हमारे देश में कईं सारे “दिवस” मनाये जाते हैं। जैसे गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस, बाल दिवस, हिन्दी दिवस इत्यादि। ये सभी दिवस या तो हमारे गौरवशाली इतिहास को याद दिलाते हैं या फिर सामाजिक कर्त्तव्यों का अहसास कराते हैं। कईं वर्षों से प्रति वर्ष पूरा देश इन्हें मनाता आ रहा है। या यूँ कहें कि इन “दिवसों” के नाम पर छुट्टी मनाता आ रहा है। इसी तरह से ढेरों “जयन्तियाँ” थोक के भाव में हर महीने आ ही जाती हैं।
खैर पिछले आठ से दस साल से एक और “दिवस” हम भारतीयों की ज़िन्दिगी का हिस्सा बन गया है। जिसका नाम है “वेलंटाइन डे” अब अंग्रेज़ी के “डे” को हिन्दी में दिवस ही बोलेंगे। ये दिवस बाकि सब दिवसों का “बाप” बन कर आया है। सरकार गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस पर छुट्टी देती है और हम घर में सो कर बिता देते हैं। जबकि इस “वेलेंटाइन डे” पर छुट्टी करते हैं और बाहर घूमने जाते हैं। मैने बिना किसी कारण के इस “डे” को सबका “बाप” नहीं कहा है। एक आँकड़ा देखिये- 1200 करोड़। ये आँकड़ा इस वर्ष वेलेंटाइन डे पर होने वाले पूरे व्यापार का। हम भारतीयों ने 1200 करोड़ रूपये केवल इस “दिवस” को मनाने में खर्च किये। क्या इसको “फ़िजूलखर्च” कहा जा सकता है? ऐसा प्रश्न कईं बार उठता है। “प्यार” के नाम पर इस दिन का व्यापारीकरण किया गया और भारतीय बाज़ार में चुपचाप उतार दिया। ठीक उसी तरह जैसे कोई कम्पनी नया प्रोडक्ट बाज़ार में पेश करती है।
करीबन दस साल पहले जब ये “दिन” भारत के बाज़ार में आया तब किसी ने नहीं सोचा था कि “बाज़ार” में प्यार के दाम में इतना अधिक उछाल आ जायेगा कि बाकि सब ऐतिहासिक दिन पीछे छूट जायेंगे। नई पीढ़ी “प्रेम” के नये फ़ंडे को अपनाती चली गई और आज यह प्रोडक्ट 1200 करोड़ में बिकता है। आने वाले समय में ईद और दीवाली को टक्कर देने वाला है। एक “दिन” से ऊपर उठकर त्योहार की उपाधि पाने से इसे कोई नहीं रोक सकता।
ऐसा नहीं कि इस इन का विरोध किया जाना चाहिये। पर जिस चालाकी से बाज़ार प्रेम को बेच रहा है उस पर बहस होनी चाहिये। एक सप्ताह पहले से ही रेडियो और टीवी वाले इसके कार्यक्रम दिखाने शुरु होते है। इस बार मेरे पास दो मित्रों से एक जैसे एस.एम.एस. आये जिसमें कहा गया कि 14 फ़रवरी को भगत सिंह-राजगुरु-सुखदेव को फ़ाँसी लगाई गई इस लिये हमें ये दिन उनकी याद में भी मनाना चाहिये। ये पढ़कर दिल दुखी हुआ, जिन लोगों ने इस मैसेज को शुरु किया उनपर गुस्सा आया और जो इस”चेन” को आगे बढ़ते गये उनपर दया आई। आप ही बतायें शहीदों के बलिदान को किस तरह से “प्रेम” के बाज़ार में उछाला जा रहा है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि इस तरह के मैसेज मोबाइल कम्पनियाँ ही जानबूझ कर शुरु करती हैं ताकि ज्यादा से ज्यादा पैसे कमाये जा सकें। लोगों की भावनाओं के साथ खेलने से उन्हें कोई परहेज नहीं होता।
