अन्ना नहीं ये आंधी है , देश का दूसरा गांधी है । इन नारो के साथ जहां अन्ना को देश भर का समर्थन मिल रहा है, वहीं अन्ना को कुछ लोगो की दुआयें भी मिल रही है । खास कर उन लोगो की दुआयें जो आज से पहले दिल्ली के लाल बत्तियों पर भीख मागनें के काम किया करते थे । लेकिन अब उन हाथों में रोजगार है। आज आप देख सकते है कि रामलीला मैदान के चारों तरफ जो हाथ भीख मागनें के लिये फैलते थे अब उन हाथों में उनके कमाई के पैसे है । आज रेहडी वालो का कहना है कि ये अन्ना की मुहिम का असर है, कि जब वो आज से पहले वो अपनी दुकानें लगाते थे तो उन्हें पुलिस को कमीशन देना पड़ता था और लाठिया मुफ्त में मिलती थी लेकिन आज ना तो कोई कमीशन मँगता है और ना ही हम उसे पैसे देते है ।
आज अन्ना भले ही भूखे हो लेकिन अन्ना ने कई भूखो के पेट को भरने का काम कर रहे है । अन्ना ने ना सिर्फ लोगो जागरुक किया है । बल्कि कुछ लोगो को जिने की राह भी सिखा दिया है । आज हर इंसान में देश भक्ति कूट कूट कर भर गई है । मानवता फिर से जाग उठी है । जिसका प्रत्यक्ष उदाहरण राम लीला मैदान में देखने को मिल सकता है । आज हर कोई अहिंसा का पुजारी हो गया है । सबको पता चल गया है कि गोली टोप तलवार के बल पर नहीं बल्कि वंदे मातरम् के बल पर हम अपनी लडाई जीत सकते है । एक नारा जिसका इस्तेमाल नेता अपने राजनीति के लिये करता था । लेकिन उसका परिणाम हमेशा उल्टा ही रहा है । आज उसे अन्ना ने सत्य साबित कर दिया है । वो नारा है । हिन्दू , मुस्लिम , सिक्ख इसाई आपस में है सब भाई- भाई जिसका आप प्रत्यक्ष प्रमाण आप राम लीला मैदान में देख सकते हैं । अन्ना ने सिर्फ इतना ही नहीं किया बल्कि बिलुप्ट होती टोपी को और दूर होती खादी को फिर से एक नई पहचान दे दी है । जो युवा आज से पहले टोपी से दूर भागता था। या यूँ कहे की टोपी से दूर दूर तक कोई वास्ता नहीं था आज वो उसी टोपी को अपने सर पर लगा कर रखता है। जिस खादी को युवाओ ने चोरो का प्रतीक मान लिया था आज वो उनकी पहली पसंद बनती जा रही है । अब ये कहना गलत नहीं होगा की अन्ना ना सिर्फ भष्टाचार के खिलाफ लड़ रहे है बल्कि उन्होंने देश के उस पुराने मूल्यो को फिर से स्थापित कर दिया है । इतना ही नही अन्ना के इस मुहिम में नैतिकता का पाठ भी पढ़ने को मिल रहा है। जो संस्कार बच्चो को अपने घर में मिलना चाहिये उसे अन्ना ऩे अपने अनशन के माध्यम से पल भर में सिखा दिया ।
यानि कि अब ये कहा जा सकता है कि अन्ना ने बिलुप्त होती टोपी को और दूर होती खादी को ही पहचान नहीं दी , बल्कि युवाओ के दिलो में गांधी को और पूरे विश्व में एक बार फिर से गांधी गिरी को स्थापित कर दिया ।
सर्वेश मिश्रा
टी.वी. रिपोर्टर