जीवन नदी के समान है Daily Problems in Life

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जीवन नदी के समान है Daily Problems in Life

एक संत बहुत दिनों से नदी के किनारे बैठे था, एक दिन किसी व्यक्ति ने उससे पुछा:- आप नदी के किनारे बैठे-बैठे क्या कर रहे हैं?

संत ने कहा:- इस नदी का जल पूरा का पूरा बह जाए इसका इंतजार कर रहा हूँ।

व्यक्ति ने कहा- यह कैसे हो सकता है, नदी तो बहती ही रहती है सारा पानी अगर बह भी जाए तो, आप को क्या करना?

संत ने कहा – मुझे दुसरे पार जाना है, सारा जल बह जाए, तो मैं चल कर उस पार जाऊँगा।

उस व्यक्ति ने गुस्से में कहा – आप पागल हैं, नासमझ जैसी बात कर रहे हैं, ऐसा तो हो ही नही सकता।

तब संत ने मुस्कराते हुए कहा – यह काम तुम लोगों को देख कर ही सीखा है।

तुम लोग हमेशा सोचते रहते हो कि जीवन मे थोड़ी बाधाएं कम हो जाएं, कुछ शांति मिले, फलाना काम खत्म हो जाए तो महामंत्र जाप, सेवा, साधन-भजन, सत्कार्य करेगें।

जीवन भी तो नदी के समान है यदि जीवन मे तुम यह आशा लगाए बैठे हो, तो मैं इस नदी के पानी के पूरे बह जाने का इंतजार क्यों न करूँ..?

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