एक और आँकड़े की मानें तो अमरीका में 14 फ़रवरी के आसपास अधिक तालाक होने शुरु हो गये हैं। पिछले दो सालों में 40 प्रतिशत का उछाल आया है। हमारे देश में भी तालाक की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। पिछले कुछ वर्षों से एक नया शब्द चलन में है “ब्रेक अप”। यानि युवक युवती में कथित “प्यार” हुआ (शायद कुछ वेलेंटाइन डे साथ में बिताये) और फिर अलग हो गये। ऐसा क्यों? प्यार की कीमत क्यों लगाई जाने लगी है? राधा-कॄष्ण के प्रेम की साक्षी यह धरती आज इस एक दिन की मोहताज क्यों बन गई है? २६ जनवरी और १५ अगस्त को भारत-वर्ष से प्यार करें, १४ नवम्बर को बच्चों के साथ प्रेम बाँटें। हर दिन प्रेम का है, तो फिर 14 फ़रवरी का इंतज़ार क्यों करें।
अगर आपकी किसी खता पर आपका पार्टनर नाराज हो गया है तो चॉकलेट से बेहतर कोई और उपाय नहीं हो सकता। क्योंकि चॉकलेट खासकर महिलाओं की कमजोरी होती है। जिससे उनकी नाराजगी कुछ ही मिनटों में दूर हो जाएगी। जैसे-जैसे हम वेलेंटाइन डे यानी 14 फरवरी की ओर बढ़ रहे हैं इनकी कीमतें भी आसमान छू रही हैं। वहीं पार्टनर के दिल को लुभाने के लिए कही हार्ट शेप तो कही स्टिक विद हार्ट शेप, फरेरो रोशर तरह-तरह की चॉकलेट उपलब्ध हैं। जो आपके प्यार को बाखूबी बयां कर देती हैं। इसके अलावा गिफ्ट शॉप्स में भी चॉकलेट की कई आकर्षक पैकिंग युवाओं को लुभाने के लिए उपलब्ध है। अगर आप किसी को पहले प्रपोज कर चुके हैं और उसका जवाब आपको नहीं मिला तो चॉकलेट आपकी मदद करती है। इससे आपका काम आसानी से बन जाता है। इसकी मिठास के आगे वह अपना सारा गुस्सा पल भर में भूल जाते हैं। वैसे तो इस शब्द के बारे में बहुत से तथ्य हैं लेकिन ज्यादा तथ्य इस बात को स्पष्ट करते हैं कि यह माया और एजटेक सभ्यता से उत्पन्न हुआ है। यह मध्य अमेरिका से संबंधित है। एजटेक की भाषा नूहुटल में इसका मतलब खट्टा या कड़वा होता है। लेकिन यह तो अभी भी स्पष्ट नहीं हुआ क्योंकि चॉकलेट तो मीठी होती है। इसकी मुख्य सामग्री कोको के पेड़ की खोज 2000 वर्ष पूर्व की गई थी। ऐसा कहा जाता है कि जब 1528 में स्पेन के राजा ने मैक्सिको पर विजय प्राप्त कर कब्जा किया था तो वह अपने साथ भारी मात्रा मेंकोको के बीज लेकर आया था।
इसी से स्पेन की रसोईयों में चॉकलेट ड्रिंक प्रसिद्ध हो गया। लेकिन शायद आपको यह बात जानकर बहुत आश्चर्य होगा कि पहले चॉकलेट बहुत ही तीखी हुआ करती थी। अमेरिका के लोग इसमें कई तरह के मासालों को पीसकर मिलाते थे जिसके कारण यह काफी तीखी और स्पाइसी बनती थी। पर इसे मीठा बनाने का श्रेय किसी और को नहीं यूरोप को जाता है। जिसने चॉकलेट में से मिर्च को हटाकर शक्कर और दूध का प्रयोग किया। जिससे इसका स्वाद में बदलाव आया और चॉकलेट तीखी से मीठी हो गई।