेंकने का इशारा कर दिया। सैनिकों ने राजा की आज्ञा का पालन किया। मंत्री को खूंख्वार जंगली कुत्तों के बाड़े में फेंक दिया गया।  
परंतु यह क्या? कुत्ते मंत्री पर टूट पड़ने की बजाए अपनी पूँछ हिला-हिला कर उसके आगे-पीछे घूमने लगे। यह देखकर राजा भौंचक्का रह गया। वह दहाड़ते हुए बोलो, ”ये क्या हो रहा है? ये खूंख्वार कुत्ते इस तरह का व्यवहार क्याें कर रहे हैं?” 
यह सुनकर मंत्री बोला, ”राजन! मैंने आपसे जो 10 दिनों की मोहलत मांगी थी, उसका एक-एक क्षण इन बेजुबानों की सेवा में लगाया है। मैं रोज इन कुत्तों को खिलाता-पिलाता था और इनकी सेवा करता था। यही कारण है कि ये कुत्ते खूंख्वार और जंगली होकर भी मेरी दस दिनों की सेवा नहीं भुला पा रहे हैं। परन्तु खेद है कि आप मेरी एक छोटी सी गल्ती पर मेरी 10 वर्षों की स्वामी भक्ति को भूल गए और मुझे मौत की सजा सुना दी!”
यह सुनकर राजा को भारी पश्चाताप हुआ। उसने तत्काल मंत्री को आज़ाद करने का हुक्म दिया और आगे से ऐसी गलती ना करने की सौगंध ली।
दोस्तों, वह राजा तो पश्चाताप करके अपना यश दुनिया में पैदा कर गया। पर वह अब भी हमारी ओर देख रहा है। और हमसे भी उसी तरह क्षमाशील होने की उम्मीद कर रहा है। आइए, हम भी प्रण करें कि हम भी किसी की हज़ार अच्छाइयों को उसकी एक बुराई के सामने छोटा नहीं होने देंगे और किसी की एक छोटी सी गल्ती के लिए उसे उस राजा की तरह इतनी बड़ी सजा नहीं देंगे!

Check Also

आसान नहीं है निष्पक्ष पत्रकारिता – पीनाज त्यागी

पत्रकारिता एक ऐसा क्षेत्र है जहां अगर आपको कुछ मुकाम हासिल करना है तो आपमें …