Hard Decision Story महत्वपूर्ण निर्णय

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Hard Decision Story महत्वपूर्ण निर्णय

बाज लगभग 70 वर्ष जीता है, पर अपने जीवन के 40वें वर्ष में आते-आते उसे एक महत्वपूर्ण निर्णय लेना पड़ता है। उस अवस्था में उसके शरीर के तीन प्रमुख अंग निष्प्रभावी होने लगते हैं। उसके पंजे लंबे व लचीले हो जाते हैं और शिकार पर पकड़ बनाने में अक्षम होने लगते हैं। उसकी चोंच आगे की ओर मुड़ जाती है, जिससे भोजन निकालने में व्यवधान उत्पन्न करने लगती है। पंख भारी हो जाते हैं और सीने से चिपकने के कारण पूरे खुल नहीं पाते, यानी उड़ानें सीमित कर देते हैं।

उसके पास तीन ही विकल्प बचते हैं, या तो वह देह त्याग दे, या अपनी प्रवृत्ति छोड़ गिद्ध की तरह त्यक्त भोजन पर निर्वाह करे या स्वयं को पुनर्स्थापित करे। जहां पहले दो विकल्प सरल हैं, तीसरा अत्यंत पीड़ादायी और लंबा। बाज पीड़ा चुनता है और स्वयं को पुनर्स्थापित करता है। वह किसी ऊंचे पहाड़ पर अपना घोंसला बनाता है और तब प्रारंभ करता है पूरी प्रक्रिया। सबसे पहले वह अपनी चोंच चट्टान पर मार-मारकर तोड़ देता है और प्रतीक्षा करता है अपनी चोंच के पुन: उग आने की। उसके बाद वह अपने पंजे उसी प्रकार तोड़ता है। नई चोंच व पंजे आने के बाद वह अपने भारी पंखों को नोच डालता है और प्रतीक्षा करता पंखों के पुन: उग आने की। 150 दिनों की पीड़ा और प्रतीक्षा के बाद उसे मिलती है वही भव्य और ऊंची उड़ान। इस पुनर्स्थापना के बाद वह 30 साल और जीता है। ऊर्जा, सम्मान और गरिमा के साथ। 

इसी प्रकार हम इंसानों में भी इच्छा, सक्रियता और कल्पना, तीनों निर्बल पड़ने लगते हैं! हमें भी भूतकाल में जकड़े अस्तित्व के भारीपन को त्याग कर कल्पना की उन्मुक्त उड़ाने भरनी होंगी ।

150 दिन न सही, 60 दिन ही बिताये जाये स्वयं को पुनर्स्थापित करने में! जो शरीर और मन से चिपका हुआ है, उसे तोड़ने और नोंचने में पीड़ा तो होगी ही, और फिर जब बाज की तरह उड़ानें भरने को तैयार होंगे, इस बार उड़ानें और ऊँची होंगी, अनुभवी होंगी, अनन्तगामी होंगी।

हर दिन कुछ चिंतन किया जाए और आप ही वो व्यक्ति हे जो खुद को दुसरो से बेहतर जानते है।

अगर यह हकीकत नहीं है, तब भी प्रकृति हमें कितना कुछ सिखाने बैठी है।

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