प्यार का दिन, प्यार के इजहार का दिन। अपने जज्बातों को शब्दों में बयाँ करने के लिए शायद इस दिन का हर धड़कते हुए दिल को बेसब्री से इंतजार होता है। जी हाँ, हम बात कर रहे हैं, प्यार के परवानों के दिन की, वेलेंटाइन-डे की…। प्यार भरा यह दिन खुशियों का प्रतीक माना जाता है और हर प्यार करने वाले शख्स के लिए अलग ही अहमियत रखता है।14 फरवरी को मनाया जाने वाला यह दिन विभिन्न देशों में अलग-अलग तरह से और अलग-अलग विश्वास के साथ मनाया जाता है। पश्चिमी देशों में तो इस दिन की रौनक अपने शबाब पर ही होती है, मगर पूर्वी देशों में भी इस दिन को मनाने का अपना-अपना अंदाज होता है।
जहाँ चीन में यह दिन ‘नाइट्स ऑफ सेवेन्स’ प्यार में डूबे दिलों के लिए खास होता है, वहीं जापान व कोरिया में इस पर्व को ‘वाइट डे’ का नाम से जाना जाता है। इतना ही नहीं, इन देशों में इस दिन से लगाए पूरे एक महीने तक यहाँ पर लोग अपने प्यार का इजहार करते हैं और एक-दूसरे को तोहफे व फूल देकर अपनी भावनाओं का इजहार करते हैं। इस पर्व पर पश्चिमी देशों में पारंपरिक रूप से इस पर्व को मनाने के लिए ‘वेलेंटाइन-डे’ नाम से प्रेम-पत्रों का आदान प्रदान तो किया जाता है ही, साथ में दिल, क्यूपिड, फूलों आदि प्रेम के चिन्हों को उपहार स्वरूप देकर अपनी भावनाओं को भी इजहार किया जाता है। 19वीं सदीं में अमेरिका ने इस दिन पर अधिकारिक तौर पर अवकाश घोषित कर दिया था।
यू.एस ग्रीटिंग कार्ड के अनुमान के अनुसार पूरे विश्व में प्रति वर्ष करीब एक बिलियन वेलेंटाइन्स एक-दूसरे को कार्ड भेजते हैं, जो क्रिसमस के बाद दूसरे स्थान सबसे अधिक कार्ड के विक्रय वाला पर्व माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि वेलेंटाइन-डे मूल रूप से संत वेलेंटाइन के नाम पर रखा गया है। परंतु सैंट वेलेंटाइन के विषय में ऐतिहासिक तौर पर विभिन्न मत हैं और कुछ भी सटीक जानकारी नहीं है। 1969 में कैथोलिक चर्च ने कुल ग्यारह सेंट वेलेंटाइन के होने की पुष्टि की और 14 फरवरी को उनके सम्मान में पर्व मनाने की घोषणा की। इनमें सबसे महत्वपूर्ण वेलेंटाइन रोम के सेंट वेलेंटाइन माने जाते हैं।
1260 में संकलित कि गई ‘ऑरिया ऑफ जैकोबस डी वॉराजिन’ नामक पुस्तक में सेंट वेलेंटाइन का वर्णन मिलता है। इसके अनुसार शहंशाह क्लॉडियस के शासन में सेंट वेलेंटाइन ने जब ईसाई धर्म को अपनाने से इंकार कर दिया था, तो क्लॉडियस ने उनका सिर कलम करने के आदेश दिए। कहा जाता है कि सेंट वेलेंटाइन ने अपनी मृत्यु के समय जेलर की नेत्रहीन बेटी जैकोबस को नेत्रदान किया व जेकोबस को एक पत्र लिखा, जिसमें अंत में उन्होंने लिखा था ‘तुम्हारा वेलेंटाइन’। यह दिन था 14 फरवरी, जिसे बाद में इस संत के नाम से मनाया जाने लगा और वेलेंटाइन-डे के बहाने पूरे विश्व में निःस्वार्थ प्रेम का संदेश फैलाया जाता है।आप सभी को इंडिया हल्ला बोल की तरफ से वेलेंटाइन डे की हार्दिक बधाई है।
इंडिया हल्ला बोल