Ab Bolega India!

Greedy Story Moral in Hindi लालच बुरी बला है

Greedy Story Moral in Hindi

Greedy Story Moral in Hindi लालच बुरी बला है

हरे-भरे जंगल में पेड़-पौधों के बीच एक झोपड़ी में शीतल बाबा नाम का एक साधु रहा करता था। उनका न तो कोई शिष्य था और न ही कोई संगी साथी। रोज सवेरे उठकर वह पास की नदी में स्नान करने जाते। लौटते समय जंगल से कुछ लकडि़यां चुनकर लाते और हवन करते। उसके बाद, पास के गांव में भिक्षा मांगने के लिए निकल पड़ते। जो भी कुछ मिलता, उसे बड़े प्यार से ग्रहण कर लेते। अपने नाम की तरह उनका स्वभाव भी बिल्कुल शीतल था।

एक दिन बाबा बड़े उदास थे। कुछ सोचते-सोचते जंगल में कहीं दूर निकल गए। उन्हें यह पता ही नहीं चला कि कब वह जंगल में बहुत दूर तक आ चुके हैं। कुछ ही देर में रात होने लगी, चारों तरफ अंधेरा छाने लगा। रात होती देखकर वह घबरा गए। उन्हें वापस जाने के लिए कोई रास्ता ही नहीं मिल रहा था। बाबा ने इधर-उधर नजर दौड़ाई, तभी उन्हें एक गुफा नजर आई। वह गुफा के एक कोने में दुबककर बैठ गए। सदीर् ज्यादा होने की वजह से उनके दांत भी कंपकंपाने लगे थे। ऐसे में उनके हाथ से एक पत्थर लुढ़कर दूर जा गिरा। तभी बाबा ने चांद की रोशनी में देखा कि सांप के दो बच्चे वहां से रेंगकर बाहर जा रहे हैं। यह देखकर बाबा डर से कांपने लगे। तभी अचानक कहीं से एक महीन सी आवाज आई, ‘शीतल बाबा, धन्यवाद।’

आवाज सुनकर बाबा ने आस-पास देखा, लेकिन कहीं कुछ नजर नहीं आया। अब तो बाबा और घबरा गए। इतने में वह आवाज फिर आई, ‘बाबा डरो नहीं, मैं एक नागिन हूं। तुमने मेरे बच्चों को पत्थर के नीचे से मुक्ति दी है। मैं तुम्हारी आभारी हूं। मेरे बच्चे इस पत्थर के नीचे फंस गए थे। देखो मैं तुम्हारे सामने ही हूं।’ बाबा ने सामने देखा, तो वहां एक नागिन कुंडली मार कर बैठी हुई थी। वह बाबा से बोली, ‘मैं तुम्हें इनाम देना चाहती हूं, तुम यहीं रुको।’ यह कहकर वह गुफा के भीतरी कोने में चली गई। थोड़ी देर बाद वह एक स्वर्ण मुदा मुंह में दबा कर लाई और बाबा के सामने रख दी। बाबा ने डरते-डरते मुदा उठा ली। इसके बाद वह बोली, ‘मैं तुम्हारी अहसानमंद हूं, तुम्हें जब भी इस तरह की मुदा की जरूरत हो यहां आ जाना।’

अगले दिन बाबा ने उस स्वर्ण मुदा को बाजार में जाकर बेचा और खूब सारा खाने का सामान ले आए। कुछ दिन बाद जब वह सामान खत्म हो गया, तो बाबा फिर उसी गुफा में पहुंच गए और मुदा ले आए। इस तरह वह जल्दी-जल्दी वहां जाने लगे और मुदाएं लाने लगे। उन्हें अच्छे खान-पान और कपड़ों का लालच जो हो गया था। एक दिन उन्होंने सोचा कि क्यों न वे सारी मुदाएं मैं एक साथ ही ले आऊं और आराम से जिंदगी बसर करूं। इसके लिए उन्होंने एक तरकीब निकाली। वह अगले दिन एक डंडा लेकर गुफा के बाहर गए और नागिन को पुकारा। जैसे ही वह बाहर आई, बाबा ने लाठी उस पर दे मारी।

नागिन ने वह वार आसानी से बचा लिया। लेकिन वह जान चुकी थी कि बाबा उसे मारने आया है। उसे बहुत गुस्सा आया और उसने बाबा से कहा, ‘मैं तो तुम्हारी मदद करना चाहती थी और तुम मुझे मारने आए हो। तुम्हारे अहसान के बारे में सोचकर इस बार तो मैं तुम्हें छोड़ रही हूं, लेकिन अगली बार तुम फिर अगर इधर दिखाई दिए तो मैं तुम्हें नहीं छोड़ूंगी।’ इतना कहकर वह वहां से गायब हो गई। अब बाबा को अपनी गलती का अहसास हुआ। उन्होंने नागिन को बहुत आवाज दी, लेकिन वह नहीं आई। बाबा अपना सा मुंह लिए वापस लौट गए। इस तरह बाबा को लालच की बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ी।

Exit mobile version