Ab Bolega India!

आखिर कब तक चलता रहेगा मौत का खेल

इन दिनों पंचायतो के तुगलकी फैसले और परिवार वालों की झूठी आन-बान के लिए प्रेमी- जोड़ो और शादी-शुदा लड़के-लडकियों की हत्त्याये की जा रही है। इससे विकासशील समाज की दोहरी मानसिकता का ही पता चलता है। दिन- प्रतिदीन हमारे देश में आनर किलिंग का मामला बढ़ता जा रहा है हाल के दिनों में प्रेम करके शादी करने वाले युवा जोड़ो की हत्याओ के मामले कुछ ज्यादा सामने आ रहे है। हरियाणा,राजस्थान,उत्तर प्रदेश में आनर किलिंग की घटनाये हो रही है।

अगर गौर किया जाये तो गांव में ये मामले कुछ ज्यादा ही है। मनपसंद जीवन साथी के चुनाव का साहस दिखने वालो की जान ले लेना एक चिंतनीय सामाजिक चलन का रूप लेता जा रहा है। मामला केवल सगोत्रिये या अंतरजातीय प्रेम विवाह का नहीं है। गरीब से लेकर पढ़े लिखे और अपने को आधुनिक कहलाने वाला तबका इसे सामानभाव से अपनाता है। लोगो की यह मान्यता रहती है। कि यदि इज्जत चली गई तो बेटियों को क्यों बचाना, क्या? यही विकसित भारत कि पहचान है? जमाना कहां से कहां आ गया जीवन आधुनिक से अत्याधुनिक होता जा रहा है। लेकिन मानसिकता वही कि वही धरी रह गई है। शहर के युवा वर्ग के लोगो को अपना गोत्र तक मालूम नहीं रहता है। तो फिर इस तरह की हत्याएं क्यों? क्या वे माँ-बाप अपने बेटे- बेटियों को मौत के घाट उतार कर समाज में वही इज्जत पा लेते है।

शायद नहीं, अपनेपन का मुखोटा पहन कर अपने होने का दावा करने वाले लोगो की आखिर कब मानसिकता बदलेगी। दिन-प्रतिदिन हम भौतिक रूप से आगे बढ़ते जा रहे है। लेकिन मानसिक रूप से काफी पिछड़े हुए है। समाज के इस समस्या को दूर करने के लिए हमें आगे आकर पहल करनी होगी। हर बुराई के खिलाफ नियम-कानून तो बना दिए जाते है। लेकिन जब तक हर व्यक्ति खुद से पहल नहीं करेगा तो सारे नियम व कानून धरे रह जाते है।

अर्चना यादव

इंडिया हल्ला बोल

 

Exit mobile version