Indian Forts History in Hindi जानिये देश के 10 सबसे सुंदर किले

Chittorgarh-Fortindia

कालिका माता मंदिर 

राजा मानभंग द्वारा 8वीं शताब्‍दी में निर्मित यह मंदिर मूल रूप से सूर्य को समर्पित है जैसा कि इस मंदिर के द्वार पाखों के केन्‍द्र में उकेरी गई सूर्य की मूर्ति से स्‍पष्‍ट है। इस समय कलिका माता या काली देवी की पूजा मंदिर की प्रमुख देवी के रूप में होती है।

समाधीश्‍वर मंदिर 

भगवान शिव को समर्पित यह मंदिर भोज परमार द्वारा 11वीं शताब्‍दी के प्रारंभ में बनवाया गया था। बाद में मोकल ने 1428 ई. में इसका जीर्णोद्धार किया।

कुंभास्‍वामी मंदिर 

मूल रूप से वराह (विष्‍णु का शूकर अवतार) को समर्पित इस मंदिर का निर्माण 8वीं शताब्‍दी में करवाया गया था तथा महाराणा कुम्‍भा द्वारा इसका बड़े पैमाने पर जीर्णोद्धार किया गया। मंदिर के सामने एक छतरी के नीचे गरुड़ की मूर्ति है। उत्‍तर में एक लघु मंदिर है जिसे मीरा मंदिर के नाम से जाना जाता है।
सात बीस देवरी : स्‍थानीय रूप से सात बीस देवरी के नाम से प्रसिद्ध, 27 जैन मंदिरों का यह समूह एक अहाते के बीच स्‍थित है जिसे 1448 ई. में बनवाया गया था।

कीर्ति स्‍तंभ 

यह शानदार मीनार जिसे स्‍थानीय रूप से विजय स्‍तंभ के रूप में जाना जाता है, महाराणा कुम्‍भा द्वारा 1448 ई. में बनवाया गई थी। भगवान विष्‍णु को समर्पित यह मीनार 37.19 मीटर ऊंची है तथा नौ मंजिलों में विभक्‍त है। चित्‍तौड़ के शासकों के जीवन तथा उपलब्‍धियों का विस्‍तृत क्रमवार लेखा-जोखा सबसे ऊपर की मंजिल में उत्‍कीर्ण है जिसे राणा कुम्‍भा की सभा के विद्वान, अत्री ने लिखना शुरू किया था तथा बाद में उनके पुत्र, महेश ने इसे पूरा किया।

जैन कीर्ति स्‍तंभ : 24.50 मीटर ऊंचाई वाला यह छह मंजिला टॉवर प्रथम जैन तीर्थंकर आदिनाथ को समर्पित है। इसका निर्माण श्रेष्‍ठी जीजा द्वारा 1300 ई. में करवाया गया था।

गौमुख कुंड 

समाधीश्‍वर मंदिर के दक्षिण में स्‍थित तथा पश्‍चिमी परकोटे से सटा गौमुख कुंड एक विशाल, गहरा, शैलकृत जलाशय है जिसका आकार आयताकार है। एक छोटी प्राकृतिक गुफा से बिल्‍कुल स्‍वच्‍छ जल की भूमिगत धारा बारह महीने गोमुख (गाय के मुख के आकार) से बहती है इसलिए इसका नाम गौमुख है।

 

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